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श्री ओम बिरला और श्री सी.पी.जोशी ने भारी उद्योग सचिव से की मुलाकात

इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड की समस्या का निदान करवाने का आग्रह

                नई दिल्ली, 10 मार्च, 2015। कोटा और चित्तौड़गढ़ के सांसद श्री ओम बिरला और श्री सी.पी.जोशी ने आईएल, कोटा के कर्मचारियों के साथ आईएल (इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड) की समस्या के सम्बंध में भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव श्री राजन कटोच से मुलाकात की।

                सांसदों ने इन्स्ट्रुमेंटेशन एम्प्लॉयज यूनियन का एक मांग पत्रा भी दिया। उन्होंने मांग की कि राजस्थान के कोटा शहर में स्थित आईएल (इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड) को पुनः लाभ में लाने के लिए एक विशेष कार्य योजना बनाई जाए।

                मुलाकात के पश्चात् सांसद श्री ओम बिरला ने बताया कि आईएल कोटा भारत सरकार के महत्वपूर्ण राजकीय उपक्रमों में से एक है। इस निकाय में कोटा के हजारों परिवारों का रोजगार जुड़ा हुआ है। यह उपक्रम वर्ष 1991-92 से लाभ में नहीं चल रहा है। वर्ष 1994 में कम्पनी को रूग्ण इकाई घोषित कर दिया गया था। तदोपरान्त वर्ष 2009 में स्वीकृत पुर्नरूत्थान योजना के अन्तर्गत कम्पनी संचालन के लिए मिलने वाली कार्यशील पूंजी उपलब्ध नहीं कराई गई। कार्यशील पूंजी नहीं होने के कारण कम्पनी अपने कार्यादेश भी पूरे नहीं कर पाई।

                श्री बिरला ने कहा कि पूर्व में आईएल के कर्मचारियों के साथ मिलकर प्रबंधकों द्वारा एक संयुक्त रूप से रिवाईवल प्लान को बनाकर मंजूर किया गया था। जिसमें श्रमिकों एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बकाया भुगतान किए जाने तथा आईएल को पुनः लाभ में लाने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज दिया जाना तय किया गया था। उक्त दिशा में कुछ विषयों पर अभी तक क्रियान्विति नहीं होने से श्रमिकों का करोडों रूपया भुगतान किया जाना शेष है, वहीं इकाई के मुनाफे में नहीं चलने से सरकार को भी बडी हानि उठानी पड रही है।

                श्री बिरला ने कहा कि इन्स्ट्रुमेन्टेशन लिमिटेड (आईएल) की बकाया देनदारियों को चुकाने के लिए कुछ सुझाव इन्स्ट्रुमेन्टेशन एम्प्लॉइज यूनियन द्वारा प्राप्त हुए हैं। उनमें इन्स्ट्रुमेन्टेशन लिमिटेड (आईएल) को किसी बडे अन्य राजकीय उपक्रम के साथ जोडकर मौजूदा संसाधनों का समुचित उपयोग करने की कोई कार्ययोजना बनाई जाए तो न केवल उक्त उद्योग को पुनः उपयोग में लाया जा सकता है साथ ही श्रमिकों का बकाया भुगतान यथा पीएफ, ग्रेच्युटी, पेन्शन, बकाया सैलेरी का भी भुगतान किया जा सकता है।

                इसी प्रकार नॉन प्लान बजटरी सपोर्ट से आईएल को सहायता उपलब्ध कराई जाए तो कर्मचारियों के हितों की पूर्ति की जा सकती है। साथ ही राजस्थान इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड इन्स्ट्रुमेन्टेशन लिमिटेड, जयपुर (रील) जिसमें आईएल की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है, का संपूर्ण मूल्यांकन 800 से 900 करोड रूपए, नेटवर्थ 80 करोड रूपए तथा शुद्ध सकल लाभ लगभग 14 करोड रूपए का है। रील को भारतीय पूंजी बाजार में लिस्टेड कर दिया जाए तो रील के शेयर का मूल्य लगभग 500/-प्रति शेयर होने की संभावना है। यदि रील को एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दे दिया जाए तो रील से आईएल को 51 प्रतिशत की अनुमानित 300 से 350 करोड रूपए की पूंजी राशि प्राप्त होगी।

                श्री बिरला ने भारी उद्योग सचिव से आग्रह किया कि इन्स्ट्रुमेन्टेशन लिमिटेड के लिए एक समयबद्ध कार्ययोजना बनाई जाए तथा श्रमिकों को त्वरित राहत देने के लिए आर्थिक सहायता भी पैकेज के रूप में उपलब्ध कराई जाए, जिससे इस निकाय से जुडे कोटा के हजारों परिवारों को राहत मिल सकेगी। सचिव श्री कटोच ने इस संबंध में हर संभव सहायता करने का आश्वासन दिया।

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