Categories
उगता भारत न्यूज़

हवा की नमी से बनाई जाएगी बिजली

, वैज्ञानिकों ने डेवलेप की कमाल की तकनीक

मुकुल व्यास

हवा से बिजली बनाने का ख्याल है तो अजीबोगरीब, लेकिन लगता है कि वैज्ञानिकों ने इसे सच कर दिखाया है। एक नए अध्ययन के मुताबिक छोटे छिद्रों से ढका हुआ कोई भी पदार्थ हवा की नमी से ऊर्जा प्राप्त कर सकता है। अमेरिका में एमहर्स्ट स्थित मेसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों ने हवा से बिजली पाने के लिए एक नैनो तकनीक डिवेलप की है। इससे 100 नैनोमीटर से कम व्यास वाले बेहद सूक्ष्म छिद्रों (नैनोपोर) वाली किसी भी सामग्री का उपयोग लगातार बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकता है।

इंजीनियरों ने इस तकनीक का नाम ‘जेनेरिक एयर-जेन इफेक्ट’ रखा है। इस तकनीक का उपयोग बड़े स्तर पर किया जा सकता है।

इस आविष्कार में दो इलेक्ट्रोड और पदार्थ की एक पतली परत शामिल है। इस पदार्थ पर 100 नैनोमीटर से कम व्यास वाले छोटे छिद्रों का आवरण होना चाहिए। एक नैनोमीटर एक मीटर का अरबवां हिस्सा होता है।
इस उपकरण में पानी के मॉलिक्यूल ऊपरी चैंबर से निचली चैंबर तक गुजरते हैं। इस प्रक्रिया में वे छोटे छिद्रों के किनारों से टकराते हैं। इससे चैंबरों के बीच विद्युत चार्ज का असंतुलन पैदा होता है। एक तरह से यह उपकरण एक बैटरी की तरह काम करता है।
यह समूची प्रक्रिया बादलों द्वारा बिजली पैदा करने के तरीके से मिलती है। यह वही बिजली है जिसे हम आसमान में कड़कते हुए देखते हैं।
इस एक्सपेरिमेंट के लिए रिसर्चरों ने प्रयोगशाला में एक छोटे पैमाने पर बादल बनाया, जो लगातार बिजली पैदा करता है। इस बादल का मुख्य आधार ‘जेनेरिक एयर-जेन इफेक्ट’ है।
सौर और पवन ऊर्जा हालात पर निर्भर हैं, इसलिए उनकी सीमा है। लेकिन इस तकनीक से विभिन्न पदार्थों के जरिए कम लागत पर बिजली बनती है तो इसकी कोई सीमा नहीं होगी।

एडवांस्ड मटीरियल्स मैगजीन में प्रकाशित इस रिसर्च के प्रमुख लेखक शियाओमेंग लियू के मुताबिक इस तकनीक ने हवा की नमी से स्वच्छ और टिकाऊ बिजली के उत्पादन का बड़ा दरवाजा खोल दिया है। एक अन्य शोधकर्ता जून याओ ने कहा कि हवा में भारी मात्रा में बिजली हमेशा मौजूद रहती है। एक बादल पानी की बूंदों से भरपूर होता है। प्रत्येक बूंद में एक चार्ज होता है। जब परिस्थितियां सही होती हैं तो बादल बिजली उत्पन्न कर सकता है।

वैसे यह रिसर्च याओ और डेरेक लोवली की 2020 में की गई रिसर्च का ही विस्तार है। पिछली रिसर्च में था कि जियोबैक्टर बैक्टीरिया से उगाए गए प्रोटीन के सूक्ष्म तारों से बनी एक विशेष सामग्री का उपयोग करके हवा से बिजली पाई जा सकती है। इस खोज के बाद वैज्ञानिकों ने महसूस किया कि कोई भी सामग्री हवा से बिजली पैदा कर सकती है, बशर्ते उसमें गुण हो। यहां गुण से मतलब पदार्थ में सूक्ष्म छिद्रों की मौजूदगी से है। ये छिद्र 100 नैनोमीटर से छोटे या मानव बाल की चौड़ाई के हजारवें हिस्से से कम होने चाहिए।

याओ और उनके सहयोगियों ने पाया कि वे इस संख्या के आधार पर एक बिजली हार्वेस्टर डिजाइन कर सकते हैं। यह हार्वेस्टर 100 नैनोमीटर से छोटे छिद्रों से युक्त सामग्री की एक पतली परत से बनाया जाएगा। याओ ने कहा कि यह बहुत ही सरल विचार है, लेकिन इसे पहले कभी नहीं खोजा गया था। यह अनंत संभावनाएं प्रस्तुत करता है क्योंकि हार्वेस्टर को लगभग सभी तरह की सामग्री से डिजाइन किया जा सकता है। अधिक नमी वाले वर्षा वन और कम नमी वाले शुष्क वातावरण के लिए अलग-अलग हार्वेस्टर बनाए जा सकते हैं। चूंकि वातावरण में नमी हर समय मौजूद रहती है, ये हार्वेस्टर हर मौसम में और चौबीसों घंटे काम कर सकते हैं।

इस समय नाखून के आकार का उपकरण केवल वोल्ट के एक अंश के बराबर बिजली निरंतर बना सकता है। ऐसे में रिसर्चरों को उम्मीद है कि यह किसी दिन ऊर्जा का व्यावहारिक और स्थायी स्रोत बन सकता है। पूरी पृथ्वी नमी की मोटी परत से ढकी हुई है। यह नमी स्वच्छ ऊर्जा का एक बहुत बड़ा स्रोत बन सकती है।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version