देखते ही गोली मारने के आदेश के बावजूद 56 धोतियों की रस्सी बना कर जब निकल भागे थे जयप्रकाश नारायण जेल से


नितेश कुमार

लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। भारत के लिए उनका योगदान अतुलनीय है। उन्होंने लाखों लोगों को राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा दी। लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रहरी के रूप में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।’ वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार के सारण जिले में जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण के जन्मस्थान का दौरा किया। शाह वहां समाजवादी नेता की 120वीं जयंती के समारोह में शामिल हुए।

छात्र आंदोलन की बात जब भी होती है तो जेपी का नाम जरूर याद आता है। जेपी आंदोलन ने केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार तक को सत्ता से बेदखल कर दिया था। जननायक के जीवन से कई सारी कहानियां जुड़ी हैं। आज हम आपको जेपी का एक ऐसा ही साहसिक किस्सा सुना रहे हैं, जो उनके जेल से फरार होने का है। जगह हजारीबाग, जो उस समय संयुक्त बिहार का हिस्सा था। अंग्रेजों के नाक में दम कर देने वाले जयप्रकाश को यहां की जेल में बंद किया गया था।

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था। इसी दौरान जेपी ब्रिटीश हुकूमत के खिलाफ लगातार मुहिम छेड़े हुए थे। तंग आकर अंग्रेजों ने जेपी को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें पहले मुंबई की आर्थर जेल ले जाया गया। इसके बाद उन्हें दिल्ली की कैंप जेल में बंद कर दिया गया। आखिरकार जेपी को हजारीबाग की जेल में डाल दिया गया।

देश को जेपी की जरूरत थी। उन्होंने जेल से भागने का प्लान बनाया। इसमें उन्हें 5 लोगों का साथ मिला। बताते हैं कि जेल की दीवार 17 फीट ऊंची थी। इसे पार करने के लिए क्रांतिकारियों ने 56 धोतियों को जोड़कर रस्सा बनाया और वहां से भाग निकले। जेपी के साथ फरार होने वालों में रामानंद मिश्र, शालीग्राम सिंह, सूरज नारायण सिंह, योगेंद्र शुक्ला और गुलाब चंद गुप्‍ता शामिल थे। उस वक्त जेल में बंद क्रांतिकारियों ने दिवाली मनाई थी।

अंग्रेजी हुकूमत इससे बौखला गई। जेल से फरार इन 6 क्रांतिकारियों को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश जारी हुआ। 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया गया था। इन 6 सिपाहियों को तलाशने के लिए ब्रितानी सैनिकों की दो कंपनियां लगाई गईं। इन्होंने उन्हें जंगलों में बहुत ढूंढा, लेकिन नाकाम साबित हुए। हजारीबाग जेल का नाम लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार है।

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