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डॉ डी के गर्ग
भाग 2

निवेदन ; ये मेरा अनूठा प्रयास है जिसमे आपसी पारिवारिक संबंधों पर सूत्र दिए हैं,कोई गलती या सुधार के लिए मेरा मार्गदर्शन करे और अच्छा लगे तो शेयर करे।
कुल 101 सूत्र है जो पांच भागों में है।

21 मित्र को अपने घरेलू मामलो में हस्तक्षेप का मौका ना दे, और घरेलू झगड़े स्वयं निपटाए समय का इंतजार करे।
२२ जिनके घरेलु मामलो में दोस्त ,रिश्तेदार एक तरफ़ा सलाह देते है जिसमे किसी को विजयी बनाने के लिए उकसाते है ,ऐसे परिवार का विघटन और पतन निश्चित है।
२३ मित्रो के साथ देर रात तक व्यर्थ घूमना फिरना, उनके साथ समय व्यतीत करना ,हरदम मष्तिष्क में दोस्तों को याद करने वाला व्यक्ति कभी अच्छा व्यवसायी नहीं हो सकता ,कभी उन्नति नहीं कर सकता ,वह अपने जीवन के अमूल्य समय को नष्ट कर रहा है।
२४ अपनी हैसियत से ज्यादा धनि मित्र बनाने वाला ,मित्रो के पैसे से आनंद करने वाला व्यक्ति कभी सम्मान नहीं पा सकता ,वह हीनता का शिकार रहता है।
२५ मित्रता हमेशा सामान धर्म,कर्म आयु, बल ,बुद्धि ,सोच आदि वालो के साथ लम्बे समय तक चलती है।
26 जो मित्र संकट के समय काम आए और अहसान ना जताए ,ऐसे मित्र का सम्मान करना चाहिए और उसकी मदद के लिए तत्पर रहना चाहिए
27 नशा करने वाला, जुआ खेलने वाला ,झूट बोलने वाला,नास्तिक, परम अंधविश्वासी,अहंकारी व्यक्ति को ना तो मित्र बनाए और ना ही रिश्तेदार।
28. वैवाहिक संबंधों के लिए जिस घर में पति शांत रहे और पत्नी को आगे रखे,ऐसे परिवार में संबंध ना करे ,ऐसे परिवार की पुत्री को संस्कारी ना समझे और वह जल्दी घर का विघटन कर देगी ,पुत्र का सम्मान नही करेगी,परिवार ने कलह जारी रखेगी।
29. विवाह संबंध के लिए यदि दूसरा पक्ष अपनी धन दौलत और सामाजिक प्रतिष्ठा को बार बार दोहराएं ,तो ऐसे परिवार से रिश्ता ना जोड़े।
30. रिश्तेदार जब मदद मांगे तब करे,उसकी मुसीबत में बिन बुलाए मदद करे,लेकिन यदि एक तरफा लगे। तो संबंध सीमित ही रखे अन्यथा जल्दी खटास आ जाएगी
३१ बात बात पर क्रोध करने वाला , बिन मांगे सलाह देने वाला, झूट बोलकर भ्रमित करने वाला ,नशा करने वाला ,अपने माता पिता की बुराई करने वाला ,अनावश्यक खर्चा करने वाला कभी अच्छा मित्र नहीं हो सकता।
३२ जो बेटी घर में माँ बाप से दूरी बनाना सुरु कर दे, घर में अकेले रहना पसंद करे उसकी गतिविधि संदिग्ध हो सकती है या किसी मानसिक परेशानी से ग्रस्त हो सकती है ,माता पिता को चाहिए की उसको जिम्मेदारियां देना सुरु कर दे।
३३ ध्यान रखना चाहिए की जो पुत्र या पुत्री माता पिता की आज्ञा का पालन ना करती हो ,उनके विरुद्ध आचरण करे ,ऐसी संतान कभी सुख नहीं पायेगी और त्याज्य है।
३४ सास को चाहिए की वधु को रसोई का काम सौप दे और उसकी मदद करे ,भोजन बनाने में उसकी रुच पैदा करे। इससे घर में खुशहाली आती है।
३5 जो वधु संयुक्त परिवार में रहते हुए भी केवल अपने पति के हिट की सोचे, उसी को भोजन खिलाये ,परिवार के अन्य सदस्य केवल नाम मात्र के रहे , ऐसी वधु परिवार के लिए कलंक और विघटन करि साबित होगी ।
३६ जो परिवार एक साथ बैठकर भोजन करे अथवा सभी त्योहारों पर एक साथ भोजन करे ,उनके ठहाको की आवाज दीवारों में सुनाई दे ,ऐसा परिवार प्रगतिशील होता है।
37 आपका दुख आपका ,आपका काम हो या ना हो ,मुझे क्या,वाली सोच के मित्रो से कभी मदद मांगने के बजाय दूरी बनाकर रखना चाहिए
38 यदि कोई मित्र बनकर,रिश्तेदार बनकर,संबंधी बनकर गद्दारी करे तो उसके इस तरह से फेक दे जैसे धोबी कपड़े को पटक के फैकता है।
39 पत्नी को चाहिए कि बच्चो में पिता का सम्मान , पिता का भय,उसकी हरेक आज्ञा का पालन करने के संस्कार दे अन्यथा बच्चे बड़े होने पर हाथ से निकल जायेंगे ।और परिवार अस्त व्यस्त हो जायेगा ।
40.जिस परिवार में इस्त्री पति को बच्चो के सामने सीख देती रहती है, बच्चो और पिता के बीच अक्सर हस्तक्षेप करती है ,बच्चो के सामने पिता का अपमान करती है,ऐसे बच्चे आगे चलकर माता पिता का सम्मान नही करते ,बल्कि सक्षम होने पर तिरस्कार करते हैं और ऐसे परिवार को मित्रो का हस्तक्षेप बर्बाद कर देता है।

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