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न्यूटन का अवसादी शंकालु व्यक्तित्व ,दुखद जीवन”


विश्व गुरु भारत जब अपने वैभव को खोकर विदेशी हमलावरों से पादाक्रांत हो रहा था। छत्रपति शिवाजी औरंगजेब के साथ संघर्ष कर रहे थे। सिख ,गुरु गोविंद सिंह, बंदा बहादुर के नेतृत्व में अफगान मुगल लुटेरों के साथ, मराठे अहमद शाह अब्दाली से लोहा ले रहे थे…. तब इंग्लैंड में आइज़क न्यूटन प्रकृति के रहस्य को खोल रहे थे..यह समय था आधी 17वीं शताब्दी से लेकर आधी 18वीं शताब्दी | गणित भौतिकी का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहां न्यूटन न उल्लेखनीय कार्य न किया हो.. गति के नियम ,गुरुत्वाकर्षण ,प्रकाश की प्रकृति, कैलकुलस गणित के विकास में न्यूटन का अमूल्य योगदान है |

न्यूटन जबरदस्त वैज्ञानिक प्रतिभा के धनी थे लेकिन मन से बहुत ही संकालु अवसादी थे| पूरी जिंदगी उनकी संघर्ष मैं गुजर गई। साथी विज्ञानियों को से उनकी कभी नहीं बनी… न्यूटन विवादों में छाए रहे| न्यूटन के जन्म से 3 महीने पहले ही उनके पिता का देहांत हो गया उनकी माता ने दूसरी शादी कर ली सौतेला पिता न्यूटन पर अत्याचार करता था बचपन के ऐसे कड़वे अनुभवों का न्यूटन के व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ा.. नूतन को उनकी नानी ने पाला न्यूटन इतना एकाकी जीवन जीता था वह किसी से बात नहीं करता था… मरते दम तक भी वह एकदम अकेला ही मरा…. जर्मनी के दार्शनिक लेबनीज से उसका विवाद कैलकुलस को लेकर रहा.. लेबनीज ने दावा ठोक दिया कि कैलकुलस गणित का विकास उसने किया है न्यूटन ने कहा कैलकुलस गणित की खोज उसने की है यहां न्यूटन ने बाजी मार ली न्यूटन विवाद को रॉयल सोसाइटी इंग्लैंड के सामने ले गया उस सोसाइटी का न्यूटन सदस्य भी था उस सोसाइटी के अधिकांश सदस्य न्यूटन से प्रभावित रहे उन्होंने एकतरफा फैसला न्यूटन के पक्ष में दिया सच्चाई यह थी दोनों ही वैज्ञानिकों ने एक समान गणित की शाखा पर समान कार्य किया न्यूटन यह कार्य पहले कर चुके थे लेकिन इसे प्रकाशित नहीं किया लेबनीज ने कैलकुलस के सिद्धांतों को प्रकाशित कर पुस्तक का रूप दे दिया लेबनीज वैज्ञानिक ना होकर दार्शनिक ,वकील थे लेकिन गणित में उच्च कोटि का कार्य उन्होंने किया उच्च कोटि के गणितज्ञ थे नूटन अंग्रेज था Gottfried Lebanese जर्मन थे |

इंग्लैंड के राजकीय खगोल शास्त्री Jame Flamsteed से न्यूटन की कभी नहीं पटी | उस खगोल शास्त्री के वैज्ञानिक आंकड़ों को न्यूटन ने चतुराई से अपनी प्रसिद्ध पुस्तक प्रिंसिपिया मैथमैटिका में इस्तेमाल किया फिर एक-एक कर कर सारे संदर्भों को हटा दिया चतुराई से |

गुरुत्वाकर्षण के संबंध में अन्य वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने भी काफी कार्य किया था वह भी उन्हीं निष्कर्ष पर पहुंच गए थे जिन पर न्यूटन पहुंचे थे न्यूटन का उससे भी 36 का आंकड़ा रहा |

(यहां यह बताना उल्लेखनीय होगा कि गुरुत्वाकर्षण ,गति के नियमों कैलकुलस पर भारत के ऋषि मुनि भी काफी कार्य कर चुके थे केरल के गणितज्ञ माधवन ने कैलकुलस की खोज की थी नूटन से भी सैकड़ों वर्ष पहले गति के नियम गुरुत्वाकर्षण पर भास्कराचार्य ,महर्षि कणाद दृष्टि डाल चुके थे न्यूटन ने केवल इतना विशेष किया उन नियमों को गणितीय रूप दिया )

न्यूटन की जीवनी उनकी मृत्यु के पश्चात तथा उनके जीवन के दौरान अनेक विद्वानों ने लिखी सभी ने एक स्वर में कहा है Newton बाइपोलर डिसऑर्डर अन्य मानसिक सिंड्रोम से ग्रस्त थे |

साथी वैज्ञानिकों से विवाद का न्यूटन के व्यक्तित्व पर यह नकारात्मक प्रभाव पड़ा न्यूटन का बहुत कार्य उन्होंने प्रकाशित नहीं किया ।वह अब यह धारणा बना चुके थे यदि वह इसे प्रकाशित करते हैं तो कोई वैज्ञानिक इस पर अपना होने का दावा ठोक देगा |

न्यूटन को इंग्लैंड के राजघराने द्वारा शाही टकसाल का वार्डन भी नियुक्त किया गया न्यूटन ने सैकड़ों लोगों को मृत्युदंड की सजा सुनाई फांसी पर लटकाया जाली सिक्कों के निर्माण के लिए|

अपने जीवन के अंतिम वर्ष न्यूटन ने ईसाई संप्रदाय , बाइबल की मान्यताओं के प्रचार प्रसार में लगा दिया न्यूटन का ईश्वर की सत्ता में विश्वास था। न्यूटन नास्तिक वैज्ञानिक नहीं थे महान वैज्ञानिक होने पर भी बाइबल की झूठी कहानियां विज्ञान विरुद्ध बातों पर उनका विश्वास था यह सिद्ध करता है , गैलीलियो गैलीली की तरह आदर्श वैज्ञानिक नहीं थे जिन्होंने विज्ञान के सिद्धांतों से यह सिद्ध कर दिया कि बाइबल की मान्यता पृथ्वी सूरज के विषय में एकदम गलत है | न्यूटन ने अल्केमी के क्षेत्र में भी कार्य किया अल्केमी यह वैज्ञानिक विश्वास था जो अब झूठा सिद्ध हो गया है कि पारे से सोना बनाया जा सकता है.. Newton ने आप को पारे से सोना बनाने के कार्य में पूरी तरह झोंक दिया विषैली धातुओं का उन पर प्रभाव पड़ा अनिद्रा खराब पाचन जैसी अनेक व्याधियों से ग्रस्त हो गए | न्यूटन मरते दम तक अविवाहित रहे यह उनके जीवन की पवित्रता थी… न्यूटन कहा करते थे कि अविवाहित रहने का अलग ही आनंद है आज मैं जो कुछ भी विज्ञान के क्षेत्र में कर पाया हूं अपनी देश अंगेज जाति के लिए उसका कारण उनका अविवाहित होना ही है… |

इस लेख का निष्कर्ष यह है कोई कितना भी बड़ा वैज्ञानिक हो ईर्ष्या द्वेष काम क्रोध लोभ मोह से नहीं बच सकता… न्यूटन सौभाग्य से काम से तो बच गए बाकी अन्य मानवीय दोषों से ग्रस्त रहें |

आधुनिक वैज्ञानिकों से भी महान है ऋषि मुनिगण जिन्होंने अपनी इंद्रियों को वश में किया काम क्रोध लोभ मोह पर विजय प्राप्त कर स्थितप्रज्ञ शांत समभाव होकर परमात्मा ,आत्मा को जाना ओरो को भी जनाया प्रकृति तक ही सीमित नहीं रहे |

आर्य सागर खारी ✍✍✍

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