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इतिहास के पन्नों से

हिन्दुओं के सैनिकीकरण अभियान में राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ का अमूल्य योगदान -इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार, महामन्त्री,वीर सावरकर फ़ाउंडेशन

हिन्दुओं के सैनिकीकरण अभियान में राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ का अमूल्य योगदान -इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार, महामन्त्री,वीर सावरकर फ़ाउंडेशन ———————————————

भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए हिंदुओं का सैनिकीकरण किया जाना बहुत आवश्यक है। इस बात को क्रांति वीर सावरकर जी ने बहुत पहले अनुभव कर लिया था। उन्होंने अपनी योजना को सिरे चढ़ाने के लिए अपने जीवन काल में अनेक प्रकार के जतन किए।
सावरकर जी यह स्पष्ट देख रहे थे कि यदि अंग्रेजों से देश को स्वतंत्र करा भी लिया गया तो उसके पश्चात भी देश के भीतर ऐसी सोच के लोग बड़ी संख्या में रह जाएंगे जो देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहेंगे या किसी न किसी प्रकार से देश को कमजोर करने का प्रयास करते रहेंगे। उन लोगों या उन शक्तियों से निपटने के लिए आवश्यक होगा कि हिंदुओं का सैनिकीकरण किया जाए। वास्तव में यह उनकी दूरदृष्टि का ही कमाल था कि उन्होंने अपने समय में ही यह देख लिया था कि भविष्य के भारत में ऐसी देश विरोधी ताकते किस प्रकार सिर्फ उठाएंगी ? आज देश में जो कुछ भी उपद्रव हो रहा है यह वही लोग हैं जिन्हें सावरकर बहुत पहले देख चुके थे।
जब क्रांतिकारी वीर सावरकर १९३७ में हिन्दु महासभा के अध्यक्ष बने तब क्रांतिकारी डॉक्टर हेडगेवार हिन्दु महासभा के उपाध्यक्ष बने। १९३८ में नागपुर में सम्पन्न हिन्दु महासभा के अखिल भारतीय सम्मेलन की स्वागत समिति के डॉक्टर हेडगेवार स्वागताध्यक्ष बने और इन्ही की देखरेख में हिन्दु महासभा का सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इस बात से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि यह दोनों नेता किस प्रकार मिलकर काम करने में विश्वास रखते थे। यदि बाद में दोनों किनी अलग-अलग मंचों पर भी रहे तो भी उनकी मूल विचारधारा एक ही रही। यही कारण है कि राष्ट्रीय सेवक संघ ने हिन्दुओं के सैनिकीकरण अभियान में सक्रिय योगदान दिया।
संघ के सदस्यों को सेना का प्रशिक्षण देने के लिये एक सैन्य अधिकारी नियुक्त किया गया व राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ की शाखाओं में सेना में युवकों के भरती होने के लिये केम्प लगाये गये। नागपुर में सम्पन्न हिन्दु महासभा के सम्मेलन के आरम्भ में विराट शोभायात्रा में संघ के कार्यकर्ताओं ने संघ की पोशाक में हज़ारों की संख्या में भाग लिया। इस प्रकार के प्रयासों से सोए हुए हिंदू समाज में नई चेतना का संचार हुआ। लोग इस बात को समझ गए कि यदि अपना अस्तित्व बचा कर रखना है तो अपने हाथों में भाला उठाना ही पड़ेगा। माला की संस्कृति को अपनाये रख कर भी भाला कितना आवश्यक है ? – इस बात को लोगों ने गहराई से समझा।
चित्र में हाथी पर झण्डा फहराते हुवे पूर्व संघ सरसंघचालक श्री बालासाहेब देवरस देवरस के भाई भावुराव देवरस।

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