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विधि-कानून

प्रधानमंत्री जी ! अब समान नागरिक संहिता पर दिया जाए ध्यान

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र

प्रतिष्ठा में,
श्रीमान नरेंद्र मोदी जी
प्रधानमंत्री भारत सरकार ,
नई दिल्ली

महोदय सादर प्रणाम ।

आपके यशस्वी और तेजस्वी नेतृत्व के कारण भारतवर्ष का नाम संसार में बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाने लगा है , जिस पर हम सभी देशवासियों को बहुत ही गर्व और गौरव की अनुभूति होती है । इस गौरवपूर्ण अनुभूति को कराने के लिए आपका जितना धन्यवाद और अभिनंदन किया जाए ,उतना ही कम है ।आपके तेजस्वी राष्ट्रवाद से अभिभूत होने के कारण संपूर्ण राष्ट्र आपका अभिनंदन कर रहा है । विशेष रूप से आपने संविधान की आपत्तिजनक धारा 35a और 370 को हटाकर जिस प्रकार अपने साहस का परिचय दिया है , उससे निश्चय ही आप समकालीन इतिहास के एक दैदीप्यमान नक्षत्र के रूप में स्थापित हो गये हैं ।

यह दोनों आपत्तिजनक अनुच्छेद हमारे देश के लोगों को पहले दिन से ही चुभते आ रहे थे । अब इनका समूलोच्छेदन कर आपने बहुत ही राष्ट्रभक्ति पूर्ण कार्य किया है । देश के लोग अब आप से ही अपेक्षा करते हैं कि जिस प्रकार आपने इन दोनों धाराओं का समूलोच्छेदन कर साहसिक निर्णय लिया है , वैसा ही निर्णय आप देशहित में समान नागरिक संहिता को लागू करा कर लेंगे । इससे हमारे देश के संविधान की मूल भावना के अनुसार शासन करने की संविधान सभा और संविधान निर्माताओं की भावना का सम्मान हो पाएगा ।जब तक समान नागरिक संहिता अक्षरश: लागू नहीं हो जाती है और जब तक लोग अपने निजी कानून के अनुसार चलने की यहां पर पैरोकारी करते रहेंगे , तब तक संविधान का वह उद्देश्य पूर्ण नहीं होगा जिसके अनुसार हमारे संविधान निर्माताओं और संविधान सभा ने यह संकल्प पारित किया था कि अब हमारे देश में भविष्य में जाति , सम्प्रदाय व लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा और सभी एक ही कानून व एक ही संविधान से शासित और अनुशासित होंगे ।हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप देश की सामाजिक व राजनीतिक विसंगतियों को समाप्त करने और देश में भेदभाव को बढ़ावा देने वाले निजी कानूनों की वकालत करने वाली मानसिकता पर प्रतिबंध लगाने हेतु देशहित में इस साहसिक निर्णय को लेकर देश की महान सेवा कर पाएंगे ।

भवदीय

डॉ राकेश कुमार आर्य
राष्ट्रीय अध्यक्ष : राष्ट्रीय प्रेस महासंघ

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