Categories
मुद्दा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के आगमन पर: ‘उगता भारत’ ने उठाई क्रांतिकारियों के नाम पर सड़कों / पार्कों व चौराहों का नाम रखने संबंधी मांग

( जनपद गौतम बुद्ध नगर अपनी विशेषताओं के कारण जाना जाता है। 1857 की क्रांति के समय यह क्षेत्र जनपद बुलंदशहर का एक भाग हुआ करता था। उसी समय से जनपद के अनेक वीर वीरांगनाओं ने देश की आजादी के लिए काम करने का संकल्प लिया और देश के आजाद होने तक निरंतर क्रांतिकारी गतिविधियों में यहां के लोग लगे रहे। अनेक क्रांतिकारियों ने इस पवित्र भूमि पर आकर अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को आगे बढ़ाया। इस संबंध में “उगता भारत” ने विशेष पहल करते हुए प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी के लिए जिलाधिकारी जनपद गौतम बुद्ध नगर के माध्यम से पत्र लिखकर मांग की है कि उन क्रांतिकारियों को विशेष सम्मान देते हुए उनके नाम पर सड़कों और चौराहों के नाम रखे जाएं। यहां पर हम अपने द्वारा लिखित मूल पत्र को यथावत प्रस्तुत कर रहे हैं । – संपादक)

सेवा में

श्रीमान जिलाधिकारी महोदय जनपद गौतम बुध नगर

विषय: क्रांतिकारियों की शरण स्थली रहे जनपद गौतम बुध नगर में क्रांतिकारियों के नाम पर सड़कों व चौराहों के नाम रखने संबंधी मांग पत्र

महोदय

     विनम्र अनुरोध है कि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी के 25 जून 2023 को नोएडा पदार्पण के अवसर पर जनपद गौतम बुद्ध नगर के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए क्रांतिकारियों की जन्मस्थली और शरणस्थली के रूप में विख्यात रहे इस जनपद में कुछ सड़कों / पार्कों या चौराहों के नाम निम्नलिखित सुझावों के आधार पर रखने का कष्ट करें :-
  1. मेरठ से 1857 की क्रांति के जनक धनसिंह कोतवाल के परम सहयोगी के रुप में विख्यात रहे राव उमराव सिंह उस समय दादरी के शासक थे। जिन्हें अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी थी। राव उमराव सिंह ने अपनी प्रजा की ओर से तत्कालीन मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को दिल्ली के लाल किले में जाकर तलवार भेंट की थी, जो इस बात की प्रतीक थी कि हम सब आपको अपना सम्राट स्वीकार कर आपके नेतृत्व में क्रांति के पक्षधर हैं। जब अंग्रेजों ने दादरी मेरठ की ओर कूच किया तो उन्हें गाजियाबाद हिंडन के पुल पर राव उमराव सिंह और उनके अन्य अनेक साथियों ने मिलकर चुनौती दी थी। आज भी उन अंग्रेजों की कब्रें वहां पर पड़ी हैं , जिन्हें हमारे इन क्रांतिकारियों ने मौत की नींद सुलाया था। क्रांति के पश्चात जब बादशाह बहादुर शाह जफर को अंग्रेज रंगून के लिए ले जा रहे थे तो यहां कोट के पुल पर राव उमराव सिंह ने अपने अनेक साथियों के साथ अंग्रेजों को चुनौती दी थी और बादशाह को उनकी कैद से छुड़ाने का साहसिक प्रयास किया था। उनकी स्मृति में किसी सड़क का नाम रखा जा सकता है। वे उस समय क्रांतिकारियों के सिरमौर थे। आज तक भी लोग उनके प्रति विशेष सम्मान का भाव रखते हैं। उनके नाम पर दादरी- सूरजपुर- छलेरा अर्थात डीएससी रोड का नाम करणकिया जा सकता है।
  2. महात्मा गांधी के लिए असहयोग आंदोलन के क्षेत्र में विशेष मार्गदर्शन करने वाले विजय सिंह पथिक भी उस समय के बुलंदशहर वर्तमान गौतम बुद्ध नगर जिले में ही जन्मे थे । जिन्होंने ऐतिहासिक कार्य करते हुए आजादी की लड़ाई में अपना विशेष योगदान दिया था। उनके दादा इंदर सिंह राठी भी क्रांति के महान सेनानी थे । अपने दादा के पदचिन्हों पर चलते हुए ही विजय सिंह पथिक ने राजस्थान और गुजरात में जाकर विशेष कार्य किया। उन्होंने किसानों को असहयोग आंदोलन के माध्यम से गांधी जी से भी पहले अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष के लिए प्रेरित किया था। यही कारण था कि असहयोग आंदोलन की उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए गांधीजी ने उन्हें अपना गुरु माना था। माला गढ़ रियासत के नवाब बलिदान खान थे। जिनकी सेना के सिपहसालार के रूप में इंदर सिंह राठी ने 1857 की क्रांति में विशेष योगदान दिया था। ऐसे महानायक विजय सिंह पथिक के नाम पर भी किसी सड़क का नामकरण किया जा सकता है।

  3. इसी जनपद में रामप्रसाद बिस्मिल ने काकोरी कांड के बाद गोपनीय ढंग से रहकर रामपुर बांगर नामक गांव में अपना कुछ समय व्यतीत किया था। वहां रहकर उन्होंने ग्वालों के साथ गाय चराई थी। इसी प्रकार नारायणगढ़ नामक गांव उस समय क्रांतिकारियों की शरण स्थली बन गया था। जिसे आजकल नलगढ़ा कहा जाता है। इस गांव में दुर्गा भाभी, मन्मथ नाथ गुप्त, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त आदि ने अपना समय व्यतीत किया था । उस समय यहां वनखंड हुआ करता था और उस वन के बीच इस गांव में छुपने के लिए उनके पास अच्छा स्थान उपलब्ध था । उस गांव के पास से गुजरने वाले रोड (परी चौक से सेक्टर 37 तक अर्थात बॉटनिकल गार्डन तक जाने वाली सड़क) का नाम शहीद मार्ग किया जाना अपेक्षित है।

    हम आशा करते हैं कि उपरोक्त बिंदुओं पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए जनापेक्षाओं के अनुसार आप निर्णय लेंगे।

दिनांक: 24 जून 2023

                                                        भवदीय


                                 डॉ राकेश कुमार आर्य
                              (इतिहासकार एवं संपादक उगता भारत समाचार पत्र )

राष्ट्रीय अध्यक्ष: राष्ट्रीय प्रेस महासंघ,( नरेंद्र मोदी विचार मंच द्वारा संचालित)

Comment:Cancel reply

Exit mobile version