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इसलाम और शाकाहार

अल्लाह का भी अल्लाह है !?

किसी काम के होने के बारे में ,यदि कोई आपसे यह कहे कि ,राम कहते है ,यदि राम की कृपा हो जाए ,ईसा मसीह कहते हैं ,यदि ईसा मसीह की अनुकम्पा हो ,और खुद इश्वर कहता है ,ईश्वर की इच्छा हो ,तो यह काम हो सकता .तो आपको उस व्यक्ति की यह बातें उसी तरह मूर्खता पूर्ण लगेंगी ,जैसे कोई यह कहे की मैं अपने ही कन्धों पर बैठता हूँ .
लेकिन जब आपको बताया जाये कि अल्लाह खुद कहता है “यदि अल्लाह चाहे
(إن شاء الله” (अरबी में “इंशा अल्लाह ) तो सोचेंगे कि अल्लाह “मैं चाहूँ “की जगह यदि अल्लाह चाहे क्यों कह रहा है .फिर दूसरा अल्लाह कौन है ?
इस पहेली को हल करने के लिए आपको पहले इस्लाम में अल्लाह और कुरान के बारे में जो मान्यताएं है ,उनकी जानकारी देना जरूरी है .मुसलमान कुरान को अल्लाह के वचन मानते हैं ,जिसमे कोई परिवर्तन नहीं हुआ है ,और न होगा .इस विषय को स्पष्ट करने के लिए आपको कुरान से हवाले दिए जा रहे हैं .फिर लेख पढ़ने के बाद निर्णय आपको करना होगा .देखिये –

1-कुरान अल्लाह की वाणी है
अल्लाह खुद कुरान को अपना उपदेश ,अपना कथन कहता है ,बल्कि एक एक शब्द अपने द्वारा कहा हुआ बताता है ,जैसे
“हे लोगो तुम्हारे पास यह अल्लाह का उपदेश ( कुरान )आगया है ” सूरा-यूनुस 10 :57
“यह मानव के लिए अल्लाह का साफ साफ आदेश है ,और इसलिए भेजा गया है की इस से लोगों को सचेत किया जाये “सूरा .इब्राहिम 13 :52 ”
“यह अलह की सर्वोत्तम बातें हैं ,जिसके सभी हिस्से आपस में परस्पर मिले हुए हैं ,और बार बार दुहराए गए हैं “सूरा -अज जुमुर 39 :23
2- कुरान कितने लोगों पर उतरा गया था ?
मुसलमान यह दावा करते है कि अल्लाह ने कुरान सिर्फ मुहम्मद के ऊपर ही नाजिल की थी .लेकिन हम दी गयी आयत को ध्यान से पढ़ें तो ,पता चलता है कि .अल्लाह ने कुरान को कई लोगों पर नाजिल किया था .देखिये
“वह अत्यंत बरकत वाला है ,जिसने यह फुरकान (कुरान ) अपने बन्दों पर उतारा है ,ताकि वह संसार के लिए सचेत वाला हो ”
सूरा -फुरकान .25 :1
3 -अल्लाह कौनसे अल्लाह की तारीफ करने को कहता है .
कुरान में अल्लाह अक्सर ” मेरी “की जगह “उस “अल्लाह की तारीफ करने को कहता है ,ऐसा लगता है जैसे कोई दूसरा भी अल्लाह है .देखिये
“प्रशंसा तो “उस “अल्लाह के लिए है “जो ” हर चीज का मालिक है ,जो आसमान और जमीन में है “सूरा -सबा 34 :1
“प्रशंसा “उस “अल्लाह के लिए है ,जो आकाशों और धरती का स्रष्टा है ,और फरिश्तों को सन्देश वाहक नियुक्त करने वाला है ”
सूरा -फातिर 35 :1
“सारी तारीफ़ “उस “अल्लाह के लिए है “जो “आकाशों और धरती का रब है
“सूरा -अल साफ्फात 37 :182
“तारीफ़ तो सिर्फ “उस “अल्लाह के लिए है आकाशों और धरती का रब (पलक) है
“सूरा -अल जासिया 45 :36
अगर यह खुद अल्लाह के वचन हैं ,तो फिर अल्लाह किस अल्लाह की तारीफ़ कर रहा .और कौन सा दूसरा अल्लाह है जो आसमानों और जमीन का मालिक है ,और स्रष्टा भी है ?
4- क्या अल्लाह की मर्जी सर्वोपरि है ?

कुरान को पढ़ने के बाद ऐसा लगता है ,जैसे अल्लाह को सभी अधिकार प्राप्त हैं ,वह कुछ भी कर सकता है .उसे किसी दूसरे की इच्छा अनिच्छा की कोई परवाह नहीं है .जैसे खुद अल्लाह ने कुरान में कहा है –
“निस्संदेह अल्लाह हरेक बात का सामर्थ्य रखता है “सूरा -बकरा 2 :220
“अल्लाह जो चाहे कर सकता है “सूरा -बकरा 2 :253
“अल्लाह को अपने काम पर पूरा अधिकार है “सूरा -यूसुफ 12 :21
“अल्लाह पर किसी का शासन नहीं है “सूरा-12 :40
“अल्लाह जो चाहे कर सकता है “सूरा -अल बुरुज 85 :16

यदि अल्लाह की यह बातें सही है ,तो उसे यह बात कहने की जरुरत क्यों पड़ी कि “यदि अल्लाह चाहे “कुरान में अल्लाह किस अल्लाह की बात कर रहा है .कि जब वह चाहेगा तभी कोई काम हो सकेगा .इस आयात को देखिये –
“तुम किसी काम के बारे में यह नहीं कहो कि मैं इसे कल कर दूंगा ,परन्तु तुम यह कहो “यदि अल्लाह ऐसा चाहे ” इंशा अल्लाह ”
सूरा -काफ 18 :23 – ّ” أَنْ يَشَاءَ اللَّهُ وَاذْكُرْ رَبَّكَ .18:23″

5-यदि अल्लाह चाहे ,कौनसा अल्लाह ?

इसी तरह खुद अल्लाह कहता है –
“निस्संदेह अल्लाह ने अपने रसूल को सच्चा सपना दिखाया ,जिसमे हिकमत ( गूढ़ अर्थ ) था और अल्लाह ने कहा था “इंशा अल्लाह ” ( यदि अल्लाह चाहे ) तुम मस्जिदे हराम में जरुर दाखिल होगे ” सूरा -अल फतह 48 :27 –

لَقَدْ صَدَقَ اللَّهُ رَسُولَهُ الرُّؤْيَا بِالْحَقِّ لَتَدْخُلُنَّ الْمَسْجِدَ الْحَرَامَ إِنْ شَاءَ اللَّهُ آمِنِينَ مُحَلِّقِينَ رُءُوسَكُمْ وَمُقَصِّرِينَ لاَ تَخَافُونَ فَعَلِمَ مَا لَمْ تَعْلَمُوا فَجَعَلَ مِنْ دُونِ ذَلِكَ فَتْحًا قَرِيبًا .48:27

गौर करने कि बात है कि यह बात खुद अल्लाह ने रसूल से कही है .अल्लाह जब यह कहता है कि “यदि अल्लाह चाहे ” तो वहां दूसरा कौन सा अल्लाह मौजूद था .आप सोचकर बताइए .कि कुरान अल्लाह की वाणी है या किसी और ने लिखी है ?

(87/60)

अल्लाह का अल्लाह , इंशा अल्लाह

ब्रजनंदन शर्मा
(लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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