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सत्य घटना : मेल ट्रेन को एक किलोमीटर बैक कराया

सत्य घटना : मेल ट्रेन को एक किलोमीटर बैक कराया
आप जानते हैं की सभी रेल गाड़ियां गंतव्य के तरफ आगे को बढती हैं , किसी को भी पीछे की तरफ लौटाना नियमों के विरुद्ध है , और अगर कोई रेल कर्मचारी बिना किसी वैध आदेश के ऐसा करता है ,तो उसकी नौकरी तुरंत समाप्त हो जाती है , लेकिन हमने सन 1988 में ऐसा दुस्साहस किया था , और हमारी नौकरी जाने की जगह हमारे दो छोटे भाइयों को रेलवे में नौकरी मिल गयी थी
यह सत्य घटना थोड़ी लम्बी जरूर है ,लेकिन हमें विश्वास है प्रबुद्ध पाठक पूरी घटना ध्यान से पढ़ेंगे
यह सं 1988 की बात है ,उस दिन धनतेरस का पर्व था ,हम शुडूल ने अनुसार हमारी ड्यूटी 9005 डाउन सौराष्ट्र मेल पर थी गाड़ी समय के अनुसार चल रही थी लेकिन जब सूरत स्टेशन आया तो अचानक बहुत भारी भीड़ गाड़ी में चढ़ गयी , इसमें अधिकांश मजदूर वर्ग के लोग थे जो काम के लिए सौराष्ट्र के कई गावों से आकर सूरत में काम कर थे और उनको दीवाली का बोनस दिया गया था , वह बोनस लेकर अपने अपने गांव दीवाली मनाने जा रहे थे , इसलिए जनरल डिब्बों में काफी भीड़ थी उसमे महिलाएं भी थी , गाड़ी सूरत लगभगरात के एक बजे आयी थी गाड़ी जैसे ही स्टार्ट होने लगी हमारे सीनियर गार्ड सरदार रूपेंद्र सिंह हमारे ब्रेक वान (BreakVan ) में चढ़ गए , वह अहमदाबाद सूरत गाड़ी लेकर सूरत आये थे और स्पेअर होकर अपने घर मणिनगर जाने वाले थे .गाड़ी वड़ोदरा सही समय पहुँच गयी करीब 3 बज गए रहे , अधिकांश लोग सो रहे थे बरोदा में ज्यादा भीड़ नहीं थी , स्टेशन पर भी अधिक हलचल नहीं थी , इसलिए टाइमटेबल के अनुसार 10 मिनट रुकने के बाद गाड़ी आगे को बढ़ने लगी बरोदा से अगली स्टेशन बाजूवा है लेकिन गाडी जैसे आगे को चली अचाननक किसी ने गाड़ी की जंजीर खिंच दी , चूँकि चेन खींचने से गाडी एकदम नहीं रूकती है गाड़ी बाजूवा और रानोली स्टेशन के बीच जंगल में रुक गयी लेकिन हमें पश्चिम के तरफ एलेम्बिक फार्मेसी का भवन दिखाई दे रहा था जहाँ दवाएं बनती है उसकी लाइटें दूर से दिख रही थी
1-गाड़ी की जंजीर खींचने का कारण
ट्रेन की जंजीर खींचने पर गाड़ी एकदम नहीं रूकती लेकिन धीमी होकर कुछ दूर जाकर ठहर जाती हैं . इसका पता ड्राइवर को और गार्ड को वैक्यूम गेज की रीडिंग से पता चल जाता है और ड्राइवर बार बार सीटी बजा कर गार्ड को संकेत दे देता है की कारण क्या है इसलिए गाड़ी रुकते ही हम अपने वान से निचे उतर गए देखा की कई लोग नीचे उतर कर हमारे पास आ रहे थे उन में से एक बोला एक गर्भवती औरत के पेट से बच्चा गाड़ी से निचे गिर गया है जब वह औरत शौच के लिए लैटरीन में गयी थी , हम लोगों ने उस औरत को कोच में ही नीचे लिटा रखा है लेकिन बच्चा कहाँ गिरा है पता नहीं है , हमारी लोगों से बात चल ही रही थी कि ड्राइवर अपने असिस्टेंट को इंजन में बिठा कर हमारे पास आ गया , रात के करीब 3 बज गए थे चारों तरफ अँधेरा था हमने अपने से सीनियर गार्ड रूपेन्दर से पूछा की अब क्या करना चाहिए , सरदार जी बोले आप ड्राइवर के आदेश दो कि गाडी स्टार्ट करे अगर कोई यहीं पर निचे उतरना चाहे तो उतरने दो ,अगला स्टॉप भरुच है , वहां पुलिस को सूचना दे देना , पुलिस वाले रोड से इस जगह आएंगे , और बच्चा मिल जायेगा तो इन लोगों को सौंप देंगे , हमने कहा पुलिस वाले तो कल ही आएंगे तब तक कोई जानवर बच्चे को खा जायेगा ,तब सरदार जी ने कहा कि फिर आप क्या करने वाले हो ?हमने कहा रुको बताते हैं , हमने देखा था जब सरदार जी सूरत से हमारे ब्रेकवान में चढ़े थे तो वह आराम से एक छोटी सी पुस्तक का पाठ कर रहे थे जो गुरमुखि भाषा में थी जिसका नाम “सुन्दर गुटका ” था यह धार्मिक किताब है , फिर हमने सरदार जी से कहा आप इस किताब की कसम खाइये की आज हम जो काम करने वाले हैं उसकी बात मेरे रिटायर्ड होने या मेरी मौत तक किसी को नहीं बताओगे ,
” हम सौराष्ट्र मेल ‘ बाजूबा से बड़ौदा की तरफ बैक (back ) करवाएंगे , यह सुनते ही ड्राइवर ने कहा हम तो आपके अण्डर है लेकिन अगर हम एक मीटर भी गाडी बैक चलाएंगे हमारी उसी समय नौकरी चली जाएगी . तब हमने ड्राइवर से कहा की हम कोरे मेमो पर सही करके दे रहें ,तुम जो चाहे लिख लेना साड़ी जिम्मेदारी हमारी होगी हमारी नौकरी जाएगी ,तुम्हारा कुछ नहीं होगा लेकिन अभी गाडी पीछे की तरफ चलाओ हम सिग्नल देते रहेंगे ,इसके बाद गाड़ी पीछे चलती रही लोग साथ साथ आगे बढे और ईश्वर ने चमत्कार किया एक हरी घास के ऊपर बच्चा लोगों ने देख लिया और कपड़ों में छुपा लिया .
यह इस घटना का पहला भाग है जल्द ही दूसरा भाग पोस्ट होगा
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ब्रजनंदन शर्मा

( इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने निजी विचार हैं जिनसे उगता भारत का सहमत होना आवश्यक नहीं)

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