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राजनीति

चोर की मां को पकड़ो

उत्तर प्रदेश में केसरिया लहरा गया है और जिस प्रकार उत्तर प्रदेश की जनता ने केसरिया के पक्ष में भाजपा को प्रचण्ड बहुमत दिया है, उससे केसरिया उत्तर प्रदेश में लहराने के साथ-साथ गहरा भी गया है। इस सबके लिए उत्तर प्रदेश की जनता वास्तव में ही बधाई की पात्र है। हिंदू महसभा के प्रखर राष्ट्रवाद से मंजे हुए उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से अपेक्षा की जाती है कि वह अब सधे हुए कदमों से अपने संकल्प पथ पर आगे बढ़ते हुए भारत को वीर सावरकर के सपनों का भारत बनाने के लिए संघर्ष करेंगे। राजनीति को राष्ट्रनीति में परिवर्तित करने के लिए अपनी सारी ऊर्जा का प्रयोग करेंगे और प्रदेश में हिंदू विरोध की राजनीति को समाप्त कर हिंदुत्व प्रेरित उन मानवीय मूल्यों और नैतिकताओं को प्रदेश के विद्यालयों के पाठ्यक्रम में समाहित करायेंगे जिनसे व्यक्ति वास्तव में मानव बन सकता है। अब यहां के किसी स्कूल या मदरसों से ऐसी मजहबी शिक्षा नहीं दी जाएगी जो व्यक्ति को किसी मजहब का सदस्य पहले और इस देश का नागरिक बाद में बनाती हो। सबके लिए समान शिक्षा नीति लागू की जाए और कानून के समक्ष समानता की बात को कड़ाई से लागू किया जाए।
जिन मुस्लिम महिलाओं ने तलाक के दंश को झेला है और जो अपने व्यभिचारी पतियों के अत्याचारों की शिकार बनी हैं, उन्होंने बड़ी आशाओं के साथ भाजपा को इस बार अपना मत दिया है। आशा की जाती है कि तलाक के इस अमानवीय अत्याचार से हर मुस्लिम महिला को राहत दिलाने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला प्रदेश बनेगा। वैसे योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि वह भाजपा के प्रेरणा स्रोत पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद और अन्त्योदयवाद के सपने को साकार करने के लिए अपने संकल्प पथ पर आगे बढऩा चाहते हैं। पं. दीनदयाल उपाध्याय को इस अवसर पर स्मरण किया जाना उचित ही माना जाएगा। क्योंकि उनका एकात्म मानववाद और अंत्योदयवाद का शिवसंकल्प इस राष्ट्र की संस्कृति का एक राजनीतिक संकल्प है, जिसे लेकर कभी महर्षि मनु ने यहां पहले राज्य की स्थापना की थी और अपने इसी शिवसंकल्प भरे राजनीतिक प्रस्ताव को लेकर उन्होंने विश्व की सबसे राजधानी अवध (जिसमें कोई हिंसा अर्थात वध नहीं होता) की स्थापना की थी। हमारे देश की पहली राजधानी अवधपुरी बनना तथा पहले राजा मनु का पहला राजनीतिक प्रस्ताव एकात्म-मानववाद और अंत्योदयवाद का होना एक ऐसा दस्तावेजी साक्ष्य है जो आज तक विश्व के हर देश की राजनीति का मार्ग दर्शन कर रहा है। हर राजनीतिक दल और हर देश की सरकार घुमा-फिराकर भारत के इसी एकात्म मानववाद और अंत्योदयवाद को अपने-अपने संकल्पों में दोहराती है। बस, उसे वे ‘मनुवादी राष्ट्रवादी प्रस्ताव’ या तो कहना जानते नहीं हैं या जानकर भी ऐसा कहने से बचते हैं।
योगी आदित्यनाथ ने जिस संकल्प पथ को अपनाया है-वह भी इस राष्ट्रवादी चेतना के मूल प्रेरणास्रोत महर्षि मनु के संकल्प प्रस्ताव को उनका नमन है। उनके गेरूवे वस्त्र इस महर्षि के प्रति निश्चय ही अपनी मौन श्रद्घांजलि अर्पित करेंगे और प्रदेश में उनके नेतृत्व में एकात्म मानववाद और अंत्योदयवाद के शिव संकल्पों पर शासन की मुहर लगेगी। इसके लिए अच्छा हो कि भारत की संस्कृत को इस प्रदेश के प्रत्येक विद्यालय में पढ़ाने की व्यवस्था की जाए। संस्कृत से ही हमारे संस्कारों का और हमारी संस्कृति का निर्माण होता है। जिस-जिस विद्वान ने भी इस भाषा को पढ़ा और समझा उस उसने ही इसके मर्म के धर्म को समझकर इस देश में मानवतावाद कि पताका फहरायी है। वैदिक शिक्षा पद्घति में पला और पढ़ा कोई भी विद्यार्थी ‘कन्हैया’ नही बना-वह कृष्ण बना है और विदेशी आतंकी शासन व्यवस्था के विरूद्घ आत्मोत्सर्ग करने के लिए उठ खड़ा हुआ है या देश की समस्याओं को समझकर उन्हें दूर करने के लिए संकल्पबद्घ हो उठा है। इसके विपरीत जिसने अंग्रेजी को पढ़ा है उसने इस देश के संस्कृतिक मूल्यों से घृणा करनी सीखी है और इस देश के प्रति अपना आत्मिक लगाव प्रदर्शित न करके अपने ‘दिल’ को विदेशों में गिरवी रख दिया है। उनका दिल विदेशों में धडक़ता है और शरीर भारत के अन्न पर पलता है। ऐसे अंग्रेजीदां मुट्ठी भर विद्वानों ने इस देश की संस्कृति को मिटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। अच्छा हो कि योगी उत्तर प्रदेश से एक ऐसी पहल करें जो शेष देश के लिए प्रेरणास्रोत बन जाए। इस पहल के माध्यम से प्रदेश में हिंदी को प्राथमिकता मिले और संस्कृत को सर्वोच्च सम्मान मिले।
सरकार को अपनी ओर से ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कि विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में भारत की विश्वजनीन संस्कृति पर ज्ञानप्रद विचार संगोष्ठियों का आयोजन हो पाना संभव हो। संस्कृत के वैदिक विद्वानों की सहायता इस कार्य के लिए ली जा सकती है। प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान का एक अंग बनाकर इस कार्य योजना पर कार्य किया जा सकता है।
प्रदेश के किसानों कि उत्पादित फसल माल को प्रदेश का एक वर्ग सस्ते मूल्य पर खरीदकर उसे तीन चार गुणे मूल्य पर बेचता है, इस वर्ग को बिचौलियों के रूप में देखा जा सकता है। योगी सरकार को प्रयास करना होगा कि किसान की उत्पादित फसल का उसे उचित मूल्य मिले और प्रदेश से बिचौलिया संस्कृति समाप्त हो। किसान को महंगे यूरिया से बचाकर जैविक खेती के प्रति प्रेरित किया जाए। इसके लिए गोधन और पशुधन की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना आवश्यक है। उत्तर प्रदेश को अपराध युक्त करने के लिए पशुवध के अपराध को रोका जाना आवश्यक है। अभी तक की सरकारें पशुधन हिंसा को अपराध ही नहीं मानती थीं-जिससे प्रदेश में पशुधन निरंतर समाप्त होता जा रहा था। पशुधन और गोधन के काटने से हमारी नदियां प्रदूषित हो रही थीं। जिससे गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का कार्य उपहास का कारण बन रहा था। दुष्ट प्रवृत्ति के लोग गाय को काटना अपना विशेषाधिकार मान रहे थे और उसके खून को नदी में डालना भी अपना अधिकार मानते थे। जिससे उन्हें पकडऩे के लिए कानून के हाथ छोटे पड़ जाते थे-योगी जी के लिए उचित होगा कि वे चोर को न पकडक़र चोर की मां को पकड़ें। सारी समस्या का ही समाधान हो जाएगा।

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