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ग्रेटर नोएडा में संपन्न हुआ 21 कुंडीय यज्ञ का कार्यक्रम : स्वामी श्रद्धानंद को उनके बलिदान दिवस पर किया गया याद

ग्रेटर नोएडा। यहां स्थित पी 3 सेक्टर के डी ब्लॉक के पार्क में
21 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान आचार्य संजीव रूप ने कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज द्वारा स्थापित किए गए आर्य समाज ने अनेक बलिदानी सपूत देकर भारत की स्वाधीनता के आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज ऐसे सपूतों में अग्रगण्य हैं। उन्होंने हिंदू शुद्ध सभा नामक संगठन खड़ा किया और जो लोग जबरन वैदिक धर्म से इस्लाम में दीक्षित कर लिए गए थे उनके घर वापसी का रास्ता सुनिश्चित किया। स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज के कारण लाखों मुसलमान को फिर से हिंदू बनाया गया। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए अपने प्राण दिए और अंतिम समय तक भारत की स्वाधीनता के लिए कार्य करते रहे। अवसर पर आचार्य संजय याज्ञिक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने वैश्विक आजादी के लिए संघर्ष किया था। इसके क्रांतिकारी आंदोलन के कारण अंग्रेजों को न केवल भारत को छोड़ना पड़ा था बल्कि विश्व के अन्य देशों से भी अपना बोरिया बिस्तर बांधना पड़ गया था। इस प्रकार भारत की क्रांतिकारी विचारधारा ने भारत के साथ-साथ अन्य अनेक देशों को भी आजादी दिलवाई थी। स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज के कारण भारत में क्रांतिकारी विचारधारा को और भी अधिक बल मिला। उन्होंने अनेक क्रांतिकारियों को तैयार किया और देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने इस अवसर पर कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज के कारण मुसलमान बनने से रोका गया। उनका यह कार्य देश की बहुत बड़ी सेवा के रूप में सदा स्मरण किया जाएगा। उन्होंने गांधी जी की तुष्टिकरण और धर्मनिरपेक्षता की नीतियों में कभी विश्वास नहीं किया बल्कि सच को सच कहने का साहस दिखाया। उन्होंने कहा कि हमें अपने त्योहारों की वैदिक परंपरा में विश्वास रखना चाहिए और उनकी वैज्ञानिकता को समझना चाहिए। श्री आर्य ने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व वास्तव में 22 दिसंबर को आता है। इसी दिन महाभारत में भीष्म पितामह का देहांत हुआ था और युधिष्ठिर के द्वारा पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था। उन्होंने कहा कि 25 दिसंबर को हम क्रिसमस का पर्व याद रखने लगे, जबकि इसी देश की आजादी की रक्षा के लिए महाराजा सूरजमल का बलिदान हुआ था। जिसे हमने पूरी तरह भुला दिया है। इसके साथ ही साथ भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई और पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती को भी हम उतना सम्मान नहीं देते जितना क्रिसमस डे को देते हैं। उन्होंने कहा कि चमकौर के युद्ध में गुरु गोविंद सिंह जी के दो बेटों ने अपने अन्य 39 साथियों के साथ मिलकर मुगलों की लाखों की सेना को परास्त कर भगाया था और अपना बलिदान दिया था। यह तिथि 22 दिसंबर है, जबकि उनके दो बेटों को जिंदा दीवार में चुनवाने की घटना 27 दिसंबर 1704 की है। हमारा वास्तविक बलिदान दिवस 27 दिसंबर ही माना जाना चाहिए।
इस अवसर पर प्राचार्य रश्मि आर्या ने भी अपने विचार व्यक्त किये और आर्य समाज की क्रांतिकारी विचारधारा के ऊपर प्रकाश डालते हुए कहा कि आर्य समाज की वेद भक्ति और राष्ट्रभक्ति ही हमारी वर्तमान राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान कर सकती है । इस अवसर पर आचार्य प्राण देव और आचार्य सोमपाल शास्त्री द्वारा विद्यार्थियों के निर्माण को ही राष्ट्र निर्माण की संज्ञा दी और गुरुकुल राजघाट के ब्रह्मचारियों के माध्यम से उपस्थित युवा शक्ति का मार्गदर्शन किया। महेश क्रांतिकारी ने अपने ओजस्वी विचारों को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया और भारत के इतिहास की बलिदानी परंपरा पर अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक रहे नागेश आर्य ने भी अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि यज्ञ की संस्कृति से ही देश के युवाओं का निर्माण हो सकता है। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री देव मुनि जी महाराज ने उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ वेद मित्र आर्य ने कार्यक्रम की संपन्नता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मैं इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अपनी टीम और ग्रेटर नोएडावासियों को ही जिम्मेदार मानता हूं। इस अवसर पर प्रताप सिंह आर्य, आर्य सागर खारी, राकेश यादव, रविंद्र कुमार आर्य , श्रुति आर्य श्रीमती ऋचा आर्य अमन आर्य आदि सहित अनेक गणमान्य लोक उपस्थित थे।

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