Categories
देश विदेश

इस्लामिक देशों के सामने हमें मजबूती से खड़ा होना होगा

ओपेक और 57 इस्लामिक देशों के समूह ने पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ की गई तथाकथित अवांछनीय टिप्पणी के प्रति नाराजगी जताई है और भारत सरकार से इस विषय में सफाई माँगी। भारत सरकार ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि ये टिप्पणियाँ व्यक्ति विशेष के विचार हैं और हम इनका समर्थन नहीं करते और उन संस्थाओं जिनसे ये संलग्न थे ने इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही कर दी है। अतः इस्लामिक देशों की माँग अव्यवहारिक है।
भारत के इस स्पष्ट जवाब से नाराज होकर अरब देशों ने भारत पर दबाव बनाना शुरु कर दिया है। उनकी सोच है कि ऐसा करने पर अनिवासी भारतीय और भारतीय राजनीतिक दल सत्तापक्ष के खिलाफ माहौल बनायेंगे और उसको झुकने पर मजबूर कर देंगे।
सतही तौर पर देखने से कहानी ऐसी ही दिखाई देती है लेकिन मुद्दा यह नहीं है। मुद्दा है रूस से भारत का तेल खरीदना। अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से डिस्काउंट में तेल खरीदने जा रहा है। डालर की जगह यह सौदा रूबल और रुपये में होगा। अमेरिकी बीमा कंपनियों के तेलवाहक जहाजों के बीमा ना करने के कारण सौदे में रुकावट आ रही थी। लेकिन भारतीय और रूस की तेल कंपनियों ने इसका भी रास्ता निकाल लिया है। अब खरीद्दार की जगह विक्रेता की जिम्मेदारी होगी बीमा अथवा बिना बीमा के भारत तक तेल पहुँचाने की। प्राप्त खबरों के अनुसार भारत अब रूस से इस समय दुगनी मात्रा में तेल खरीदने की तैयारी कर रहा है।

इस कारण अमेरिका की डालर और बीमा की दादागिरी और अरब देशों की ऊँचे दाम पर तेल बेचने की सौदेबाजी की ताकत कम हो रही है। इससे इनको तिलमिलाहट हो रही है। उसको सीधे प्रकट ना कर के भारत पर दबाव बनाने का उनको मौका मिल गया तथाकथित टिप्पणी से।
दबाव बनाने की शुरुआत की पहले तुर्की ने जब उसने भारत का भेजा गेहूँ लौटाया, कल मिस्र ने भी गेहूँ की डिलवरी लेने से मना कर दिया। बहाना बनाया कि गेहूँ सड़ा हुआ है। अब अरब देशों ने अपने बाजारों में भारतीय सामान को बेचने से रोक लगा दी।
इन सब की आड़ में ये भारत का रूस से समझौता रद्द करवाना चाहते हैं।
लेकिन भारत सरकार ऐसा नहीं करेगी और वह देशहित के समझौतों से पीछे नहीं हटेगी बशर्ते हम भारतीय अपने नेतृत्व पर विश्वास रखें, उसके पीछे दृढ़ता से खड़े होकर उनका सही फैसलों में समर्थन करें।
कुछ समय के लिए तकलीफें हो सकती हैं लेकिन हमारी दृढ़ता अमेरिकी डालर डिप्लोमेसी और इस्लामिक पेट्रो डिप्लोमेसी की हवा जरूर निकाल देगी। हम इनके उकसावे में फिर कोई गलत कदम नहीं उठायेंगे जिससे भारत सरकार के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो।
हमें मोदीजी का मंत्र स्मरण रखना चाहिए – *सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास*।
*वंदेमातरम्।*

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Comment:Cancel reply

Exit mobile version