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भारत को भारत की आत्मा से जोड़ने के लिए किया जाए इतिहास का गौरवपूर्ण लेखन : डॉ राकेश कुमार आर्य

ललितपुर। भारत को समझो अभियान के अंतर्गत समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने 16 अप्रैल को बिरधा ब्लाक के सामुदायिक भवन, छत्रपति शिवाजी एमएसडी डिग्री कॉलेज पाली और ललितपुर कंपनी बाग में आयोजित बैठक में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत को भारत की आत्मा से जोड़ने के लिए इतिहास का गौरवपूर्ण लेखन किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष रामचंद्र जी के आदर्शों पर चलने वाला देश है। जिन्होंने आतंकवादियों के सफाये के लिए अपने समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रांति की थी। इसी क्रांति की पवित्र भावना को आगे चलकर श्री कृष्ण जी ने भी अपने गीता के उपदेश से स्पष्ट किया जब उन्होंने यह कहा कि अधर्मी लोगों के विनाश के लिए वह बार-बार संसार में आना चाहेंगे। आज भी हमें अधर्म, अनीति और अन्याय के कार्य में लगे हुए लोगों का सामना उन्हीं के आधार पर करना चाहिए और अपने इतिहास में उन्हीं लोगों को स्थान देना चाहिए जो इसी प्रकार के आदर्श को लेकर चलते रहे।
श्री आर्य ने कहा कि आजादी की लड़ाई के लिए 1235 वर्ष तक


भारत निरंतर लड़ता रहा और उन शक्तियों का कठोरता के साथ सामना करता रहा जो भारत की संस्कृति और भारत के धर्म को मिटाना चाहती थी । भारत की मौलिक चेतना भारत का नेतृत्व करती रही । जिसे अलग-अलग कालखंडों में कभी राजा दाहिर सेन ने, कभी पृथ्वीराज चौहान ने, कभी महाराणा प्रताप ने कभी छत्रसाल ने, कभी बंदा बैरागी ने, कभी गुरु गोविंद सिंह ने तो कभी शिवाजी महाराज ने और उनके पश्चात महर्षि दयानंद, स्वामी श्रद्धानंद वीर सावरकर सुभाष चंद्र बोस जैसी महान विभूतियों ने गतिमान बनाए रखा। उसी का परिणाम रहा कि भारत भारत के रूप में आज विश्व के मानचित्र पर स्थापित है।
डॉक्टर आर्य ने कहा कि स्वाधीनता शिक्षा में नहीं मिलती है और ना दूजा में कोई देता है स्वाधीनता को यदि संघर्ष से छीना जाता है तो यह मिलती भी संघर्ष से ही है । इस सत्य को स्वीकार कर हमें अपने उन सभी महान क्रांतिकारियों को नमन करना चाहिए जिनके कारण आजादी हमको मिली।
श्री आर्य ने कहा कि हमें आज का ध्यान रखना चाहिए कि जिन लोगों ने शिक्षा नीति को भारत की मौलिक चेतना के गौरवपूर्ण पक्ष से वंचित रखकर बनाया, उन लोगों ने देश के साथ अच्छा नहीं किया। आज हमें उन लोगों को पहचानना चाहिए और उनके चरित्र को देश घाती सिद्ध करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
राष्ट्रीय संयोजक श्री कर्मयोगी लखनलाल आर्य ने कहा कि भारत को समझो अभियान भारत की आध्यात्मिक चेतना को भारत की चेतना के रूप में स्वीकार करता है जो स्वतंत्रता की उपासिका प्राचीन काल से रही है। इसी प्रकार के विचार राष्ट्रीय संरक्षक श्री पुरुषोत्तम मुनि जी द्वारा व्यक्त किए गए। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद और स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज भारत की मौलिक चेतना के उपासक थे जिन्होंने अपना जीवन भारत
की मौलिक चेतना को लोगों के साथ समन्वित करने में खपा दिया। स्वामी श्रद्धानंद जी का बलिदान दिवस हमें इसी दृष्टिकोण से स्मरण रखना चाहिए और स्वामी दयानंद जी महाराज को भारत के स्वाधीनता संग्राम का सूत्रधार स्थापित करना चाहिए।
हिंदू जागरण मंच की ओर से श्री पुष्पेंद्र बुंदेला ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की महानता को समझना आज के परिवेश में बहुत आवश्यक है और यह तभी संभव है जब सनातन की महान परंपराओं और मान्यओं को समझने के लिए इतिहास का दोबारा लेखन किया जाए। उन्होंने कहा कि इतिहास किसी भी जाति के भीतर गौरव बोध कराने का सशक्त माध्यम होता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि भारत का इतिहास उन विदेशी लोगों के द्वारा लिखा गया है जो भारत से दुश्मनी मानते थे।
इस अवसर पर धर्मेंद्र राठौर ,श्री हाकिम सिंह, श्री रामरतन कुशवाहा सदर विधायक, मनीष श्रीवास्तव , छक्कीलाल साहू, अनुराग चतुर्वेदी सहित कई अन्य विद्वानों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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