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बहुमुखी प्रतिभा के धनी और समग्र क्रांति के अग्रदूत थे स्वामी दयानंद : आचार्य देवव्रत

ग्रेटर नोएडा। ( संवाददाता) यहां स्थित भारतीय आदर्श इंटर कॉलेज तिलपता करनवास में उत्तर प्रदेश आर्य वीर दल के समापन समारोह में बोलते हुए आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ देवव्रत ने कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज बहुमुखी प्रतिभा के धनी और समग्र क्रांति के अग्रदूत थे। उन्हें किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित करके आंकना उनके व्यक्तित्व के साथ अन्याय करना होगा। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए आर्य समाज ने भारत का प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि हम किसी भी प्रकार की दोगली मानसिकता या राष्ट्रीयता के विरोधी रहे हैं। यही कारण रहा है कि आर्य समाज का ऐसे किसी भी राजनीतिक संगठन दल या सामाजिक संगठन से विरोध रहा है जिनकी नीतियों में दोगलापन होता है।


उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने छुआछूत की भावना को मिटाने का सबसे पहले काम करना आरंभ किया। उस क्षेत्र में काम करते हुए आर्य समाज को देखकर अन्य संगठनों ने भी उसे अपनाया। यहां तक कि आज मोहन भागवत जैसे बड़े नेता को भी आर्य समाज के सिद्धांतों को परोक्ष या अपरोक्ष रूप से अपना समर्थन देने के लिए बाध्य होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के द्वारा ही सबसे पहले सोई हुई हिंदू जाति को जगाने का कार्य किया गया। हमने लोगों के भीतर आत्मविश्वास पैदा किया और आत्मरक्षा के लिए उन्हें प्रेरित कर देश रक्षा के संकल्प से ओतप्रोत किया। इसी के चलते आर्य समाज के अनेक क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया।
आर्य जगत के सुप्रसिद्ध सन्यासी डॉ देवव्रत ने अपने संबोधन में कहा कि जब-जब भी देश पर किसी प्रकार की आपत्ति आई है तब तब आर्य वीरों ने उस पर पार पाने में अपना सहयोग दिया है।
उन्होंने कहा कि देश की रक्षा का संकल्प आर्यवीर इसलिए लेता है कि इसी से वेद की रक्षा होना संभव है और वेद की रक्षा से ही मानवता की रक्षा होना संभव है। हम इस बात को लेकर सावधान रहें की आर्य संस्कृति को मिटाने के घातक षड्यंत्र आज पहले से भी अधिक तीव्रता के साथ हो रहे हैं। यदि समय रहते उनके प्रति सचेत नहीं रहा गया तो देश और आर्य संस्कृति सभी नष्ट हो जाएंगे। इसलिए आर्य वीरों को किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की वैदिक संस्कृति की रक्षा के लिए ही आर्य वीर दल का की स्थापना की गई थी। हमारा यह संगठन अपने उस लक्ष्य को भूला नहीं है । इसीलिए हम आर्य वीरों को आत्मरक्षा से देश रक्षा तक के लिए तैयार रहने की प्रेरणा देते हैं।
इस अवसर पर दादरी के भाजपा विधायक मा तेजपाल सिंह नागर ने अपने संबोधन में कहा कि आर्य समाज ने देश का प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व किया है। आज भी भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पित यह संगठन प्रधानमंत्री के राष्ट्रवादी कार्यों में कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत और भारतीयता को मिटाने के लिए आज भी कई प्रकार की शक्तियां सक्रिय हैं। उनका विनाश करना हम सब का सामूहिक दायित्व है। यह कार्य आर्य समाज जैसी राष्ट्रवादी संस्था के माध्यम से ही किया जाना संभव है।
कार्यक्रम का सफल संचालन आचार्य करण सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि वे और उनकी संयोजक टीम के सभी साथी भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते रहेंगे। क्योंकि इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन से भारतीय धर्म और संस्कृति की रक्षा का हमारा शिवसंकल्प पूर्ण होना संभव है। कार्यक्रम के अंत में भारतीय आदर्श इंटर कॉलेज के प्रबंधक श्री बलबीर सिंह आर्य द्वारा सब्जी का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
उत्तरप्रदेश आर्य वीर दल के उपरोक्त कार्यक्रम का आयोजन 21 जून से 30 जून तक किया गया। इसके विभिन्न सत्रों में प्रारंभ से लेकर अंत तक डॉ देवव्रत जी, ठाकुर विक्रम सिंह, डॉ आनंद कुमार, दादरी के विधायक श्री तेजपाल सिंह नागर, आचार्य करण सिंह, आचार्य दिवाकर , विक्रम देव शास्त्री, राजार्य सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र सिंह आर्य, वरिष्ठ अधिवक्ता और उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन श्री देवेंद्र सिंह आर्य, भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य, आर्य वीर दल उत्तर प्रदेश के संचालक पंकज कुमार, आचार्य कपिल कुमार, भारतीय आदर्श इंटर कॉलेज के प्रबंधक बलवीर सिंह आर्य , आर्य युवा नेता आर्य सागर खारी, आर्य समाज सूरजपुर के प्रधान पंडित मूलचंद आर्य, जिला गौतम बुद्ध नगर आर्य प्रतिनिधि सभा के पूर्व प्रधान आर्य वीरेश भाटी, पंडित रविंद्र आर्य, महेंद्र सिंह आर्य, धर्मवीर सिंह आर्य, आर्य समाज सिकंदराबाद के मंत्री रमेश आर्य , सरपंच रामेश्वर सिंह आर्य आर्य, गुरुकुल सिकंदराबाद के संचालक प्रताप सिंह आर्य, समाज के प्रति पूर्णतया समर्पित देव मुनि जी महाराज ,गिरीश मुनि जी, ओम मुनि जी, अधिवक्ता रामनिवास आर्य, राजकुमार आर्य आदि की विशेष उपस्थिति रही।

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