डोकलाम को हासिल करने में सफल होगा ड्रैगन?
गौतम मोरारका
11वीं ईजीएम में, दोनों पक्षों ने चीन-भूटान सीमा वार्ता में तेजी लाने के लिए तीन-चरण वाले रूपरेखा समझौता ज्ञापन को लागू करने पर ‘‘स्पष्ट, सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में विचारों का आदान-प्रदान किया तथा सर्वसम्मति से एक सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुंचे।”
भारत के खिलाफ अपने अभियान को पुख्ता बनाने में जुटा चीन सभी पड़ोसी देशों पर डोरे डालता रहता है ताकि भारत को घेरा जा सके। इस कड़ी में पहले उसने पाकिस्तान को साधा, फिर नेपाल को। बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव को भी अपने मायाजाल में फंसाने की कोशिश चीन करता ही रहता है। अब ड्रैगन की नजर भारत के सबसे विश्वस्त पड़ोसी भूटान पर है। डोकलाम पर अपनी नजरें गड़ाए चीन ने हाल ही में भूटान से गुपचुप वार्ता भी की है। बताया जा रहा है कि चीन और भूटान समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने को लेकर ‘‘सकारात्मक रूप से सहमत’’ हो गए हैं ताकि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को तीन चरण वाली रूपरेखा के माध्यम से सुलझाने के लिए वार्ता में तेजी लाई जा सके। दोनों देशों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि चीन-भूटान सीमा मुद्दे पर 11वीं विशेषज्ञ समूह की बैठक (ईजीएम) चीन के कुनमिंग शहर में 10 से 13 जनवरी तक हुई।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि 11वीं ईजीएम में, दोनों पक्षों ने चीन-भूटान सीमा वार्ता में तेजी लाने के लिए तीन-चरण वाले रूपरेखा समझौता ज्ञापन को लागू करने पर ‘‘स्पष्ट, सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में विचारों का आदान-प्रदान किया तथा सर्वसम्मति से एक सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुंचे।’’ संयुक्त बयान में कहा गया है कि ‘‘दोनों पक्ष तीन-चरण वाली रूपरेखा के सभी चरणों के कार्यान्वयन को एक साथ आगे बढ़ाने पर सहमत हुए।’’ बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने ईजीएम की आवृत्ति बढ़ाने और चीन-भूटान सीमा वार्ता का 25वां दौर पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर जल्द आयोजित करने के लिए ‘‘राजनयिक माध्यम से संपर्क बनाए रखने’’ पर भी सहमति जताई है। भूटान और चीन ने 2021 में चीन-भूटान सीमा वार्ता में तेजी लाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए थे, जिसमें सीमा वार्ता और राजनयिक संबंधों की स्थापना को गति देने के लिए तीन-चरण की रूपरेखा तैयार की गई थी। इस बीच, हालिया बातचीत के बाद समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले चीनी सहायक विदेश मंत्री वू जियांगहाओ ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन से सीमा पर वार्ता को तेज करने और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने में सार्थक योगदान मिलेगा।
इस प्रकार की भी रिपोर्टें हैं कि चीन ने हाल ही में भूटान की पूर्वी सीमा पर साकटेंग वन्यजीव अभ्यारण्य के कई इलाकों पर भी अपना दावा ठोका है। गौरतलब है कि इस अभ्यारण्य की सीमा भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश से मिलती है। चीन का विदेश मंत्रालय इन विवादों को पश्चिमी, मध्य और पूर्वी सेक्शन करार देता है। उधर, चीन के इस नये पैंतरे को देखते हुए कई विश्लेषकों का कहना है कि यह सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ड्रैगन भूटान पर दबाव बढ़ाकर डोकलाम हासिल करना चाहता है। चीन का शुरू से मानना रहा है कि भारत से सटा डोकलाम उसके लिए रणनीतिक रूप से काफी अहम है। चीन ने भूटान को जो ऑफर दिया हुआ है उसके मुताबिक यदि भूटान उसे अपना डोकलाम क्षेत्र दे देता है तो चीन बदले में भूटान के उत्तरी इलाके में स्थित भूटानी जमीन पर अपना दावा छोड़ने के लिए तैयार है।
हम आपको बता दें कि भूटान, चीन के साथ 477 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है और दोनों देशों ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 24 दौर की सीमा वार्ता की है। चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन दोनों देश अधिकारियों की समय-समय पर यात्राओं के माध्यम से आपस में संपर्क रखते हैं। हम आपको यह भी बता दें कि भारत और भूटान ऐसे दो देश हैं जिनके साथ चीन ने अभी तक सीमा समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया है, जबकि चीन ने 12 अन्य पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद सुलझा लिया है। वर्ष 2017 में डोकलाम क्षेत्र में सड़क बनाने के चीन के प्रयास के परिणामस्वरूप भारत-चीन के बीच एक बड़ा गतिरोध उत्पन्न हो गया था, जिससे दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ गया था। उस समय भारत ने डोकलाम में चीनी सेना द्वारा सड़क निर्माण का कड़ा विरोध किया था। महीनों तक चला यह गतिरोध तब समाप्त हुआ था जब चीन ने सड़क बनाने की अपनी योजना को छोड़ दिया था।
हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि चीन और भूटान के बीच हुई इस गुपचुप बातचीत पर भारत की पूरी नजर बनी हुई थी। बताया जा रहा है कि चीन और भूटान के बीच यह पूरी बातचीत जिन दो विवादित इलाकों पर केंद्रित रही उनमें पहला क्षेत्र था डोकलाम तथा उससे लगी भूटान की पश्चिमी सीमा, जोकि भारत-चीन-भूटान ट्राईजंक्शन भी है। दूसरा क्षेत्र था- भूटान की उत्तरी सीमा पर स्थित जाकरलुंग और पासमलुंग घाटी। इस बातचीत के दौरान भूटान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय सीमा मुद्दों के प्रभारी दाशो लेथो तोबधेन तांगबी ने किया। वहीं चीन के विदेश मंत्रालय में सीमा विवाद को देखने वाले सहायक विदेश मंत्री वू जियांगहाओ ने चीन का नेतृत्व किया। मंगलवार से शुरू होकर शुक्रवार तक चली इस बैठक में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि वह लगातार संपर्क में बने रहेंगे। हम आपको यह भी बता दें कि चीन और भूटान के बीच साल 1984 से लेकर अब तक 24 दौर की बातचीत हो चुकी है। इन सभी वार्ताओं के दौरान डोकलाम और भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन तथा जाकरलुंग और पासमलुंग घाटी को लेकर चर्चा की गयी लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। देखना होगा कि 25वें दौर की बातचीत कब होती है और उसमें क्या निष्कर्ष निकलता है।