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आओ कुछ जाने

*घ से घोड़ा, बचा है थोड़ा*

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लेखक आर्य सागर खारी 🖋️।

पालतू प्राणियों में भारतवर्ष में प्राचीन वैदिक काल से ही गौ के पश्चात अश्व अर्थात घोड़े का सर्वाधिक महत्व रहा है। वैदिक काल में होने वाले बड़े-बड़े यज्ञों में दक्षिणा में गौ के पश्चात अश्व देने का भी व्यापक विधान मिलता है अश्वमेध यज्ञ की तो प्रधान विषय वस्तु घोड़ा ही है ।राजा महाराजा परस्पर भेंट स्वरूप उपहार में उत्तम नस्लों के तैयार मालवाहक व युद्धक घोड़े भी देते थे। महाभारत ग्रंथ इसकी ऐतिहासिक साक्षी है। अश्वो की देखरेख के लिए प्रत्येक राज्य में अश्व विभाग होता था। अश्वो की चिकित्सा संरक्षण संवर्धन के लिए अश्व संहिता लिखी गई। वेदों में जिन पालतू प्राणियों का नाम सर्वाधिक आया है उनमें गाय के पश्चात घोड़ा दूसरा है। आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि अश्वगंधा को तो नाम ही अश्व जैसी गंध के कारण मिला है।आम जन से लेकर राजवंशों ने इसकी पीठ पर सवार होकर सफलता के शिखरों को चुमा है। युद्ध हो या शांति काल घोड़े के बगैर जीवन निर्वाह की कल्पना नहीं की जा सकती थी। एक धावक अरबी या काठियावाड़ी घोड़ा 50 से लेकर 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक दौड़ सकता है।

पूरे विश्व में घोड़े की 300 से अधिक नस्ल पाई जाती हैं ।भारतवर्ष में भी दर्जनों घोड़े की नस्ल हैं जो आदिम वन्य जंगली घोड़ो से विकसित हुई। मारवाड़ी रेगिस्तान के घोड़े में अलग सामर्थ्य है तो पहाड़ का भूटानी घोड़ा अलग चुनौती परिवेश का सामना करने के लिए बना है लेकिन चिंताजनक आंकड़ा यह है वर्ष 2019 की राष्ट्रीय पशु गणना में घोड़े की आबादी तीन लाख से कम पूरे देश में रह गयी है । लोहे के घोड़े कार ,रेल , हवाई जहाज ने जीते जागते हाड मांस के घोड़ों को प्रचलन से बाहर कर दिया है। हो सकता है एक दिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सर्वाधिक बुद्धिमान रफ्तार के शौकीन इंसान को भी प्रचलन से बाहर कर दें।

घोड़ा बेहद ही रोचक जंतु है। घोड़े को लेकर कुछ रोचक तथ्य निम्न है।

1 घोड़ा अकेला ऐसा जानवर है जो अधिकांस खड़ा होकर सोता है।

2 घोड़ा मुंह से सांस नहीं ले सकता।

3 घोड़ा कभी वोमिट अर्थात उल्टी नहीं कर सकता।

4 घोड़े की सुनने की क्षमता जबर्दस्त होती है 4 किलोमीटर दूर से भी है किसी आहट को सुन सकता है।

5 हाथी के बाद घोड़े की याददाश्त सर्वाधिक होती है। यह अपने स्वामी सेवक को कभी नहीं भूलता। इसकी आंखों पर पट्टी भी बांधी जाए तो अजनबी के स्पर्श को यह पहचान लेता है।

6 घोड़े की आयु 30 वर्ष होती है।

7 घोड़े के बच्चे पैदा होते ही दौड़ने लगते हैं।

8 पहले माना जाता है घोड़ा कलर ब्लाइंड होता है लेकिन अब यह सिद्ध हो गया है यह रंगों को पहचान सकता है।

9 यु तो घोड़ा 360 डिग्री पर देख सकता है बगैर घूमे लेकिन इसे अपने चहरे नाक के ठीक सामने व पूछ के ठीक पीछे की कोई वस्तु दिखाई नहीं देती यह इसके ब्लाइंड स्पॉट है।

10 घोड़ा एक समय में दो गंध को सूंघ सकता है। सूंघकर यह अपने सेवक को भी पहचान लेता है। स्वामी भक्ति इसमें कूट-कूट कर भरी होती है।

11 घोड़ा उत्तम तैराक भी होता है।

 *लेखक आर्य सागर खारी*।

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