आइए जाने जयपुर के सिटी पैलेस के बारे में

अभी श्री राम जन्मभूमि के मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वादकारियों से पूछा कि क्या श्री राम के वंशज अभी भी हैं ? इस पर जयपुर के राजपरिवार ने अपने आपको बताया कि वह श्री राम की 309 वी पीढ़ी का वंशज है । श्री रामचंद्र जी त्रेता में उस समय पैदा हुए जिस समय 100000 वर्ष त्रेता के शेष थे । जबकि बीच में 864000 वर्ष का द्वापर और उसके पश्चात लगभग 5000 वर्ष का अब कलयुग भी बीत गया है। इस प्रकार पौने 10 लाख वर्ष में केवल 309 पीढी ही रामचंद्र जी के वंश की बीती हों , यह संभव नहीं है । अतः हम इस बात से तो सहमत नहीं हैं कि जयपुर का राजघराना ही रामचंद्र जी का वर्तमान काल का उत्तराधिकारी है। फिर भी हम यह अवश्य मानते हैं कि इस राजघराने का अपना एक विशेष इतिहास है और आज हम उसी इतिहास के संबंध में थोड़ी सी चर्चा यहां पर करेंगे।

विगत 23 अगस्त को राजस्थान के जयपुर नगर में स्थित सिटी पैलेस को चौथी बार देखने का अवसर मिला। इस इस नगर को पिंक सिटी या गुलाबी नगरी के नाम से भी पुकारा जाता है । सिटी पैलेस जयपुर, राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक तथा पर्यटन स्थलों में से एक है। यह एक महल परिसर है। ‘गुलाबी शहर’ जयपुर के बिल्कुल बीच में यह स्थित है। सवाई राजा जयसिंह ने 18 नवंबर 1727 ईस्वी को गुलाबी नगरी की नींव रखी थी । राजा जयसिंह के नाम से ही इस नगर का नाम जयपुर रखा गया।
उससे पूर्व यहां के शासक आमेर किले से शासन करते रहे थे ।आमेर को प्राचीन काल में अम्बावती , अमरपुरा , अमरगढ़ भी कहा जाता था । इसे 1037 ईसवी में कछवाहा वंश के शासकों ने जीत लिया था।
सिटी पैलेस के भव्य और आकर्षक परिसर में कई ऐतिहासिक भवन, विशाल आंगन और आकर्षक बाग़ हैं, जो इसके राजसी इतिहास के प्रतीक हैं। इस पैलेस के भीतर स्थिति दीवाने खास यज्ञ कुंड की आकृति का बना है। जिसमें पूर्णतया भारतीय स्थापत्य कला दिखाई देती है ।इस परिसर में ‘चंद्र महल’ और ‘मुबारक महल’ जैसे महत्वपूर्ण भवन भी हैं। दीवाने खास को उस समय सर्वतो भद्र के नाम से भी जाना जाता था । स्पष्ट है कि जिस में लोक कल्याण के निर्णय लिए जाते थे उस भवन का नाम सर्वतो भद्र रखा गया था ।इसी दीवाने खास में एक विशाल आकार का कलश रखा है ,जो कि चांदी व कई अन्य कीमती धातुओं से बनाया गया है ।इसमें 4000 लीटर से अधिक पानी आ सकता था। इस कलश को गंगाजली कहा जाता था । इस की ऊंचाई 5 फुट 3 इंच है और वजन 345 किलोग्राम था। सन 1902 दो महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय को एडवर्ड सप्तम के राज तिलक समारोह में जाना पड़ा तो वे अपनी धार्मिक प्रवृत्ति के कारण इस कलश में गंगाजल भरकर इंग्लैंड लेकर गए थे। इस कलश का निर्माण 1894 में किया गया था । इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है।

पिछले ज़माने के कीमती सामान को यहां संरक्षित किया गया है। इसके महल के छोटे से भाग को संग्रहालय और आर्ट गैलेरी में तब्दील किया गया है। महल की खूबसूरती को देखने के लिए पर्यटक विश्व भर से हज़ारों की संख्या में सिटी पैलेस में आते हैं।
सिटी पैलेस का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1729 से 1732 ई. के मध्य कराया था। शाही वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य और अंग्रेज़ शिल्पकार सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने उस समय बींसवी सदी का आधुनिक नगर रचा था। साथ ही बेहतरीन, खूबसूरत, सभी सुविधाओं और सुरक्षा से लैस शाही प्रासाद।सिटी पैलेस की भवन शैली राजपूत, मुग़ल और यूरोपियन शैलियों का अतुल्य मिश्रण है। लाल और गुलाबी सेंडस्टोन से निर्मित इन इमारतों में पत्थर पर की गई बारीक कटाई और दीवारों पर की गई चित्रकारी मन मोह लेती है। कछवाहा शासकों के पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी। इसलिए महाराजा जयसिंह द्वितीय पूरी तरह नियोजित सुरक्षित, सुंदर और समृद्ध शहर बसाना चाहते थे। जयपुर शहर अठारहवीं सदी में बना पहला नियोजित शहर था। इसके साथ ही इसका वैभव और चमत्कृत कर देने वाला था। इसी वंश के राजा जय सिंह के शासनकाल में आगरा प्रांत में एक भव्य भवन का निर्माण कराया गया था । जिसके बारे में नई शोधों से पता चल रहा है कि यही वह स्थल था जो आज ताजमहल के नाम से जाना जाता है । कभी यह स्थान तेजो महालय मंत्र के नाम से जाना चाहता था। इसी वंश के एक शासक सवाई माधो सिंह प्रथम के द्वारा सवाई माधोपुर नगर की स्थापना सन 1763 ई0 में की गई थी।
इसी वंश में वह मानसिंह भी पैदा हुआ जो महाराणा प्रताप का समकालीन रहा । उसने 1589 ई0 से लेकर 1614 ई0 के लगभग तक शासन किया।

18 76 ई0 में महारानी विक्टोरिया और वेल्स के राजकुमार ने जब जयपुर का दौरा किया तो उस समय के राजा रामसिंह ने उनके स्वागत में सारे नगर को ही गुलाबी रंग से पुतवा दिया था । तभी से इस नगर को गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाने लगा था।
सवाई मानसिंह महाराज 30 मार्च 1949 को राजस्थान के पहले राज्यपाल बनाए गए थे। 1947 तक वह ही वहां के राजा भी थे । उन्होंने अपने इसी राजभवन से ही 31 अक्टूबर 1956 तक राज्यपाल के दायित्वों का निर्वाह किया था । बाद में उनको हटाकर राजभवन भारत सरकार ने अपने लिए ले लिया । वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह है ।मेरे द्वारा जब इस सिटी पैलेस का भ्रमण किया गया तो मेरे साथ ‘ उगता भारत ‘ के चेयरमैन श्री देवेंद्र सिंह आर्य , वरिष्ठ सह संपादक श्रीनिवास आर्य , कार्यालय प्रबंधक अजय आर्य , श्रीमती मृदुला आर्या श्रीमती रिचा आर्या , श्रुति आर्या , श्वेता आर्या , श्रेया आर्य , अमन आर्य , अतुल राणा , नन्ही नातिन अक्षिता भाटी व अनिल भाटी भी साथ थे।

डॉ राकेश कुमार आर्य

संपादक : उगता भारत

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