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कविता

जुगनू का जुनून

जुगनू का जुनून कुछ भी नहीं कहा सूरज से कुछ भी नहीं सवेरे से । जुगनू स्वयं लड़ा करता है गहन तिमिर के घेरे से ।। जब निशीथ का गहरा तम हो कोई साथ न देता है । तब जुगनू का छोटा फेरा अंधकार हर लेता है ।। राजमहल जब ठुकरा दे तो आशा रैन […]

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उगता भारत न्यूज़

दि वायर और एनडीटीवी ने मुस्लिम दंगाइयों को बचाने के लिए फैलाया झूठ, हिंदू स्कूल को बताया मुस्लिम

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों में मुस्लिम भीड़ का कहर बरपा और कई लोगों को इसमें अपनी जान गँवानी पड़ी। इसी बीच मीडिया पोर्टल्स लगातार दंगाइयों के महिमामंडन में लगे रहे और पीड़ित हिन्दुओं की पीड़ा को नज़रअंदाज़ किया गया। क्योकि चैनल के पत्रकारों की मेज पर आतंकी सरगना ओसामा लादेन की […]

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भारतीय संस्कृति

शंका: पश्चिमी लेखकों का मानना है कि चार वेदों में कोई क्रम नहीं है ? चार वेद विभिन्न विभिन्न काल में प्रकाशित हुए?

समाधान- यह वेदों पर आक्षेप करने वाले की बुद्धिहीनता और स्वाध्याय की कमी को दर्शाता हैं। वेद चार हैं। उनके प्रधान विषय और सन्देश को समझने से सरलता से यह समझा जा सकता है कि चरों वेद क्रम के अनुसार हैं। ऋग्वेद में विज्ञान की प्रधानता है। ब्रह्मा से लेकर तृणपर्यन्त पदार्थों का उसमें निरूपण […]

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धर्म-अध्यात्म

वेद ज्ञान का प्रकाश कैसे हुआ ?

✍🏻 लेखक – पदवाक्यप्रमाणज्ञ पण्डित ब्रह्मदत्तजी जिज्ञासु प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’ इसके दो ही प्रकार हो सकते हैं, कि या तो जगदीश्वर ने आदि मनुष्यों वा ऋषियों को आजकल की भाँति बैठकर पढ़ाया वा लिखकर दे दिया या लिखा दिया हो, यह सब एक ही प्रकार कहा जा सकता है और ईश्वर के शरीरधारी होने […]

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भारतीय संस्कृति

सत्यार्थ प्रकाश : एक अनुपम ग्रंथ

नवम समुल्लास राकेश आर्य बागपत (प्रश्न) मनुष्य और अन्य पशु आदि के शरीर में जीव एक सा है या भिन्न-भिन्न जाति के? (उत्तर) जीव एक से हैं परन्तु पाप पुण्य के योग से मलिन और पवित्र होते हैं। (प्रश्न) मनुष्य का जीव पशु आदि में और पशु आदि का मनुष्य के शरीर में और स्त्री […]

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विविधा

अपने देश व देशवासियों से प्रेम न करने वाला व्यक्ति सच्चा धार्मिक नहीं होता

ओ३म् ============= संसार में जितने मनुष्य हैं व अतीत में हुए हैं वह सब किसी देश विशेष में जन्में थे। उनसे पूर्व उनके माता-पिता व पूर्वज वहां रहते थे। जन्म लेने वाली सन्तान का कर्तव्य होता है कि वह अपने जन्म देने वाले माता-पिता का आदर व सत्कार करे। मातृ देवो भव, पितृ देवो भव […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

एकात्म मानववाद और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन

एकात्म मानववाद के इस सरस प्रवाह ने स्वतंत्रता आंदोलन के काल में हमारे देशवासियों का मार्गदर्शन किया । इसी प्रकार तुर्क और मुगलों के शासनकाल में उनके अत्याचारों का सामना करने के लिए भी अदृश्य रूप में एकात्म मानववाद के इसी सरस प्रवाह ने हमारे देशवासियों के भीतर राष्ट्र भाव को प्रवाहित किये रखा । […]

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स्वर्णिम इतिहास

महाराणा कुंभा: एक ऐसा महायुद्ध था जिसने एक भी युद्ध नहीं हारा

महाराणा प्रताप हमारे इतिहास के एक ऐसे दैदीप्यमान नक्षत्र हैं , जिन पर आने वाली पीढियां युग युगांत तक गर्व करेंगी । 1572 में वह मेवाड़ की गद्दी पर बैठे तो 4 वर्ष पश्चात ही उन्हें 1576 ई0 में तत्कालीन मुगल बादशाह अकबर से हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध लड़ना पड़ा । इसी युद्ध के पश्चात […]

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स्वर्णिम इतिहास

जब औरंगजेब ने मथुरा का श्रीनाथ मंदिर तोड़ा तो मेवाड़ के राणा राजसिंह ने 100 मस्जिद तुड़वा दी थी

जब औरंगजेब ने मथुरा का श्रीनाथ मंदिर तोड़ा तो मेवाड़ के नरेश राज सिंह 100 मस्जिद तोड़ी थीं । अपने पुत्र भीम सिंह को गुजरात भेजा, कहा ‘सब मस्जिद तोड़ दो तो भीम सिंह ने 300 मस्जिद तोड़ दी थी’। वीर दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब की नाक में दम कर दिया था और महाराज अजीत […]

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भारतीय संस्कृति

सगोत्र विवाह का निषेध क्यों ?

पं0 जगदेवसिंह सिद्धांती मनुष्य (चाहे पुरुष हो, चाहे स्त्री) में माता-पिता के रजःवीर्य के सम्बन्ध के कारण सन्तान रूप में शारीरिक रक्त आदि अंश अवश्य परम्परया पहुँचते हैं। यह आयुर्वेद का विशुद्ध वैज्ञानिक सिद्धान्त है। इस कारण समान रजः$वीर्य के मिलने में सन्तान में कुछ विशेषता उत्पन्न नहीं होती और भाई-बहिन आदि अनेक सम्बन्ध नष्ट […]

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