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इसलाम और शाकाहार

कल्पित अल्लाह के झूठे रसूल !

यदि बिना किसी पूर्वाग्रह और पक्षपात के विचार किया जाये तो , अल्लाह का अस्तित्व ही खुद संदेहास्पद है , क्योंकि एक तरफ तो उसे सर्वशक्तिमान बताया जाता है ,और दूसरी तरफ उसे इतना असहाय बताया जाता है कि हर काम के लिए उसे फरिश्तों की मदद लेनी पड़ती है .जो उसका सन्देश लोगों को मौखिक रूप में भेजते हैं . क्योंकि अल्लाह लिखना पढ़ना नहीं जानता . यदि ऐसा होता तो अल्लाह अपनी किताबें लिखवा कर भेज देता . या अपने रसूलों (Agents ) को लिखित नियुक्तिपात्र भेज देता .और अल्लाह की इसी कमी के कारण ही मुसलमानों ने लोगों से मुहम्मद को ,रसूल और कुरान को अल्लाह की किताब मनवाने लिए देश देश बर्बाद कर दिए और करोड़ों निर्दोष लोगों को मार दिया . और यह सिलसिला आज भी चल रहा है .
जैसे मुहम्मद साहब ने बिना किसी योग्यता , और शिक्षा के खुद को अल्लाह का रसूल “एजेंट-Agent ” बना लिया था ,वैसेही मुहम्मद साहब के समय में और उनकी मौत के बाद भी लोग खुद को अल्लाह के रसूल होने का दावा करते आये हैं .इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है ,
1-मुसैलिमह बिन हबीब
-मुसैलिमह बिन हबीब ( مسلمة بن حبيب‎ ) जन्म यमन में हुआ था ,इसने 6 वीं हिजरी में खुद को रसूल घोषित कर दिया , यह मुहम्मद साहब का प्रतिद्वंदी था , और कुरान में जो भी नयी आयतें बनती थीं , उसके विपरीत वैसी आयतें बना कर लोगों को सुनाता था , इसने शराब को जायज बना दिया था . जिस से यमन के आसपास के हजारों अनुयायी बन गए थे , यहाँ तक मुहम्मद के कुछ साथी भी उसे रसुल मानने लगे थे. तब अपनी रसूली को खतरे में देख मुहम्मद साहब ने मुसैलिमह से एक लिखित समझौता किया था ,इसमे आधी धरती उसको देने का वादा किया गया था .
2-सजाह बिन्त हारिस
सजाह बिन्त हारिस ( سجاح بنت الحارث ) एक औरत थी ,इसे काहिन यानि भविष्यवक्ता भी कहा जाता है , यह मुसैलिमह की पत्नी थी .यह पढ़ी लिखी थी , और कविता भी करती थी . लोग इसे जादूगरानी भी कहते थे . यह भी मुहम्मद को झूठा कहती थी .
3-सैफ इब्न सय्यद
सैफ इब्न सय्यद ( سف ابن سيد ) इसका नाम अब्दुल्लाह इब्न सय्यद ( عبد الله ابن سعيد ) भी है . यह भी खुद को रसूल कहता था ,जब मुहमद साहब को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने उसके बारे में जानकारी लेने के लिए जासूस भेजे थे , कि कहीं अल्लाह ने इसे भी रसूल ना बना दिया हो .यह बात हदीस में भी मौजूद है .
बुखारी – जिल्द 2 किताब 23 हदीस 437
4-तुलैहा बिन खुवैलिद
इसका पूरा नाम ” तुलैहा इब्न खुवैलिद इब्न नवाफिल अल असदी – طليحا ابن خويلد ابن نوافل الاسدي ” था .यह बनू असद कबीले का सरदार और काफी धनवान व्यक्ति था .इसने मुहम्मद को एक झूठा नबी और खुद को अल्लाह का वास्तविक रसूल बताया था . इसके भी बहुत अनुयायी बन गए थे .
5-असवद अल अंसी
इसका पूरा नाम “अस्वद अल अंसी – الاسود العنسي‎), ” था .लोग इसे “अबहा बिन कअब -عبهلة بن كعب‎ ” भी कहते थे .इसका काल सन 630 ईस्वी है . इसका दावा था कि जैसे अल्लाह मुहम्मद के लिए आयतें भेजता है ,वैसे मेरे लिए भी जिब्रील आयतें भेजता रहता है . इसने भी कुरआन जैसी आयतें बना रखी थीं , जो पूरे यमन में इबादत के लिए पढ़ी जाती थीं .मुहम्मद इसको अपना शत्रु मानते थे ,क्योंकि इसके कारण मुहम्मद के अनुयायी कम हो रहे थे .
6-महमूद बिन फराज
सन 849 और 850 के बीच समारा शहर में एक व्यक्ति ” महमूद बिन फराज – محمود بن فراج ” ने मुहम्मद साहब की तरह खुद को रसूल घोषित कर दिया .और दावा किया कि जिब्रील मेरे लिए भी अल्लाह की आयतें भेजता है .धीमे धीमे जब इसक अनुयायी पूरे सामरा और बगदाद में फैल गए तो .इस्लाम के मिट जाने के डर से खलीफा ” मुतवक्किल ” ने इसकी हत्या करावा दी .
इन सभी समकालीन रसूलों और नबियों के कारण मुहम्मद साहब इतना डर हो गया कि वह लोगों से कहने लगे कि वह अल्लाह के अंतिम रसूल हैं . और अल्लाह ने उनके बाद रसूल बनाना और भेजना बंद कर दिया है . लेकिन मुहम्मद साहब की इस धमकी के बाद उनके मरने के पश्चात् इस दौर में भी रसूल और नबी पैदा होते रहे ,
7-बाब
अरबी भाषा में ” बाब -باب ” का अर्थ द्वार या ( Gate ) होता है , 18 वीं सदी में “मिर्जा अली मुहम्मद – مرزا علي محمد ” ने खुद को बाब घोषित करके शियाओं में एक बाबी फिरका बना दिया . और कहा कि ही मेहदी यानि अंतिम रसूल हूँ . यही नहीं कुरान और सुन्नियों और शियाओं की सभी किताबें निरस्त हो चुकी हैं .इसलिए अल्लाह के पास जाने के एकमात्र द्वार मैं हूँ . इसके मानने वाले लाखों लोग बन गए थे . लेकिन सन 1850 में किसी ने गोली मार कर इसकी हत्या कर दी
8-बहाउल्लाह
बाब के बाद उसका उत्तराधिकारी ” बहा उल्लाह – بهاء الله‎ ” हुआ था .इसका काल 12 नवम्बर 1817 से 29 मई 1982 तक है . और पूरा नाम “मिर्जा हुसैनी अल नूरी -میرزا حسینعلی نوری‎ ” है .बहा उल्लाह का अर्थ अल्लाह की प्रशंसा ( Glory of God ) है .इसने भी खुद को अल्लाह का प्रतिनिधि बताया था .और ” बहाई धर्म ” की स्थापना की थी . जो शिया फिरके का एक भाग है .इसका दावा था कि मुहम्मद की तरह अल्लाह ने भी उसे एक किताब थी , जिसमे अरबी -फारसी भाषा मिली हुई है .इस किताब का नाम “अल किताबुल अकदस – الكتاب الأقدس‎ ” है .जिसे बहाई मुसलमान कुरान से अधिक पवित्र मानते हैं . बहाई सारी दुनिया में फैले है . दिल्ली में भी एक बहाई मंदिर है .जिसे Lotus Temple कहते हैं .
9-एलिजा मुहम्मद
यह अफ्रीकी और अमेरिकी मिश्रित नस्ल की पैदायश था , जो मुसलमान बन गया , जन्म के समय इसका नाम ” एलिजाह रोबर्ट पूल – Elijah Robert Poole ” था .और मुस्लिम होने का बाद अपने नाम में मुहम्मद शब्द जोड़ कर ” एलीजा मुहम्मद – إلايجا محمد ” बन गया .इसका समय October 7, 1897 से February 25, 1975 तक है .इसने 1930 से अमेरिका के डेट्रॉइट ( Detroit ) और मिशिगन ( Michigan ) में अपनी ही तरह के इस्लाम का प्रचार किया .और अपने संप्रदाय का नाम नेशन ऑफ़ इस्लाम ( Nation of Islam ) रख दिया .यह भी खुद को अल्लाह का रसूल कहता था .लेकिन इसके अनुयायी नमाज पढ़ने की जगह ईसाइयों की तरह प्रार्थना करते थे .
10-करीम आगा खान
इसका पूरा नाम “शाह करीम हुसैनी आगाखान चहारुम – شاه کریم حسینی، آقاخان چهارم‎ ”
” है . यह इस्स्माइली मुसलमानों का चौथा धार्मिक शाह है ,मूलतः ईरान का होने पर भी इसके अनुयायी भारत के गुजरात और मुंबई में बड़ी संख्या में मौजूद है ,इसने सन 1970 घोषणा की थी ,कि अल्लाह ने मुझे इस पृथ्वी पर अपना प्रवक्ता ( Spoke Man ) नियुक्त कर दिया है .इसके अनुयायी कुरान की जगह भजन जैसी कवितायेँ गाते हैं . और मस्जिद की जगह अलग इबादत खाने में जाते हैं .इसके पूर्वज ने एक नकली जन्नत भी बनाई थी . जिसके खंडहर आज भी इरान में मौजूद हैं
11-राशिद खलीफा
वैसे तो इसका नाम ” राशिद खलीफा – رشاد خليفة‎ ” है .लेकिन लोग इसके नाम के आगे ” डॉक्टर ( Doctor ) शब्द लगा देते है .इसका जन्म 19 नवम्बर 1935 को मिस्र में हुआ था , यह अरबी और अमेरिकी नस्ल की मिश्रित नस्ल था . इसने सन 1974 में दावा किया कि मैंने कुरान की गुप्त संख्या 19 के रहस्य का पता कर लिया है .जिस से खुश होकर अल्लाह ने मुझे इब्राहीम से लेकर मुहम्मद तक सभी नबियों साथ मिल कर काम करने को कहा है ,इसलिए राशिद ने “अल मुत्तहिदा बिल तकदीम अत्तौहिदिया – المتحدة بالتقديم الدولية ” नाम का एक संगठन बना दिया अंगरेजी में इसका नाम ” United Submitters International ” है .इसने कहा कि अल्लाह ने मुझे “कुरानियून – قرآنيون‎ ” नाम की किताब दी है . इसलिए सभी हदीसें और वर्त्तमान कुरान निरस्त हो चुकी है .प्रमाण के लिए राशिद ने कुरान की यह आयत दी है “तुम्हारे लिए एक रसूल आया हुआ है , और तुम्हारा कष्ट में पड़ना उसे असह्य है .यह रसूल बड़ा दयालु है .फिर भी लोग नहीं मानें तो कह दो मेरे लिए अल्लाह ही काफी है ” सूरा -अत तौबा 9 : 128 -129
12-अल मिर्जा अब्बास
इसे ” मिर्जा अल अब्बासी – مرزا العبّاسي ” भी कहते हैं , इसने दावा लिया था कि मैंने अल्लाह को देखा है . और रोज उस से बातें करता हूँ . यह ईरान के शहर तेहरान में सन में 1774 पैदा हुआ था और इसकी मृत्यु फिलस्तीन 1818 में हुई थी .
13-शब्बाताई जवी
यह वर्त्तमान काल का एकमात्र यहूदी नबी था . लोग हिब्रू में इसे “सबस्ताई जवी – שַׁבְּתַאי צְבִי ” भी कहते हैं .इसने कहा था कि यहूदी और ईसाई धर्मग्रंथों में भविष्य में होने वाले जिस नबी का उल्लेख किया गया है , और उसके बारे में जो भी विवरण दिया गया है . वह नबी मैं ही हूँ .और मुहम्मद एक फर्जी नबी है .जवी ने 1 अगस्त सन 1926 में ही भविष्यवाणी कर दी थी ,कि एक दिन इस्रायेल एक स्वतन्त्र देश बनेगा .और उसकी यह बात सच हो गयी .
14-सालेह बिन तरीफ
अटलांटिक सागर के तट पर मोरक्को की सीमा के पास “बोरगोता – بورغواطة ” नामका एक छोटा सा राज्य था , जिसका राजा “सालिह बिन तरीफ़ – صالح بن طريف ” था . इसने वहां 47 साल तक राज्य किया . फिर अपना राज्य अपने बेटे को सौंप कर लोगों से कहा कि अल्लाह ने मुझे अपना रसूल नियुक्त कर दिया है . और मेरे ऊपर अल्लाह आयतें नाजिल करता है .सलिह ने उन आयातों को जमा करके एक कुरान जैसी किताब भी बना ली थी . जिसमे 80 अध्याय थे.सालेह ने एक नया धर्म भी चलाया था .यह घटना हिजरी सन 174 और इसवी सन 744 की है . इसके मानने वाले हब्शी लोग थे . जिनकी संख्या लाखों तक हो गयी थी .
15-अबू मंसूर ईसा
मोरक्को के पास एक और छोटा सा राज्य था , जिसका राजा “अबू मंसूर ईसा – ابو منصور عيسي ” था .इसने वहां 28 साल तक राज किया .और हिजरी सन 341 में खुद को अल्लाह का रसूल घोषित कर दिया .
16-हारिस इब्न सईद
उमैय्या खलीफा अब्दुल मालिक बिन मरवान के समय ” हारिस इब्न सईद -حارث ابن سعيد ” नामके व्यक्ति ने खुद को अल्लाह का रसूल घोषित कर दिया .धीमे धीमे उसके अनुयाइयों की संख्या बढ़ने लगी . जब खलीफा को पता चक कि उसके सैनिक भी हारिस को रसूल मानने लगे हैं . तो खलीफा ने सन 698 इसवी में हारिस की हत्या करवा दी .
17-मिर्जा गुलाम अहमद
मुसलमान इसको कादियानी कहते हैं , क्योंकि इसका जन्म 13 फरवरी सन 1835 के भारत के कादियान शहर में हुआ थ. इसका असली नाम ” मिर्जा गुलाम अहमद -مرزا غلام احمد ” था .वह नाम के आगे हिंदुस्तानी शब्द भी लगते थे. इन्होने अहमदिया संप्रदाय चलाया और खुद को मेहदी यानि अंतिम नबी और इस सदी का अल्लाह का सन्देशवाहक घोषित किया . मिर्जा का यह भी दावा था कि ईसा मसीह भारत में आये थे और उनकी कब्र कश्मीर के बारामूला नामकी जगह में है .अहमदिया इसको अल्लाह का खलीफा मानते हैं .
18-मुहम्मद बिन सईद
अब्बासी खलीफा अबू जफ़र अल मंसूर के समय “मुहम्मद बिन सईद – محمد بن سعيد ” ने हदीसों के आधार पर सिद्ध किया था कि मुहम्मद अंतिम रसूल नहीं हो सकता ,बल्कि मैं ही सभी नबियों की मोहर ( seal of prophetes ) हूँ .जब कई मुसलमान भी उस पर ईमान लाने लगे तो खलीफा ने उसे मौत की सजा दे दी .
19-महमूद मुहम्मद ताहा
सन 1985 में सूडान के निवासी ” महमूद मुहम्मद ताहा – محمود محمد طاحه ” ने खुद को अल्लाह का प्रतिनिधि घोषित कर दिया . इसका तर्क था कि अब तक अल्लाह ने दुनिया में जितने भी नबी भेजे हैं , सभी यहूदी और अरबी नस्ल के व्यक्ति थे . लेकिन अल्लाह ने एक अश्वेत व्यक्ति होने कारण अपना रसूल बना दिया है .जब सूडान में उसके लाखों अनुयायी बन गए ,तो वहां की इस्लामी सरकार ने उसका सर कटवा दिया .
20-रियाज गौहर शाही
भारत देश में भी सन 1941 में एक व्यक्ति ” रियाज गौहर शाही -ریاض احمد گوہر شاہی ” जब 34 का हुआ तो उसने लोगों से कहा कि मैंने “सहवान शरीफ ” नामके एक पहाड़ पर तीन साल तपस्या करके अल्लाह का साक्षातकार किया है . और अल्लाह मुझे दैवी सन्देश भेजते रहते हैं .रियाज एक सूफी था . और नमाज की जगह लोगों से कहता था कि ” अल्लाह का स्मरण करो और उसे प्रेम करो .( ذكر و حبُّ الله ). गौहर शाही ने यह भी दावा किया था कि अल्लाह ने मुझे इसी शरीर से चन्द्रमा की सैर करायी थी , और चाँद पर मेरे पैरों के निशान देखे जा सकते हैं . आश्चर्य की बात यह है कि कई मुल्लों ने उसके पक्ष में फतवे भी जारी कर दिए थे .
इस् लेख में सिर्फ 20 ऐसे फर्जी रसूलों यानि अल्लाह के दलालों के विवरण दिए गए है , इन सभी तथ्यों से यह बाते सिद्ध होती है कि 1 . अल्लाह सर्वशक्तिमान नहीं है , उसे दलालों और एजेंटों की जरुरत पड़ती है . 2 . मुहम्मद साहब के समय से लेकर वर्त्तमान कल तक जितने भी रसूल बने हैं सभी बिना किसी नियुक्तिपत्र के खुद ही रसूल बन गए थे ,3 . मुहमद साहब भी ने भी खुद को रसूल घोषित किया था . और उनके जीवन काल में भी लोग उनकी रसूलियत पर विश्वास नहीं करते थे .4 .और सबसे बुरी बात यह है कि जोभी इस्लाम की ऐसी गप्पों पर विश्वास नहीं करता मुसलमान उनको मार डालते है .क्योंकि इस्लाम और बुद्धि एक दुसरे के शत्रु हैं .
हिन्दुओं को चाहिए कि वह भी , हरेक नबी ,रसूल ,पीर , औलिया , साईँ जैसे पाखंडियों से दूर रहें .क्योंकि जैसे यह 20 रसूल झूठे थे वैसे अल्लाह और उसका रसूल मुहम्मद भी है .
(200/127)

ब्रजनंदन शर्मा
( लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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