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कविता

गीता मेरे गीतों में , गीत 42 ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद)

सब काल में ईश्वर का स्मरण

भगवान की भक्ति कर अर्जुन यदि जीत युद्ध में है पानी।
यदि भूल गया जगदीश्वर को तो व्यर्थ जाएगी जिंदगानी।।

जिसने तुझको है जन्म दिया उसको भी तूने वचन दिया।
मुझे धर्म का पालन करना है जिसके लिए तूने जन्म दिया।।
तू अपने वचनों को भूल रहा , है कौन बता तेरा सानी…
भगवान की भक्ति कर अर्जुन यदि जीत युद्ध में है पानी…..

समाज समृद्ध, पुष्ट होवे और धन-धान्य से भी भरपूर रहे।
उसके लिए सबको उठना होता , समाज व्यसन से दूर रहे।।
ऐसा वेदों ने कथन किया , तू ध्यान से सुन उनकी वाणी …
भगवान की भक्ति कर अर्जुन यदि जीत युद्ध में है पानी…..

उपनिषद भी ऐसा कहते – ‘उठो ! जागो ! और लक्ष्य भेदो।’
जब तक ना लक्ष्य भेद पाओ तब तक ना शान्त कभी बैठो।।
जो थककर पीछे हटते हैं उन्हें मिलती नहीं कोई राजधानी …
भगवान की भक्ति कर अर्जुन यदि जीत युद्ध में है पानी…..

सैनिक – समुदाय बनाने का उपदेश वेद करता आया।
लोहमय कर नगरों – दुर्गों को हमको सुदृढ़ करता आया।।
जनमत अपने अनुकूल बना और छोड़ शरारत बचकानी ….
भगवान की भक्ति कर अर्जुन यदि जीत युद्ध में है पानी…..

तू प्रजा का कवच है अपनी का इसको क्यों मन से भूल रहा।
तेरे सब तेरे साथ खड़े , क्यों शत्रु का चिंतन करने लगा।।
तू मुझ में ध्यान लगा अर्जुन, और युद्ध की कर ले तैयारी …..
भगवान की भक्ति कर अर्जुन यदि जीत युद्ध में है पानी…..

भगवान को सुमरण करते हुए, तू युद्ध क्षेत्र में उतर सखे !
ब्रह्म देख हर क्रिया में , तुझे मिलनी निश्चय जीत सखे !!
मत युद्ध क्षेत्र से भाग सखे! नहीं, मुंह पर कालिख पुत जानी..
भगवान की भक्ति कर अर्जुन यदि जीत युद्ध में है पानी…..

यह गीत मेरी पुस्तक “गीता मेरे गीतों में” से लिया गया है। जो कि डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित की गई है । पुस्तक का मूल्य ₹250 है। पुस्तक प्राप्ति के लिए मुक्त प्रकाशन से संपर्क किया जा सकता है। संपर्क सूत्र है – 98 1000 8004

डॉ राकेश कुमार आर्य

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