स्वामी दयानंद जी महाराज की 200 वीं जयंती के अवसर पर: गुरुकुल मुरसदपुर में यमुना तट पर हुआ ऐतिहासिक 200 कुंडीय यज्ञ संपन्न

ग्रेटर नोएडा ( विशेष संवाददाता ) यहां स्थित गुरुकुल मुरसदपुर में स्वामी दयानंद जी महाराज की 200 वीं जयंती के अवसर पर 200 कुंडीय यज्ञ का सुंदर और भव्य आयोजन किया गया। यज्ञ की भव्यता और सुंदरता देखते ही बनती थी। हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने यज्ञ में आहुति देकर वेद भगवान और यज्ञ के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की। कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कार्यक्रम की संचालक समिति की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम कर रहे आर्य सागर खारी ने उगता भारत को बताया कि इस अवसर पर यज्ञ का ब्रह्मत्व आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान और यज्ञ के मर्मज्ञ स्वामी यज्ञ देव जी महाराज द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही यज्ञ केवल धार्मिक क्रिया के अंग के रूप में ही मान्य नहीं था, अपितु इससे पर्यावरण पारिस्थितिकी सन्तुलन एवं नैरोग्य भी प्राप्त होता था। स्वामी जी महाराज ने कहा कि यज्ञ एक रासायनिक क्रिया है। यज्ञ इस सृष्टि का मूल है। परमपिता परमेश्वर की बनाई हुई सृष्टि भी एक विशाल यज्ञ का अंग है।

लघु का विस्तार से वर्णन किया और बताया कि इस रासायनिक क्रिया के माध्यम से किस प्रकार हमारे स्वास्थ्य की रक्षा होना संभव है । उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि यज्ञ की रासायनिक क्रिया के मध्यम से वायु की शुद्धि होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य तीन प्रकार से अपने स्वास्थ्य की रक्षा करता है। एक स्थूल भोजन लेकर जो किसी ठोस वस्तु के ग्रहण करने से लिया जाता है। दूसरे दूध, जूस , पानी आदि द्रव्य पदार्थों के माध्यम से और तीसरे शुद्ध वायु के सेवन से। इनमें से बिना भोजन के व्यक्ति महीने 2 महीने जीवित रह सकता है। बिना जल के भी कुछ घंटे समय गुजर सकता है पर वायु रूपी भोजन यदि ग्रहण नहीं किया गया तो मिनट 2 मिनट में ही आदमी की जिंदगी समाप्त हो जाती है। इसलिए वायु की शुद्धि बहुत आवश्यक है। जिसे हम यज्ञ के माध्यम से ही कर सकते हैं।
पदार्थ विद्या के अनुसार इसमें द्रव्य अविनाशी नियम लागू होता है। जब अग्नि में कोई वस्तु डाली जाती है, तो अग्नि इसके स्थूल रूप को तोड़कर सूक्ष्म बना देती है।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि घी की आहुति देने से जो पदार्थ उत्पन्न होते हैं, उनमें हाईड्रोकार्बनों की मात्रा पर्याप्त हाती है। ये हाईड्रोकार्बन यज्ञ कुण्ड के तापांश पर ऑक्सीजन से मिलकर कुछ अन्य पदार्थ बना लेते हैं । मेथेन ऑक्सीकरण कर मेथिल एल्कोहल तथा फार्मेल्डिहाइड आदि बना लेती है, क्योंकि ये पदार्थ वायु में मिलते रहते हैं। इसलिए फार्मेल्डिहाइड के ओक्सीकृत हो जाने की बहुत कम सम्भावना है। फार्मेल्डिहाइड गैस कृमियों का नाश करके वायु को मनुष्योपयोगी बना देती है। फार्मेल्डिहाइड से घरों के कृमियों का नाश तथा वायु को सुगन्धित किया जाता है। वायु शुद्धि के लिए फार्मेल्डिहाइड लैम्प बनाए गए।
इस अवसर पर देश के कोने-कोने से विभिन्न विद्वानों की उपस्थिति रही। हजारों की संख्या में लोगों ने यमुना तट पर हो रहे इस ऐतिहासिक यज्ञ में पहुंचकर यज्ञ स्नान किया। अनेक विद्वानों ने इस ऐतिहासिक अवसर पर अपनी उपस्थिति देकर कार्यक्रम को और भी अधिक भव्यता प्रदान कर दी। आर्य वीर दल के नेता पंकज कुमार ने इस अवसर पर कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज ऐसे इतिहास पुरुष हैं जिन्होंने हमको झकझोर कर जगाया था और हिंदू जाति को उठ खड़े होकर अपने लक्ष्य को पहचानने अर्थात आजादी को लाने की प्रेरणा दी थी। आचार्य कुंवरपाल शास्त्री ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में स्वामी दयानंद जी महाराज के बारे में बताया कि उन्होंने मां भारती के सभी सपूतों को वेदों की ओर लौटने का आवाहन किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि देश आध्यात्मिक क्रांति के साथ-साथ राजनीतिक क्रांति के क्षेत्र में भी छलांगें मारने लगा।
इस अवसर पर अनेक विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये और इस बात पर बल दिया कि देश की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को लागू किया जाए । भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर पूर्व विधायक सतवीर गुर्जर सहित कई वक्ताओं और विद्वानों की मान्यता रही कि गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के माध्यम से ही देश के युवाओं का चरित्र निर्माण किया जा सकता है। जिस राष्ट्र का चरित्र मजबूत होता है वही राष्ट्र आगे बढ़ता है। इसलिए सभी विद्वानों ने चरित्रवान युवा पीढ़ी के निर्माण पर बल देते हुए सरकार से मांग की कि वह स्वामी दयानंद जी के सपनों का भारत बनाने के लिए गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को लागू करें।
इस अवसर पर सरपंच रामेश्वर सिंह, आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान देव मुनि जी महाराज, आचार्य करण सिंह , देवेंद्र सिंह आर्य वरिष्ठ अधिवक्ता, मोहनदेव शास्त्री जी, राजार्य सभा के प्रधान महेंद्र सिंह आर्य, मूलचंद शर्मा, आर्य प्रतिनिधि सभा के पूर्व प्रधान आर्य वीरेश भाटी, प्रताप सिंह आर्य, बलबीर सिंह आर्य, महावीर सिंह आर्य, कमल सिंह आर्य,विजेंद्र सिंह आर्य, आर्य दिवाकर नागर , रामनिवास आर्य एडवोकेट, रमेश आर्य, राजकुमार आर्य एडवोकेट ,ओमवीर सिंह आर्य , जयप्रकाश आर्य आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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