भारत की क्रांतिकारी विरासत के उद्घोषक थे धनसिंह कोतवाल : डॉ राकेश कुमार आर्य

मेरठ।भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने इस अवसर पर कहा कि धन सिंह कोतवाल रामप्यारी गुजरी, जोगराज सिंह गुर्जर और हरवीर सिंह गुलिया जैसे क्रांतिकारियों के रास्ते पर चलते हुए अपने समय में बहुत ही बलिदानी भावना से ओतप्रोत थे। वास्तव में 1398 ईसवी में तैमूर लंग के आक्रमण के समय रामप्यारी गूजरी जोगराज सिंह गुर्जर और हरवीर सिंह गुलिया जैसे क्रांतिकारियों ने जिस प्रकार 120000 की बड़ी सेना बनाकर उस समय तैमूर लंग का न केवल प्रतिरोध किया था बल्कि उसे गंभीर रूप से घायल कर स्वदेश भागने के लिए मजबूर कर दिया था और इसके बाद फिर कभी वह भारत की ओर आक्रमण करने के लिए पैर करके भी नहीं सोया था। धन सिंह कोतवाल ने मेरठ की क्रांतिकारी भूमि की ऐसी परंपरा को पुनर्जीवित करते हुए अंग्रेजों को यहां से भगाने के लिए महान क्रांति का महान सूत्रपात किया था। धन सिंह कोतवाल भारत की किसी क्रांतिकारी विरासत के उद्घोषक थे।
डॉ आर्य ने कहा कि सरकार को चाहिए कि मेरठ गाजियाबाद एक्सप्रेस वे का नाम धन सिंह कोतवाल राजमार्ग रखा जाए। इससे पहले धन सिंह कोतवाल जैसे क्रांतिकारियों की स्मृति को चिरस्मरणीय बनाने के लिए सरकार की ओर से किए गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए डॉ आर्य ने कहा कि अभी इस क्रांतिकारी को समुचित सम्मान देने के लिए बहुत कुछ किया जाना शेष है। उन्होंने कहा कि उस समय मेरठ और बुलंदशहर पश्चिम उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख जिले हुआ करते थे। इन दोनों जिलों में से हजारों क्रांतिकारी निकलकर धनसिंह कोतवाल के साथ आ जुड़े थे और पूर्ण समर्पण के साथ अपनी देशभक्ति का परिचय देते हुए अंग्रेजों को भगाने के महान कार्य में जुट गए थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से हम सब पुरजोर मांग करते हैं कि वे 1398 से लेकर 1857 तक के क्रांतिकारी इतिहास को सहेजने के लिए विशेष पहल करें। उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति के समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों ने बड़ी संख्या में अपने बलिदान किए थे।

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