पिछले लेखों में हम मध्य प्रदेश ‘हिंदी ग्रंथ अकादमी’ द्वारा प्रकाशित ‘भारत: हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ पुस्तक के आधार पर चर्चा कर रहे थे कि कितना भारत कितनी देर विदेशी शासन के आधीन रहा और कौन सा क्षेत्र अपनी स्वतंत्रता को बचाये रखने में सफल रहा? इस आलेख में भी उसी चर्चा को उक्त ग्रंथ के आधार पर आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं :-
(38) बुंदेलखण्ड : हिंदू इतिहास के 18000 वर्षीय इतिहास के काल खण्ड में यह क्षेत्र एक दिन भी मुस्लिम शासन में नहीं रहा। हां, कुछ देशी रियासतों ने मुस्लिम शासन में यदा-कदा कर देने संबंधी संधिया अवश्य कीं। इसके उपरांत यह क्षेत्र 1818 ई. से अंग्रेजों के शासन के आधीन हो गया।
(39) गोंडवाना : यह क्षेत्र भी अपने आप में सौभाग्यशाली रहा, जिसने मुस्लिम शासन की एक दिन की भी गुलामी नहीं की। कुछ दिन के लिए मुस्लिम शासकों का करदाता अवश्य रहा। ब्रिटिश शासन के आधीन 1818 ई. में गया। इस प्रकार बुंदेलखण्ड और लगभग एक जैसी ही स्थिति से गुजरे। 
(40) ग्वालियर : महाकौशल, इंदौर, रीवां, झांसी ये सारी रियासतें मुस्लिम काल में अपनी स्वतंत्रता को बचाये  रखने में सफल रहीं। एक दिन भी ये रियासतें किसी मुस्लिम सुल्तान या बादशाह के आधीन नहीं रहीं। महाकौशल की 1818 ई. में तथा झांसी की 1858 ई. में अंग्रेजों से संधि हो गयी। जिससे महाकौशल लगभग 130 वर्ष तो झांसी मात्र 89 वर्ष अंग्रेजों की गुलाम में रही। जबकि अन्य क्षेत्र या तो करद रहे, या किसी अन्य प्रकार से मुस्लिमों से अपनी प्रतिष्ठा बचाये रहे। यद्यपि इन प्रांतों में स्वतंत्रता संग्राम निरंतर जारी रहा।
(41) मालवा : अपने 17500 वर्षीय हिंदू शासन में 1301 से 1731 ई. तक मालवा मुस्लिम शासन के आधीन रहा। 88 वर्ष स्वतंत्र रहकर 1819 ई. में पुन: एक संधि के अंतर्गत ब्रिटिश शासन के साथ चला गया।
(42) भरतपुर क्षेत्र-यहां पर कुल 11 राज्य थे। यह क्षेत्र भी मुस्लिम काल में अपनी स्वतंत्रता बचाने में सफल रहा। 1826 ई. से यह अंग्रेजों के साथ एक संधि के आधीन चला गया। इस प्रकार 121 वर्ष तक यह प्रदेश अंग्रेजों के आधीन रहा।
(43) धौलपुर-नौगांव हमीरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, डूंगरपुर, करौली, किशनगढ़, पालनपुर, प्रतापगढ़, शाहपुर ये सारी रियासतें भी मुस्लिम शासन के आधीन एक दिन भी नहीं रही। अपने 18000 वर्षीय हिंदू शासन की गरिमा को किसी न किसी प्रकार बचाये रखने में ये रियासतें सफल रहीं। परंतु 1857 ई. से एक संधि ब्रिटिश शासन के साथ अलग-अलग इन रियासतों ने की और उसके अंतर्गत इन्होंने ब्रिटिश सरकार के साथ जाना स्वीकार कर लिया। इस प्रकार अधिकतम 90 वर्ष ही ये रियासतें किसी विदेशी शासन के साथ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी रहीं।
(44) टोंक-यह क्षेत्र 1819 से 1948 ई. तक मुस्लिम शासन के आधीन रहा। 1857 से ब्रिटिश सरकार के साथ इस मुस्लिम रियासत की संधि भी हो गयी।
(45) कालिंजर-यह क्षेत्र 1545 से 1856 ई. तक मुस्लिम शासन के आधीन रहा। जबकि 1857 ई. से एक संधि के अंतर्गत ब्रिटिश शासकों के साथ चला गया।
(46) अलवर, जयपुर, आमेर, जोधपुर, मारवाड़, जैसलमेर, बीकानेर उदयपुर मेवाड़, चित्तौड़ ये सारे राज्य अपना स्वतंत्रता संघर्ष चलाते रहे और एक दिन भी मुस्लिम शासन के आधीन नहीं रहे। जयपुर 1728 ई. में बसाया गया था। इसलिए पूर्व के किसी मुस्लिम शासक के आधीन जाने का तो प्रश्न ही नहीं था। अलवर एक दिन भी मुस्लिम शासन के आधीन नहीं रहा। जबकि 1857 ई. से वह अंग्रेजों के साथ एक संधि के अंतर्गत चला गया। शेष अन्य रियासतों-राज्यों के साथ मुस्लिम शासकों की अलग-अलग समयों पर संधियां हो गयी थीं। जिनमें इन रियासतों या राज्यों के सम्मान की स्थिति का भी ध्यान रखा गया था। इसी प्रकार इन्होंने ब्रिटिश सरकार से भी संधि कर ली थी। उदयपुर मेवाड़ की मुगलों के बादशाह जहांगीर से 1614 ई. में एक संधि हो गयी थी।
(47) कोटा-बूंदी, गुजरात (20 प्रमुख राज्य) महाराष्ट्र (15 प्रमुख राज्य) बरार-इनमें से कोटा बूंदी 1625 से 1948 तक अर्थात लगभग सवा सौ वर्ष मुस्लिम शासन के आधीन रहा। जबकि गुजरात के 20 राज्यों में से अधिकांश में हिंदू शासन स्वतंत्रता पूर्व तक स्थापित रहा। जबकि कुछ हिस्सों में लगभग सवा तीन सौ वर्ष तक मुस्लिम शासन रहा। महाराष्ट्र में भी 350 वर्ष तक मुस्लिम शासन रहा। जबकि बरार पर लगभग 500 वर्ष तक मुस्लिम शासन रहा और यह 1902 से 1947 ई. तक अंग्रेजों के आधीन रहा।
(48) हैदराबाद-यह प्रसिद्घ रियासत 1589 ई. से 1948 ई. तक मुस्लिम शासन के आधीन रहा। इस राज्य ने अंग्रेजों से संधि कर ली थी। पर अपने मुस्लिम स्वरूप को दीर्घकाल तक बचाने में सफल रहा था।
(49) मैसूर-विजयनगर  कर्नाटक (शेष अंश) आंध्र प्रदेश-इन क्षेत्रों में भी हम देखते हैं कि संधियों के माध्यम से जैसे -तैसे किसी क्षेत्र पर मुस्लिम शासक अपना नियंत्रण स्थापित करने में सफल हुए थे। जबकि विजयनगर मुस्लिम शासन के आधीन कभी नहीं रहा। यहां एक संधि के अंतर्गत 1857 ई. में ब्रिटिश शासन ने अपनी उपस्थिति प्रकट की। जबकि मैसूर केवल 48 वर्ष ही मुस्लिम शासन के आधीन गया था। इसने भी अंग्रेजों से संधि कर ली थी। कर्नाटक ने अलग-अलग हिस्सों में 200-250 वर्षों तक मुस्लिम शासन तो 1761 ई. से ब्रिटिश शासन झेला और देखा था। जबकि आंध्र प्रदेश केवल दस वर्ष के लिए ही मुस्लिम शासन के आधीरन गया। आंध्र प्रदेश ने 1857 ई. से ब्रिटिश शासन को स्वीकार कर लिया। क्रमश:

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