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अलीबाबा और चालीस चोर की कहानी सुनी है

✍️मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

बचपन में हम सभी ने “अलीबाबा और चालीस चोर” की कहानी पढ़ी और सुनी जरूर होगी। इस कहानी पर एक फ़िल्म भी बनी थी जिसमें महान अभिनेता धर्मेंद्र ने अलीबाबा की भूमिका निभाई थी।
उस वक़्त इस कहानी को भले ही काल्पनिक मान लिया गया हो परन्तु आज के राजनीतिक परिवेश में यह कहानी एक सच्चाई के रूप में उभरकर हमारे सामने आई है।
आज पूरे देश की जनता यह स्पष्ट रूप से देख पा रही है कि एक ओर अलीबाबा के रूप में हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं और दूसरी ओर वह तमाम 40 चोर हैं, जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं।
इनमें तमाम वह लोग शामिल हैं जिन्होंने इस देश से गरीबी हटाओ का नारा दिया था, किंतु इन्होंने गरीबों को ही हटा दिया। यह वह तमाम लोग हैं जिन्होंने जनता की गाढ़े खून-पसीने की कमाई को लूट-लूट कर अपने ख़ज़ाने भर लिए। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने मूक प्राणियों को नहीं बख़्शा और उनका भी चारा खा गए।
कोई जनता को शराब पिलाकर लुटता रहा तो कोई उनकी जमीनों को हड़पता रहा।

आज सारे चोर उसी “राम” के मैदान पर एकजुट हैं जिस राम को वह काल्पनिक मानते रहे, जिस राम नाम से इन्हें नफ़रत है, आज उसी राम के मैदान पर अपनी चोरी को छुपाने के लिये एकजुट नज़र आ रहे हैं।
एक अकेला अलीबाबा इन 40 चोरों पर भारी पड़ रहा है।

✍️समाचार सम्पादक, हिंदी समाचार-पत्र,
उगता भारत

👉यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं, इनसे आपका सहमत होना, न होना आवश्यक नहीं है।

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