Categories
कविता

कुंडलियां … 32 …..कैसे जननायक हैं ?

          94

धोखे और फरेब से, करै जो भ्रष्टाचार।
नेता उसको मानिए, करै जो अत्याचार।।
करै जो अत्याचार ,तिजोरी धन से भरता।
जनता का पीवे खून,दया जरा ना करता।।
नेता नाटककार है पूरा ,बात करे रो-रोके।
नेता तो उसको कहते,भरे हृदय में धोखे।।

          95

देश की चिंता है नहीं, करें देश की बात।
मां की खींचें आंतडी, करें देश से घात।।
करें देश से घात, नहीं तनिक लजाते।
देश की इज्जत बेच ,गर्व से केक कटाते।।
ढीठता के साथ, देश में करवाते हैं हत्या।
पीते रात दिन रक्त, करें देश की चिंता।।

        96

राम नाम जपते रहें, देश का लूटें माल।
नेता के ये गुण नहीं, मोहे यही मलाल।।
मोहे यही मलाल, शिकवा भी खुद से।
वोट बेचकर लड़ता , मैं खुद ही खुद से।।
देश की नहीं भावना, नहीं देश का भाव।
बनाया धर्म को बंदी , जपते राम नाम।।

दिनांक : 10 जुलाई 2023

(चित्र दैनिक भास्कर से साभार)

डॉ राकेश कुमार आर्य

Comment:Cancel reply

Exit mobile version