ललित गर्ग भारत में एक नई आर्थिक सभ्यता और एक नई जीवन संस्कृति करवट ले रही है, तब उसके निर्माण में प्रभावी एवं सशक्त भूमिका के लिये जिम्मेदार इलैक्ट्रोनिक एवं प्रिंट मीडिया शायद दिशाहीन है। एक सौ तीस करोड़ की आबादी का यह देश- कोरोना एवं अन्य जटिल समस्याओं से जूझ रहा है, इन समस्याओं […]
लेखक: ललित गर्ग
ललित गर्ग यूपी बोर्ड में एनसीईआरटी की किताबें चलती हैं। पर उत्तर प्रदेश में फुटकर प्रकाशकों को कमीशन न मिलने के कारण कुछ प्रकाशक अवैध तरीके से ये किताबें छापने के धंधे में कूद पड़े हैं। ये लोग हल्के एवं सस्ते कागज पर एनसीईआरटी की किताबें छापते हैं। हमारा चरित्र देश के समक्ष गम्भीर समस्या […]
ललित गर्ग हमारा चरित्र देश के समक्ष गम्भीर समस्या बन चुका है। हमारी बन चुकी मानसिकता में आचरण की पैदा हुई बुराइयों ने पूरे तंत्र और पूरी व्यवस्था को प्रदूषित कर दिया है। स्वहित और स्वयं की प्रशंसा में ही लोकहित है, यह सोच हमारे समाज में घर कर चुकी है। यह रोग मानव की […]
ललित गर्ग इंदौर एवं सूरत के बारे में सबसे बड़ी बात जो कही जा सकती है, वह यह है कि ”उन्होंने अपने शहर के चरित्र पर गन्दगी, प्रदूषण एवं अस्वच्छता की कालिख नहीं लगने दी।” अपने स्वच्छता दीप को दोनों हाथों से सुरक्षित रखकर प्रज्ज्वलित रखा। देशभर के शहरों में साफ-सफाई से संबंधित ‘स्वच्छ सर्वेक्षण […]
ललित गर्ग जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को मुद्दे को लेकर पाकिस्तान ने विश्व के लगभग सभी देशों से मदद की गुहार लगाई लेकिन एक-दो देशों को छोड़कर किसी ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। अमेरिका ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा बताकर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त व मजबूत […]
ललित गर्ग सवाल यह है कि पार्टी के भीतर ऐसी नौबत क्यों आयी? देश की सबसे पुरानी एवं ताकतवर पार्टी होकर आज इतनी निस्तेज क्यों है? देश की राजनीति की दिशा एवं दशा तय करने वाली पार्टी हाशिये पर क्यों आ गयी है? क्यों उसकी यह दुर्दशा हुई? कांग्रेस पार्टी में लोकतांत्रिक भावना से उसके […]
ललित गर्ग शान्ति निकेतन के अधिकारियों के फैसले को लेकर इस विश्वविद्यालय के करीब रहने वाले लोगों में रोष फैला। तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक श्री नरेश बावरी के नेतृत्व में नयी बन रही दीवार और नये बने दरवाजे को तोड़ डाला गया। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय यानि शान्ति निकेतन इन […]
ललित गर्ग कोरोना कहर के बावजूद हम कहां बदल पाये हैं स्वयं को और अपनी दूषित सोच को। हम देख भी रहे हैं कि बुरे विचार जितना दूसरों का नुकसान करते हैं, उतना ही स्वयं अपना भी। कारण अपनी ही सुरक्षा को लेकर डरा दिमाग ढंग से नहीं सोच पाता। कोरोना महाव्याधि एवं कहर के […]
ललित गर्ग महात्मा गांधी के देश में यदि बैंगलुरू जैसी हिंसा होती है तो हमें प्रशासन का एक नया ढांचा विकसित करना होगा, जो लोगों की बात सुनता हो, जिसे अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो और जो धर्म, सम्प्रदाय एवं जातिगत भावना से आजाद हो। बैंगलुरू में फेसबुक पर एक विवादास्पद पोस्ट के बाद एक […]
ललित गर्ग आजादी का यह उत्सव उन लोगों के लिए एक आह्वान है जो अकर्मण्य, आलसी, निठल्ले, हताश, सत्वहीन बनकर सिर्फ सफलता की ऊंचाइयों के सपने देखते हैं पर अपनी दुर्बलताओं को मिटाकर नयी जीवनशैली की शुरुआत का संकल्प नहीं स्वीकारते। एक और आजादी का जश्न सामने हैं, जिसमें कुछ कर गुजरने की तमन्ना भी […]