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आज का चिंतन

‘ईश्वर के सत्यस्वरूप के ज्ञान तथा वेद प्रचार से युक्त जीवन ही सर्वोत्तम एवं श्रेयस्कर है’

ओ३म् ========== हम वर्तमान में मनुष्य हैं। हम इससे पहले क्या थे और परजन्म में क्या होंगे, हममें से किसी को पता नहीं। यह सुनिश्चित है कि इस जन्म से पूर्व भी हमारा अस्तित्व था और मृत्यु के बाद भी हमारी आत्मा का अस्तित्व रहेगा। हमारी विशेषता है कि हमारे पास अन्य पशु-पक्षियों से भिन्न […]

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धर्म-अध्यात्म

“विश्व में ईश्वरीय ज्ञान वेद का धारक, रक्षक एवं प्रचारक केवल आर्यसमाज है”

ओ३म् ========== प्रश्न क्या परमात्मा है? क्या वह ज्ञान से युक्त सत्ता है? क्या उसने सृष्टि की आदि में मनुष्यों को ज्ञान दिया है? यदि वह ज्ञान देता है तो वह ज्ञान उसने कब किस प्रकार से मुनष्यों को दिया था? इन प्रश्नों पर विचार करने पर उत्तर मिलता है कि परमात्मा का अस्तित्व सत्य […]

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आज का चिंतन

पाखण्ड खंडिनी, समाज सुधार, हिन्दी अंधविश्वासों का खण्डन समाज की उन्नति के लिए परम आवश्यक’

मनमोहन कुमार आर्य जिस प्रकार से मनुष्य शरीर में कुपथ्य के कारण समय-समय पर रोगादि हो जाया करते हैं, इसी प्रकार समाज में भी ज्ञान प्राप्ति की  समुचित व्यवस्था न होने के कारण सामाजिक रोग मुख्यतः अन्धविश्वास, अपसंस्कृति एवं किंकर्तव्यविमूढ़ता आदि हो जाया करते हैं। अज्ञान, असत्य व अन्धविश्वास का पर्याय है। जहां अज्ञान होगा […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारत माता के सम्मान के रक्षक शहीद ऊधम सिंह

मन मोहन कुमार आर्य सृष्टि का आरम्भ तिब्बत से हुआ। ईश्वर ने वेदो का ज्ञान सृष्टि की आदि में  चार ऋषियों अग्नि, वायु , आदित्य व अंगिरा व उनके माध्यम से  सभी मनुष्यों को प्रदान किया। इन मनुष्यो को ‘‘आर्य ’’ नाम की संज्ञा दी गई । बाद में गुण, कर्म, स्वभाव व भौगोलिक कारणो […]

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उगता भारत न्यूज़

वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में पन्द्रह दिवसीय सत्यार्थ प्रकाश स्वाध्याय शिविर एवं इसके पश्चात 16 दिवसीय संस्कृत पठन-पाठन शिविर का आयोजन’

ओ३म् ———– वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में आत्म-कल्याण की गतिविधियां संचालित होती रहती है। ऐसा ही एक आयोजन सत्यार्थप्रकाश स्वाध्याय शिविर के रूप में आगामी 1 अगस्त, 2022 से 15 अगस्त, 2022 तक किया जा रहा है। इस शिविर में प्रातः 10.30 से 12.30 बजे तक सत्यार्थप्रकाश का स्वाध्याय श्री महेन्द्र मुनि जी, आर्य […]

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धर्म-अध्यात्म

“जीवात्मा और मानव शरीर”

ओ३म् ======== मनुष्य को मनुष्य इस लिये कहते हैं क्योंकि यह मननशील प्राणी है। मनन का अर्थ है कि मन की सहायता से हम अपने कर्तव्यों व गुण-दोष को जानकर गुणों का ग्रहण व दोषों का त्याग करें। यदि हम मनन करना छोड़ देते हैं और काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि में फंस कर स्वार्थ […]

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आज का चिंतन

वेदों ने विद्या प्राप्त मनुष्यों के लिये द्विज शब्द का प्रयोग किया है”

ओ३म् ========= संसार में दो प्रकार के लोग हैं जिन्हें हम शिक्षित एवं अशिक्षित तथा चरित्रवान एवं चारीत्रिक दृष्टि से दुर्बल कह सकते हैं। सृष्टि के आरम्भ में वेदोत्पत्ति से पूर्व न तो भाषा थी, न ज्ञान और न ही किसी प्रकार का शब्द भण्डार। यह सब वेदों की देन है। वेदों की रचना वा […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वराज्य वा स्वतन्त्रता के प्रथम मन्त्र-दाता महर्षि दयानन्द” ============

ओ३म् ============ महाभारत काल के बाद देश में अज्ञानता के कारण अन्धविश्वास व कुरीतियां उत्पन्न होने से देश निर्बल हुआ जिस कारण समय समय पर उसके कुछ भाग पराधीन होते रहे। पराधीनता का शिंकजा दिन प्रतिदिन अपनी जकड़ बढ़ाता गया। देश अशिक्षा, अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड व सामाजिक विषमताओं से ग्रस्त होने के कारण पराधीनता का […]

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आज का चिंतन

सत्याचरण से अमृतमय मोक्ष की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य”

ओ३म् =============== हमारी जीवात्माओं को मनुष्य जीवन ईश्वर की देन है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान होने के साथ सर्वज्ञ भी है। उससे दान में मिली मानव जीवन रूपी सर्वोत्तम वस्तु का सदुपयोग कर हम उसकी कृपा व सहाय को प्राप्त कर सकते हैं और इसके विपरीत मानव शरीर का सदुपयोग न करने के कारण हमें […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आर्यसमाज के महाधन महात्मा दीपचन्द आर्य- “चंचला लक्ष्मी को वैदिक धर्म के प्रचार द्वारा श्री व यशस्वी रुप में बदलने का सत्कार्य करने वाले महात्मा दीपचन्द आर्य”

ओ३म् ======== भारत में मध्यकाल में देश में अविद्या छा जाने के कारण जो नाना अन्धविश्वास एवं कुरीतियां उत्पन्न हुईं उससे कई मत-मतान्तर उत्पन्न हुए और इनसे परस्पर वैर भावना में वृद्धि हुई। ऋषि दयानन्द ने अपने अथक परिश्रम से इसका कारण जाना और पाया कि वेदों में निहित सत्यज्ञान को भूल जाने के कारण […]

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