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इतिहास के पन्नों से

क्या इस बार की खुदाई में हो सकेगा दिल्ली के पुराने किले का महाभारत से मेल ?

अशोक उपाध्याय

यमुना नदी के किनारे स्थित पुराना किला देश के सबसे प्राचीन किलों में से एक है। माना जाता है कि यहां पर पांडवों की राजधानी थी, लेकिन अब तक की गई कई बार की खुदाई में इसका कोई सबूत नहीं मिला है। पुराने किले के राज को दुनिया के सामने लाने के लिए एक बार फिर किले की खुदाई शुरू की जा रही है।
दिल्ली के पुराने किले में ऐसा कौन सा खजाना छिपा है, जिसकी खोज के लिए एक बार फिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)की टीम ने खुदाई शुरू कर दी है। एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी वसंत कुमार स्वर्णकर के नेतृत्व में यह तीसरी बार है जब पुराने किले में खुदाई शुरू की गई है। पुराना किला दिल्ली के सबसे पुराने किलों में से एक है। दरअसल एएसआई खुदाई के जरिए पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ ढूंढ पाएगी या नहीं। हर किसी के मन में इस बात तो लेकर काफी उत्सुकता है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जिस जगह पांडवों की राजधानी थी, वह जगह आज दिल्ली के पुराना किला के अंदर कहीं विलुप्त है। हालांकि अब तक हुई खुदाई में पांडवों की राजधानी से संबंधित कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। इससे पहले एएसआई की टीम को साल 2017-18 में खोदाई के दौरान मौर्य काल और इससे पहले के कुछ अवशेष मिले थे। इसमें चूड़ी, सिक्के, पानी निकासी के लिए नालियां समेत अन्य सामान था, जो करीब 2500 साल पुराना था। इस दौरान महाभारतकालीन इमारत होने की कोई निशानी नहीं मिली।

ASI के अधिकारिक रेकॉर्ड के अनुसार, शेरशाह सूरी (1538-45) ने दीनपनाह नगर में तोड़फोड़ की, जिसे मुगल बादशाह हुमायूं ने बनवाया था। इसी जगह उन्होंने किला बनवाया जो पुराना किला के नाम से जाना जाता है। इस किले में उत्तर, दक्षिण और पश्चिम में तीन गेट हैं। अभी पश्चिमी गेट से किले में एंट्री होती है। ऐसा माना जाता है कि शेरशाह सूरी पुराना किला बनाने का काम पूरा नहीं कर पाए थे और इसे हुमायूं ने ही कंप्लीट करवाया। यह किला यमुना नदी के किनारे था।
कई बार हुई है पुराने किले की खुदाई
पांडवों की राजधानी का पता लगाने के लिए कई बार दिल्ली के पुराने किले में खुदाई की गई है। सबसे पहले सन् 1955 में पुराने किले के दक्षिण पूर्वी हिस्से में खुदाई की गई थी। इसमें चित्र वाले भूरे रंग के बर्तनों के टुकड़े मिले थे। इसके बाद 1969 में दोबारा खुदाई शुरू की गई। यह 1973 तक चलती रही। हालांकि, चित्रित बर्तनों वाले लोगों की बस्ती का पता नहीं चला।

मौर्य और मुगल काल के कुछ अवशेष मिले थे
दिल्ली के पुराने किले में पहले की गई खुदाई के दौरान मौर्य काल से शुरुआत से मुगल काल तक के कुछ न कुछ अवशेष जरूर मिले। इसके बाद साल 2014 में फिर से उसी हिस्से के आसपास खुदाई एएसआई ने की। इसमें भी चित्रित भूरे रंग के बर्तनों के कुछ टुकड़े मिले। कोई स्ट्रक्चर सामने नहीं आया। मगर, मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त, राजपूत, सल्तनत और मुगल पीरिएड के अवशेष मिलते रहे। इसमें मौर्यकालीन कुआं (करीब 2 हजार साल पुराना) सामने आया। गुप्त काल के घरों की निशानी भी खुदाई में मिली।

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