श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के भव्य मंदिर में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बारात के फूफा जी जैसे मुंह फुलाकर बैठे धर्माचार्यों से आग्रह।

खुला पत्र======
पूज्य चरण धर्माचार्य महानुभाव गण।।
आज जब कि संपूर्ण विश्व के हिंदुओं में एक गौरवशाली उल्लास व्याप्त है चतुर्दिक हर्ष का वातावरण है।500 वर्षोपरांत सनातनी हिंदुओं को वैश्विक स्तर पर विजयानुभूति हो रही है।टोपी लगाकर इफ्तार पार्टियों में बिना बुलाए पहुंच कर धन्य होने की परिपाटी लुप्तप्राय हो चली है।इस देश के शाशक तिलक लगाकर मंदिरों में दंडवत करते हुए हिंदुओं के गौरव में अभिवृद्धि कर रहे हैं ऐसे वातावरण में कुछ धर्माचार्य लोग छोटी छोटी बातों का बतंगड़ बनाते हुए अपनी नाक कटाकर दूसरे का सगुन बिगाड़ने में तत्पर हैं।इस आत्म घाती बर्ताव से उन्हें कुछ लाभ तो मिलना नहीं है हां सनातनी हिन्दुओं की दृष्टि में उनका स्थान छोटा अवश्य हो जाएगा।आप लोगों का पहला दर्द ए है कि इसमें आर एस एस विश्व हिन्दू परिषद और बीजेपी वाले क्यों संलग्न हैं। श्रीमान जी आप लोग संलग्न हो जाते किसने रोका था बल्कि ए सारे संगठन आप लोगों को सिर आंखों पर बिठाते थे लेकिन वह अवसर भी गंवा दिया आप लोगों ने।इन लोगों ने लाठी गोली खाया है अशोक सिंघल जी के सिर पर जब लाठी लगी तो रक्तधार बहते हमने स्वयं देखा है।तीन तीन सरकारें कुर्बान किया है इन लोगों ने सरयू को अपने रक्त से लाला किया है।शरद राम कोठारी और ऐसे सैंकड़ों ने माता का आंचल सूना किया है।जब राम मंदिर आंदोलन शिखर पर था उसी समय धर्मद्रोही सरकार के हाथों खेलते हुए एक अलग ट्रस्ट बना कर राम जन्मभूमि आंदोलन को शक्ति हीन करने का कार्य आप लोगों द्वारा किया गया।अभी कुछ मास पूर्व ही अभिषिक्त एक शंकराचार्य भगवान को एक दूसरे शंकराचार्य द्वारा ब्राह्मणेतर घोषित किया गया और उन्हें शंकराचार्य मानने से अस्वीकार कर दिया महाभाग ने।आप लोगों के श्री चरणों में बारम्बार निवेदन है कि जिसके विरोध में आप लोग धरती पाताल एक कर रहे हैं बड़े सौभाग्य से भारत को ऐसा प्रधानमंत्री मिला है। श्रीमान जी आप लोग कहते हैं कि वो ब्राह्मणेतर है इस लिए उनके छूने से मूर्ति अशुद्ध हो जाएगी भगवन एक इसाई महिला द्वारा एक शंकराचार्य स्वामी द्वारा ही भगवान शिव की प्रतिष्ठा और अभिषेक कराया गया था। तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी तट पर वैदिक ब्राह्मणों द्वारा उसी इसाई कुलोत्पन्न और पारसी बहू का वेद मंत्रों द्वारा अभिषेक कराया गया तब आप सब का कट्टर वैदिक धर्म कहां चला गया था।महाभाग वर्तमान प्रधानमंत्री 40 वर्षों से दोनों नवरात्रों में व्रत रहते हैं सतत् सनातनी मानविंदुओं की गरिमा अभिवृद्धि का प्रयास करते हैं। पूर्णतः शाकाहारी हैं कभी मद्य पान नहीं किया चरित्र वान हैं और सबसे बड़ी बात इस देश के वर्तमान शाशक यानी राजा हैं और शाश्त्र राजा में देवताओं का अंश होता है ऐसा अनेकों बार उद्घोष करता है ।हां वह राजा धार्मिक होना चाहिए।भगवन काल परिस्थिति के अनुसार ही धर्म पालन होता है दक्षिण भारत जैसे हिमालय का निवासी त्रिकाल स्नान कर के यमलोक का पथिक नहीं बन सकता। मुझे स्मरण आता है बीर सावरकर का एक वक्तव्य जिसमें उनके द्वारा विधर्मियों को भी हिंदू बनाने का आंदोलन चलाया गया जिसमें हजारों विधर्मियों ने हिंदू धर्म स्वीकार किया उस समय ऐसे ही धर्म ध्वजा धारियों ने विरोध किया कि सावरकर ब्रह्मा द्वारा बानाई गई व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर रहा है।यह वक्तव्य सुनते ही सावरकर हंसते बोले अगर ब्रह्मा की बनाई व्यवस्था को मैं बदल रहा हूं तो इसका सीधा सा मतलब है कि मैं ब्रह्मा से भी बड़ा हूं। फिर यदि ब्रह्मा ने मानव के लिए यह व्यवस्था बनाई तो क्या विदेश के मानव ब्रह्मा द्वारा नहीं बनाए गए क्यों कि वो यह व्यवस्था नहीं मानते।एक कहावत है जैसी बहे बयार पीठ पुनि तैसी कीजै। स्वामी जी युग बदल चुका है झुंड के झुंड धर्मद्रोही मैदान में आ चुके हैं।भारत की हर पार्टी धर्म द्रोह में लिप्त है।खडके के सपूत ने सनातन को कोरोना की संज्ञा दे ही दिया और उससे जबाब तक नही मांगा गया केंद्रीय नेतृत्व द्वारा ।कोई एड्स बोल रहा है स्वामी प्रसाद मौर्य सीधे सीधे जुतियाने की बात कर रहा है। चंद्रशेखर जो कि बिहार का शिक्षा मंत्री श्री फतह बहादुर तेजस्वी यादव कितने गिनाऊं महाराज रातों दिन राक्षसी वक्तव्य देकर शान से घूम रहे हैं उनके प्रदेशों में एक विरोध मार्च निकालने तक की क्षमता तो दिखा नहीं पाए आप लोग।बस मीन मेख निकालने में प्रवीण हैं।एक गांव में आग लगी प्रचंड ज्वाल मालाएं आकाश चूमने लगीं सारे लोग घड़े बाल्टी ले ले कर पानी डालने लगे उसी समय एक चिड़िया आई और तालाब से चोंच में पानी भरकर एक एक बूंद आग में डालने लगी। किसी ने पूंछा अरी पागल तेरे एक बूंद पानी से ए आग नहीं बुझेगी तो चिड़िया ने कहा मैं भी जानती हूं फिर भी पानीं इसलिए डाल रही कि भविष्य में जब इस गांव का इतिहास लिखा जाएगा तो मेरा नाम आग लगाने वालों में नहीं बल्कि आग बुझाने वालों में लिखा जाएगा।बस वही बात है महराज इतिहास में ऐसे अवसर बार बार नहीं आता शताब्दियों तक रामजन्म भूमि मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का अवसर नहीं आएगा हमारे आपके जीवन में तो कतई नहीं। मोदी मुख्य यजमान नहीं है विद्वान आचार्यों की अध्यक्षता में एक दंपति जो कि 15 तारीख से ही सरयू स्नान और व्रत रख कर इस महा आयोजन के यजमान बनेंगे।मोदी तो मात्र अंतिम समय में एक प्रकार से लोकार्पण करने आ रहे हैं।हां अगर इतना वृहद आयोजन करके जिन भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा हो रही है अगर वो भारत के धार्मिक प्रधानमंत्री के स्पर्श से अछूत हो जाएंगे तब तो केवट निषाद कोल किरातों के साथ 14 वर्ष बिताने और शबरी के जूठे बेर खाकर वो पहले ही अछूत बन गये हैं आप लोगों की भाषा में।भगवन पुराणों में ऐसी ऐसी कथाएं हैं कि कोल किरात भील कसाई इनमें जो भक्त हुए वो लोग जो खाते थे उसी का भोग भी लगाते थे और भगवान उसे भी उतने ही प्रेम से ग्रहण करते थे जैसे आप जैसे धर्माचार्यों का राज भोग।हिन्दू समाज बडी आशा और श्रद्धा से आप लोगों की ओर देख रहा है कृपा करके इस गौरवशाली छण के साक्षी बनें अपने सनातनी भक्तों का मान सम्मान बढ़ाएं रूठने के और अनेक अवसर आएंगे अगर ऐसा न हुआ तो एक बहुत बड़ा सनातनी वर्ग अपमानित होगा उसकी कोमल श्रृद्धा को आघात लगेगा। सनातन धर्म के आप जैसे दंडधारियों और हम जैसे कुलीन गर्ग गौतम सांडिल्यों के बल पर नहीं टिका है इसे टिकाने में भोले-भाले देहाती लोग सेठ साहूकार किसान ग्वाल बाल मजदूर वर्ग साफ सफाई करने वाले तथा देहातों की अनपढ़ मां बहनें इन सबका अपने अपने स्तर का योगदान है। अकेला चना भाड नहीं फोड़ता। आचार्य गण अन्यथा न लें मेरे मन में आप सब के श्री चरणों में अगाध श्रद्धा है किन्तु आप लोगों के इस बाल हठ ने उसे विखंडित भी किया कृपा करें स्वयं चल कर अवध जाऐं और मैं तो कहूंगा कि अपने अपने मठों की अपार धनराशि में कुछ अंश आप लोग भी समर्पित करें राम लला की सेवा में सनातनी हिन्दू बहुत गौरवान्वित होंगे इस निर्णय से और एक शंकराचार्य महभाग ने यह कह कर कि हम वहां ताली बजाने जाएं क्या महराज श्री हिंदुओं के आस्था के हिमालय भगवान पूर्ण ब्रह्म राम लला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पर ताली बजाना आप हल्का कार्य समझते हैं अगर हम हिंदुओं के इस गौरवशाली छण में ताली बजा देना आप अपनी तौहीन समझते हैं तो क्षमा करें आपके बिना भी भगवान मिल सकते हैं। पुनः विचार करें एकांत में चिंतन करें हिंदुओं को आह्लादित करें प्रभु।श्री चरणों में कोटिशः प्रणाम स्वीकार करें।

जै जानकी जीवन मानस महारथी पं निर्मल कुमार शुक्ल द्वारा समस्त सनातनी धर्माचार्यों को खुला पत्र और निवेदन।।

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