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कविता

थूकेगा इतिहास तुम्हारी,* *चुप्पी या नादानी पर*


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*कैसे गर्व करे भारत मां,*
*हिंदू-हिंदुस्तानी पर?*
*थूकेगा इतिहास तुम्हारी,*
*चुप्पी या नादानी पर।*

*कभी संत की हत्या होती,*
*साधू मारे जाते हैं,*
*कभी कन्हैया के तन से ही,*
*शीश उतारे जाते हैं,*
*घाटी में हिंदू के घर,*
*चुन-चुन हत्यारे आते हैं,*
*अस्सी प्रतिशत होकर भी,*
*हम ही संहारे जाते हैं,*

*कब जागोगे सोने वालों,*
*तुम इनकी शैतानी पर ?*
*थूकेगा इतिहास तुम्हारी,*
*चुप्पी या नादानी पर।*

*’धड़ से शीश जुदा’, का नारा,*
*सिर पर चढ़कर बोलेगा,*
*अंकित या कमलेश तिवारी*
*की हत्या कर तोलेगा,*
*पाकिस्तानी नारों से,*
*हम सबके दिल को छोलेगा,*
*वीर शिवा-राणा के वंशज,*
*खून भला कब खौलेगा?*

*बाबू सेकुलर गर्व करेंगे,*
*कातिल अफ़ज़ल-बानी पर।*
*थूकेगा इतिहास तुम्हारी,*
*चुप्पी या नादानी पर।*

*भारत मां के बंटवारे में,*
*यदि ना चूक किए होते,*
*सन सैंतालिस में ही निर्णय,*
*तुम दो टूक किए होते,*
*सावन-भादौं की नदियों में,*
*ज्यों कुत्ते बह जाते हैं,*
*ये भी बह जाते,तुम केवल,*
*मिलकर थूक दिए होते,*

*पानी फिर ना जाए बोस,*
*भगत सिंह की कुर्बानी पर।*
*थूकेगा इतिहास तुम्हारी,*
*चुप्पी या नादानी पर।*

*गंगा-जमुनी,भाईचारा,*
*सेकुलर केवल नारे हैं,*
*जब तक हम बहुमत में हैं,*
*केवल तब तक ही प्यारे हैं,*
*उनके बच्चों को भी मालुम,*
*कौन हमारा दुश्मन है?*
*अपने ‘बावन’ वाले भी,*
*कहते हैं “सभी हमारे हैं”।*

*उनकी देशभक्ति है जैसे,*
*’पानी लिखना पानी पर।*
*थूकेगा इतिहास तुम्हारी,*
*चुप्पी या नादानी पर*

*नेताओं ने वोटों की ,*
*माया में तुम्हें फंसाया है,*
*जातिवाद के चक्कर में,*
*तुमको कमजोर बनाया है,*
*बाभन, ठाकुर,अगड़ा-पिछड़ा,*
*दलित बनाकर बांट दिए,*
*जहां पड़े वह बीस पीसकर,*
*हमको सबक सिखाया है,*

*किए भरोसा अब भी बाबू,*
*जेहादी बिरियानी पर।*
*थूकेगा इतिहास तुम्हारी,*
*चुप्पी या नादानी पर।*

*कसम विवेकानंद -बोस की,*
*कसम तुम्हें सावरकर की,*
*जाति-पांति का दहन करो अब,*
*लाज बचाओ सरवर की,*
*जिस दिन मुट्ठी बंध जाएगी,*
*सनातनी फुलवारी की,*
*साहस नहीं करेगा कोई,*
*टहनी तोड़ें तरुवर की।*

*वरना काटे जाओगे,*
*आपस की खींचातानी पर,*
*थूकेगा इतिहास तुम्हारी*
*चुप्पी या नादानी पर*

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