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कविता

रखो धैर्य विश्वास जानकी हर मुश्किल का हल होगा

रखो धैर्य विश्वास जानकी हर मुश्किल का हल होगा,
सोने का मृग नहीं चुनो तुम; इसमें निश्चय छल होगा,

सपनों में जो सोच रही हो उसके लिए प्रयास रखो,
उम्मीदों को मत छोड़ो और पंखों पर विश्वास रखो,
जिसकी चाहत है तुमको वो पास तेरे कुंदन आएगा,
महकायेगा जो तन मन; निश्चय वो चंदन आएगा,
किंतु भटकना नहीं राह से; पछतावा फिर कल होगा,
सोने का मृग नहीं चुनो तुम; इसमें निश्चय छल होगा,

लड़की हो तुम एक रत्न सी विक्रय का सामान नहीं हो,
बार बार जो बदली जाओ तुम कोई परिधान नहीं हो,
कुल समाज की मर्यादा का खुद ही स्वर्ण कलश हो तुम,
दो दो घर की आभा हो तुम मोर मुकुट हो यश हो तुम,
हर पात्र अधर तक मत लाना संभव भरा गरल होगा,
सोने का मृग नहीं चुनो तुम; इसमें निश्चय छल होगा,

ये अल्हड़ सी उम्र ही ऐसी मन करता है उड़ने को,
अनदेखी अनचढ़ी सीढियां जल्दी जल्दी चढ़ने को,
इक तितली की तरह दौड़कर पुष्पों के आलिंगन को,
बासंती झोंके के जैसे हल्के हल्के स्पंदन को,
किंतु बताओ लाक्षागृह का पथ भी कहां सरल होगा,
सोने का मृग नहीं चुनो तुम; इसमें निश्चय छल होगा,

©®
“चेतन” नितिन खरे
कवि एवं लेखक
मो. +91 9582184195

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