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धर्माचार्यों का संयुक्त अधिवेशन-

एक बार एक वेदज्ञ, विद्वान बुद्धिमान शक्तिशाली राजा ने पृथ्वी ग्रह पर प्रचलित सब धर्मों के आचार्यों की सभा बुलाई और उन्हें अपने अपने धर्म की श्रेष्ठता बताने को कहा –

  1. हिन्दू पण्डित–तंत्र, पुराण, अवतार, मूर्ति पूजा, ग्रहपूजा, शिवलिंग पूजा, तीर्थ यात्रा आदि में श्रद्धा रखने से मुक्ति हो जाती है| हिन्दु धर्म ही सनातन है,हमारे तिलक छापे से तो यमराज भी डरता है, हमारे देवी देवताओं की मूर्तियों की पूजा में ही सबका कल्याण है| प्राण प्रतिष्ठा के मंत्र पढने से हमारी मूर्तियों में प्राण आ जाते हैं और वे भगवान का रुप धारण कर लेती हैं|, हमारे ईश्वर गोलोक, बैकुण्ठ लोक आदि स्थानों में रहते हैं| हमारे धर्म में राम राम वा राधे राधे जपने, गंगा स्नान करने और तीर्थ यात्रा करने से मुक्ति हो जाती है|
  2. वेदान्ती–हम साक्षात ब्रह्मा हैं,जगत सब मिथ्या है,जीव भाव छोडने से मुक्ति हो जाती है,जीव परमात्मा का ही अंश है और हमारा अद्वैत मत ही असला मत है शेष सब अविद्या से ग्रस्त हैं|

  3. जैन बौद्ध साधु–जैन बौद्ध धर्म के बिना सब धर्म खोटा,जगत का कर्ता अनादि ईश्वर कोई नहीं,जगत अनादि काल से वैसे का वैसा है और बना रहेगा| हमारे चौबिस तीर्थंकरों व महात्मा बुद्ध आदि की मूर्तियां बना कर पूजने में ही मुक्ति हो जाती है|

4.पादरी– हमारा गाड चौथे आसमान में रहता है, बिना ईसा, यीशू वा यहोवा पर विश्वास के पवित्र होकर कोई मुक्ति को नहीं पा सकता,ईसा यीशू ने सबके प्रायश्चित के लिए अपने प्राण देकर दया प्रकाशित की है,सब रोगों से छूटना चाहते हो तो राजन ! तू हमारा चेला हो जा ।

5 .मौलवी–हमारा अल्लाह सातवें आसमान में रहता है, लाशरीक खुदा,उसके पैगम्बर और कुरान शरीफ के माने बिना कोई निजात नहीं पा सकता,जो इस मजहब को नहीं मानता वह काफिर है, बाजिबलकातल्के के है| पांच बार नमाज पढने से, हज यात्रा करने से, अल्लाह के नाम पर जानवरों की कुर्बानी देने से व काफिरों को मारने से जन्नत नसीब होती है|

ऐसे ही कबीर, नानक, दादू, पलटू ,राधा स्वामी, निंरकारी, शैव,वैष्णव,ब्रह्मकुमारी आदि मत वालों ने अपने अपने मत की बडाई की|यह सब सुन राजा को निश्चय हुआ कि ये सब कुशल दुकानदार की तरह अपना अपना माल बेच रहे हैं|राजा ने सबसे प्रश्न किया कि हिंसा न करना,सदैव सत्य बोलना,चोरी न करना,असहायों की मदद करना,संयम में रहना,ईश्वर को कण कण में मानना,अप.नी अन्तरात्मा के विरुद्ध कोई काम न करना,जलवायु को शुद्ध रखना सत्य सनातन धर्म है या नहीं ?

सभी ने एक मत से कहा कि हां ये सब धर्म है| पुन: राजा ने प्रश्न किया कि ये सब धर्म है तो इतने धर्म क्यों बना रखे हैं ?

वे सब बोले – जो ऐसा प्रचार करें तो हमको कौन पूछे ?

ऐसा उतर सुन राजा ने सब पाखण्डियों को अपनी प्रजा को गुमराह करने के कारण बन्दी बना लिया और उक्त एक धर्म वेद की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करने में अपनी पूरी शक्ति लगा दी| मन्दिर मस्जिद चर्च आदि सब कथित धर्म स्थलों को वैदिक शिक्षाओं का केन्द्र बनाने का आदेश दे दिया, सब विद्यालयों में यज्ञ योग व वेद अनिवार्य कर दिया, तन्त्र पुराण कुरान बाईबल आदि सब वेदविरुद्ध ग्रन्थों पर प्रतिबन्ध लगा दिया , मांस अंडा बीडी सिगरेट शराब तम्बाकू व वेश्याओं की दुकानों को बन्द करवा दिया, गांव गांव में गुरुकुल गौशाला खोलने का आदेश दे दिया|
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– डा मुमुक्षु आर्य

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