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इसलाम और शाकाहार

सारा दोष मुसलमानों का ही नहीं गलती हमारी भी है?

सारी गलती मुसलमान की क्यो?

दी केरल स्टोरी देखने के बाद शायद हर व्यक्ति खासकर लड़कियों के मन मे अल्लाह, जेहाद, जन्नत और इस्लाम जैसे शब्दों के लिये नफरत बैठ ही जाएगी जो कि सुरक्षा दृष्टि से ठीक है।

लेकिन आत्मचिंतन कीजिये कि आखिर मुसलमान का दोष ही क्या है? वो तो घोड़े पर बैठकर तलवार लिये आपके सिर काटने आया लेकिन आपको उसमें शांति दूत नजर आया और आपने गंगा यमुना तहजीब जैसी बातें गढ़ ली। क्या ये मुसलमान का दोष है?

मुसलमान अपने चाचा की बेटी से भी नैन लड़ा सकता है ये जानते हुए आपके अंदर उन्हें राखी बांधने की चूल मची, इतना ही नही आपने उन्हें अपने फ्रेंड सर्कल का हिस्सा तक बनाया। क्या इसमे भी उनका दोष है।

वो 5-5 बार माइक पर चिल्ला रहे है कि दुनिया मे एक अल्लाह है और कुछ नही, फिर भी आप कहते रहे कि ईश्वर अल्लाह तेरो नाम। क्या अपना भजन उनके अनुरूप करवाने वो आपके द्वार आये थे?

यूटयूब पर बकरा ईद की कोई भी वीडियो देख लीजिये, बकरे के कटे शरीर पर उनका 5 साल का बच्चा भी हँसता कूदता दिखाई देता है, उस चेहरे में वैहशीपन की जगह बचपन आपको नजर आया तो अंधे आप है वो नही?

समस्या उनकी नही हमारी है। वो अजगर की तरह हमे निगलने के लिये लपटते रहे और हम इसे गले मिलना समझते रहे। उन्हें हर युद्ध मे जीतने की कला पता है और हमे बस युद्ध करने के तरीके, नतीजे से हमे कोई खास लगाव है नही।

7वी सदी में इस्लाम बना और अरबी व्यापारियों के माध्यम से भारत आया। केरल में उन्होंने मस्जिद भी बनाई लोगो का मत परिवर्तन करने की कोशिश की मगर सफल नही हुए क्योकि भारत मे शास्त्रार्थ की परंपरा जीवित थी। इससे परेशान होकर उन्होंने तलवार उठायी, तलवार हमने भी उठाई लेकिन एक निश्चित जीत पाकर तलवार भी रख दी और शास्त्रार्थ की तो बात ही छोड़िये, लिखूंगा तो आंखे शर्म से झुक जाएगी।

लेकिन क्या इसमे भी मुसलमान की गलती है?

दरसल हमे आदत हो गयी है खुद को सही सिद्ध करने की, जब सोमनाथ को लूटने गजनवी आया उस समय भोपाल के महान राजा भोज अपने काव्य लिखने में व्यस्त थे। एक दो बार नही 17 बार उन्होंने कुछ भी नही किया, लेकिन नही गजनवी गलत है और भोज महान।

और ये मैं सिर्फ भारत की बात नही कर रहा, जब स्पेन में मुसलमानों का कब्जा हुआ उस समय रोम और ग्रीस के ईसाई राजा सो रहे थे। भले ही 700 साल बाद स्पेन आजाद हो गया लेकिन उन 7 सदियों की बदौलत आज इस्लाम ने यूरोप को बारूद के ढेर पर बैठा दिया। इस्लामिक स्टेट को जब जितनी लड़कियां चाहिए होती थी उन्हें यूरोप से आसानी से मिल जाती।

इसलिए आत्मावलोकन कीजिये पुरखो की गलती दोहरानी है या नया इतिहास लिखना है। लव जेहाद अकेले भारत की नही अपितु पूरे विश्व की दास्तां है। दी केरल फ़िल्म जरूर देखिये, एक लड़की को बहला फुसला कर मुसलमान बनाते है दूसरी को मजबूर करके और तीसरी का रेप करके। प्रश्न यही उठेगा की आखिर उन्हें ये हिम्मत कहाँ से मिलती है?

और उत्तर एक ही है की दोषी तो हम है वे तो बस अपनी प्रवृत्ति के अनुसार काम कर रहें है।
एक अच्छी बात है कि दीर्घकाल के बाद अच्छी फ़िल्म बन रही है, उसे सपोर्ट दो समाज की दिशा भी सही हो जाएगी।

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जय सनातन

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