Categories
उगता भारत न्यूज़

स्वामी दयानंद और आर्य समाज ने बिखेर दिया था क्रांति का रक्तबीज : डॉ राकेश कुमार आर्य

जहांगीराबाद (विशेष संवाददाता) यहां चल रहे अथर्ववेद पारायण यज्ञ में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सुप्रसिद्ध इतिहासकार एवं लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन के समय स्वामी दयानंद जी महाराज और आर्य समाज ने क्रांति का रक्तबीज बिखेर दिया था जिससे क्रांतिकारियों ने जन्म लेकर अंग्रेजों को यहां से भगाने का संकल्प लिया। उन्होंने कि भारतवर्ष के इतिहास में बप्पा रावल,महाराणा हमीर सिंह और महाराणा प्रताप के विशेष और राष्ट्रीय गौरव से भरे हुए इतिहास को भुला दिया गया है। बप्पा रावल इस देश के क्रांतिकारी इतिहास के ऐसे पहले महानायक हैं जिन्होंने अरब आक्रमणकारियों को अरब ईरान तक जाकर मार लगाई थी। इसीलिए उन्हें राष्ट्रपिता अर्थात बप्पा का विशेष खिताब मिला था। जबकि राणा हमीर सिंह इतिहास के ऐसे पहले महानायक हैं जिन्होंने तुर्कों के पास चली गई चित्तौड़ को अपने बौद्धिक चातुर्य और बाहुबल से फिर से प्राप्त करके मेवाड़ में राजाओं के नाम के पहले महाराणा लिखने की परंपरा का शुभारंभ किया था।


श्री आर्य ने कहा कि आज हमें अपने गौरवशाली इतिहास को लिखने पढ़ने और समझने की आवश्यकता है। क्योंकि शत्रु आज भी देश को तोड़ने की गतिविधियां में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह यज्ञ श्रीमती शशि राघव की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर उनके पति डॉ लोकेंद्र सिंह राघव के द्वारा करवाया जा रहा है जिनके भीतर देश की संस्कृति की रक्षा का एक विशेष जज्बा है। आज हमें इसी प्रकार के यज्ञ करने की आवश्यकता है जिससे देश की वैदिक संस्कृति की रक्षा हो सके।
देश की वैदिक संस्कृति का देशभक्ति से गहरा संबंध है, क्योंकि वेद राष्ट्र, राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता पर विशेष बल देते हैं। यज्ञ हमारी दैवीय संस्कृति और संपदा की रक्षा का एक पवित्र संस्कार और संकल्प है। देश की रक्षा के लिए हमारे अनेक वीर वीरांगनाओं ने इतिहास में कितने ही अवसरों पर अपने अनोखे बलिदान दिए हैं।
इस अवसर पर आर्य समाज के सुप्रसिद्ध विद्वान और यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य ओमव्रत जी ने भी अपना सुंदर व्याख्यान दिया और राष्ट्र संबंधी वैदिक चिंतन को स्पष्ट करते हुए कहा कि वैदिक राष्ट्रीय प्रार्थना हमारे भीतर पवित्र संस्कारों का आधान करती है। उन्होंने कहा कि संसार की एकमात्र वैज्ञानिक भाषा संस्कृत है ।यही आर्य भाषा है और यही संसार को परमपिता की ओर से दी गई एकमात्र भाषा है इसके अतिरिक्त संसार में जितनी भी भाषाएं बोली जाती हैं वे सब की सब विकृति को प्राप्त हुई बोलियां है।
यज्ञ में सतवीर सिंह आर्य और भानु प्रताप आर्य ने भी भजनों के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करते हुए कहा कि अपनी संस्कृति से जुड़ना समय की आवश्यकता है, अन्यथा हमारी युवा पीढ़ी को नशा, सिगरेट, शराब आदि समाप्त कर डालेंगे। देश में इस समय यज्ञों की परंपरा को लागू कर सुंदर और सात्विक परिवेश बनाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर आर्य समाज बुलंदशहर की आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान निराला जी और मंत्री वीरेंद्र सिंह आर्य सहित सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version