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भारतीय संस्कृति

शिव आख्यान* भाग 4

शिव आख्यान

डॉ डी के गर्ग
भाग- 4
ये लेख दस भाग में है , पूरे विषय को सामने लाने का प्रयास किया है। आप अपनी प्रतिक्रिया दे और और अपने विचार से भी अवगत कराये

कुछ अलंकारिक शब्दावली
गंगा शिव की पुत्री : हिमालय पर्वत से निकलने वाली एक नदी का नामकरण गंगा के नाम से किया है ठीक वैसा ही जैसे अन्य हजारों नदियों और पर्वत के नाम हमने अपनी सुविधा के लिए रखे है उदाहरण के तौर पर हिमालय पर्वत का अर्थ हिम के आलय से है ।
गंगा एक जड़ है और ये सेकडो जलधारायो के एक स्थान पर एकत्र होने से बनी है।
शिव कल्याणकारी ईश्वर का नाम है ,जिसका सम्पूर्ण प्राकृति में वास है ,इसलिए अलंकार की भाषा में शिव की पुत्री कवि , लेखकों ने कह दिया,वास्तव में ऐसा नही है।

शिव की जटा का संबंध:
पौराणिक कथा: एक कहावत के अनुसार गंगा देवी के पिता का नाम हिमालय है, जो पार्वती के पिता भी हैं। जैसे राजा दक्ष की पुत्री माता सती ने हिमालय के यहाँ पार्वती के नाम से जन्म लिया था, उसी तरह माता गंगा ने अपने दूसरे जन्म में ऋषि जह्नु के यहाँ जन्म लिया था। लेकिन ये भी यह कहा जाता है कि गंगा का जन्म ब्रह्मा के कमंडल से हुआ था। एक अन्य कथा के अनुसार गंगा पर्वतों के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मीना की पुत्री है। इस प्रकार वे देवी पार्वती की बहन भी हैं कुछ जगहों पर उन्हें ब्रह्मा के कुल का बताया गया है।
विश्लेषण: यदि आप किन्ही दो भिन्न कथाओं को आपस में जोड़ने अथवा तुलना करने लगेंगे तो ऐसे ही विचित्र प्रश्नों में उलझते जाएंगे। सच्चाई कुछ और ही है ,सिर्फ शब्दावली पर ध्यान देने की जरुरत है।
पहले ये समझे की गंगा को शिव की पुत्री क्यों कहा ? इसलिए की गंगा नदी को शाश्त्रो में स्त्रीलिंग माना है और गंगा की सभी उपमाये गंगा माँ के नाम से है क्योकि गंगा माँ की भांति हमारा पोषण करती है ,जिसमें मीठे जल की उपलब्धता से लेकर किसानो को सिचाई के लिए जल भी उपलब्ध कराती है और भूमि को हरा भरा रखने में अपना अमूल्य योगदान देती है इसलिए गंगा को गंगा माँ कहते है।
जटा क्या होती है ? आपने देखा होगा की गंगा नदी का उदगम पहाड़ो से होता है। इस विशाल लम्बी पर्वत श्रंखला चारो तरफ से पिघली बर्फ और बारिश के पानी को छोटी छोटी धाराओं में बहाकर पहले छोटी छोटी नदिया और फिर एक विशाल गंगा नदी का स्वरूप देती है।
ये जल धाराएं पहाड़ी जंगलो से निकलकर अंतत गंद्गा नदी में आ मिलती है। इसलिए अलंकार की भाषा में कवियों में उपमा देते हुए कहा की गंगा शिव (ईश्वर) की जटाओं (घने छोटे छोटे घनत्व वाले जंगलो ) से निकलती है।

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