Categories
उगता भारत न्यूज़ साक्षात्‍कार

मुझे मिले सम्मान पर सबसे पहला अधिकार मेरी जननी और जन्मभूमि का : इंद्रजीत शर्मा

भारत से दूर रहकर भी भारत की आत्मा के प्रतिनिधि बनकर तन- मन- धन से मां भारती की सेवा करने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, श्री इंद्रजीत शर्मा एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है जिन्होंने अपने परिवार से लेकर राष्ट्र का नाम रोशन करने में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी है। भारतीयता, भारतीय संस्कृति ,भारतीय धर्म और भारतीय इतिहास की महान परंपराओं के प्रति समर्पित श्री शर्मा को राष्ट्र के लिए उनकी विशिष्ट सेवाओं और हाउस ऑफ कॉमन्स ब्रिटिश संसद, लंदन में उत्कृष्ट व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिए वैश्विक शांति राजदूत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। अपनी इस महान उपलब्धि के उपरांत श्री शर्मा ने बड़े सहज हमें बताया कि वह तन हिंदू, मन हिंदू ,सब कुछ हिंदू के भाव को लेकर आगे बढ़ते रहे हैं। उनका ऋषि दयानंद के सिद्धांतों और मानवतावादी चिंतन में गहरा विश्वास है। उसी के अनुसार वह राष्ट्र निर्माण से विश्व निर्माण के अपने संकल्प में लगे हुए हैं।
श्री शर्मा ने कहा कि उन्हें जो भी सम्मान मिले हैं उन्हें वह सहज रूप से मां भारती के श्री चरणों में समर्पित करते हैं। उनका कहना है कि वह अपने लिए परमपिता परमेश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि जो लग्न उन्होंने समाज और देश सेवा के लिए दी है उसमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने कि मुझे शक्ति प्राप्त हो।
श्री शर्मा का मानना है कि भारत की मानवतावादी सांस्कृतिक विचारधारा से ही संसार में शांति स्थापित हो सकती है। बहुत सहज सरल स्वभाव के धनी श्री शर्मा भारत के मानवतावादी चिंतन अर्थात वैदिक संस्कृति के प्रति गहन आस्था रखते हैं। इसीलिए उनका मानना है कि वैदिक चिंतन और दर्शन से ही संसार का कल्याण संभव है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह संस्कार अपने पूज्य पिताजी से प्राप्त हुए। पारिवारिक परिवेश पूर्णतया धार्मिक रहा और मानवतावादी चिंतन से ओतप्रोत पिताजी के महान व्यक्तित्व से उन्हें सीधे यह संस्कार बचपन में ही प्राप्त हो गए। जिसमें उनकी माता जी का भी विशेष योगदान है।
श्री शर्मा ने विशेष जानकारी देते हुए हमें बताया कि पिछले तीन दशकों से सामाजिक कार्य के क्षेत्र में लगन और नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। वह विभिन्न धर्मार्थ संस्थाएँ चला रहे हैं जहाँ से सैकड़ों लोग दैनिक आधार पर लाभ प्राप्त कर रहे हैं। अपने पिता की याद में, वह नई दिल्ली में एक अस्पताल चला रहे हैं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए पुस्तकालय, स्कूल के साथ-साथ उच्च शिक्षा के लिए विभिन्न छात्रों को प्रायोजित कर रहे हैं, गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मुफ्त दवाइयां, भोजन वितरित कर रहे हैं। इतना ही नहीं अमेरिका में रहते हुए उनका दिल भारत के लिए धड़कता है और उन्होंने हमेशा भारत के विकास और प्रगति में योगदान दिया है। संस्कृति युवा संस्थान के अध्यक्ष श्री सुरेश मिश्रा ने कहा कि वे ऐसे लोगों का सम्मान करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, जिन्होंने हमेशा सभी को एक साथ लाने की सोची है।
उन्होंने कहा कि जननी और जन्मभूमि के संस्कार व्यक्ति को ऊंचा उठाते हैं ।जो व्यक्ति इन दोनों के प्रति समर्पित रहकर विनम्र भाव से आगे बढ़ता है निश्चित रूप से उसे सफलता प्राप्त होती है। इसलिए मुझे मिले प्रत्येक सम्मान पर सबसे पहला अधिकार मेरी जननी और मेरी जन्म भूमि को है।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version