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आप मुहम्मद को क्या कहेंगे ?

लोग मुहम्मद के बारे में कुछ भी कहते हों ,लेकिन एक बात निर्विवाद है कि मुहम्मद जैसा व्यक्ति दुनिया में कोई नहीं हुआ .उसने लोगों कि अज्ञानता ,अंधविश्वास का पूरा पूरा फायदा उठाया था .और लोगों को मुसलमान बनाने के लिए हरेक हथकंडे अपनाये थे .इसमे डराना ,लालच देना सब शामिल हैं .इस्लाम से पाहिले अरब में यहूदियों और ईसाईयों ने अनेकों काल्पनिक बातें फैला रखी थीं ,जैसे शैतान ,फ़रिश्ते ,जन्नत ,दोजख आदि.इन्हींके आधार पर वह धर्म चल रहे थे .मुहम्मद ने इनमे जिन्न ,हूरें ,गिलमा और जोड़ दिए ,जिस से लोगों को ललचाया जाये .इसके आलावा मुहम्मद ने जन्नत और जहन्नम के बीच में एक और स्थान की कल्पना कर डाली .मरने के बाद आत्मा कब्र के अन्दर इसी जगह में तब तक रहेगी जब तक उसका मुर्दा शरीर फिर से जिन्दा नहीं किया जायेगा .फिर अंतिम फैसला हो जाने पर जीव नर्क या स्वर्ग में जायेगा .इस जगह को मुहम्मद ने “बरज़खبرزخ “का नाम दिया . कुरान में लिखा है –
1 -बरज़ख क्या है ?
“मरने के बाद एक जगह बरज़ख है ,जीवित करके उठाने के दिन तक “सूरा -अल मोमिनीन 23 :100
“स्वर्ग और नर्क के बीच बरज़ख है ,लोग जिसे पार नहीं कर सकते ” सूरा -रहमान 55 :20
मुहम्मद पाखंडी तो था ही ,वह कई दावे भी करता था ,जैसे चाँद के तुकडे करना आदि .इसी तरह मुहम्मद ने दावा किया कि वह अपने लोगों को बरज़ख की तकलीफों से बचा सकता है .
मुहमद का बाप अब्दुल्ला बचपन में मर गया था .और बाद में माँ अमीना भी मर गयी .मुहम्मद को उसके चाचा अबूतालिब ने पाला था .जब वह मर गया तो तो मुहम्मद को उसकी चाची “फातिमा बिन्त असदفاطمه بنت اسد “ने अपने पास रख लिया .मुहमद के चारे भाई का नाम अलीعلي था .
सन 626 को मुहम्मद की चाची फातिमा की अचानक मौत हो गयी .जब लोग उसकी लाश को दफना चुके तो मुहम्मद ने अपनी जवान चाची को बरज़ख के बोझ से बचने के लिए जो महान कार्य किया था वह कोई सोच भी नहीं सकता .
इसे हिंदी में “शव सम्भोग ‘अंगरेजी में “Necrophilia ” और अरबी में “वती उल मौती وطيءالموتي”कहा जाता है .मुहमद ने अपनी चाची की लाश के साथ सम्भोग किया था ,ताकि वह जन्नत में जाये .इसके सबूत में हिंदी ,अंगरेजी और अरबी प्रमाण दिए जा रहे हैं –
2 -शव सम्भोग (Necrophilia )क्या है ?
शव सम्भोग या Necrophilia एक प्रकार की मानसिक विकृति है ,इसे आम तौर से Sex with dead body भी कहा जाता है. इसका किसी नस्ल और संस्कृति से कोई सम्बन्ध नहीं हैं .ऐसे विकृत लोग सब जगह हो सकते हैं.लेकिन मुझे विश्वास है की मुसलमान कुछ अलग प्रकार के विकृत मानसिकता के रोगी है.धन्य है ऐसे इस्लाम को ,जिसने इस विकृति को पागलपन की सीमा से भी पर कर दिया है .क्या कोई यह दावा कर सकता है की मुस्लिम देशों में ऐसा नहीं होता है .
इसी विषय पर शोध करने पर एक रोचक हदीस मिली है ,जिसे सबको बताया जा रहा है यह हदीस “कन्जुल उम्माल “नामकी किताब से ली गयी है जिसका अर्थ श्रमिकों का खजाना है .इसके एक अध्याय “The issue of womenقضية امراة “में अली इब्न हुस्साम अल दीन ,जिसे लोग अल मुत्तकी अल हिंदी भी कहते है ,अपने हदीसों के संकलन “अल जामी अल सगीरالجامع الصغير “में जिसे जलालुद्दीन शुयूती ने जमा किया यह हदीस दर्ज की है –
Necrophilia: This is a mental disease and it has nothing to do with race or culture. There are sick people everywhere and I am sure Muslims who are sick in many other ways thanks to their sick religion are no better when it comes to this insanity. Do you have any proof that necrophilia does not happen in Islamic countries?

Talking about Necrophilia there is a curious hadith that I would like to share.

This is from a book called “Kanz Al Umal” (The Treasure of the Workers), in the chapter of “The issues of women”, authored by Ali Ibn Husam Aldin, commonly known as Al-Mutaki Al-Hindi. He based his book on the hadiths and sayings listed in “Al-Jami Al-Saghir,” written by Jalal ul-Din Al-Suyuti.

3–शव सम्भोग का हदीस से प्रमाण
इब्ने अब्बास ने कहा कि रसूल ने कहा “मैंने (यानी रसूल ने ) उसके (फातिमा बिन्त असद )के सारे कपडे उतार दिए ताकि वह जन्नत के कपडे पहिन सके .और फिर मैं उसके कफ़न (कब्र )में उसके साथ लेट गया ,जिस से उसे कब्र के संताप का बोझ हल्का हो सके .मेरी नजर में वह अबूतालिब के बाद अल्लाह कि सर्वोत्तम स्रष्टि थी “.यह बात रसूल अली कि माँ फातिमा को इंगित करके कह रहे थे .
-जामीअल सगीर -वाक्य संख्या – 34424
Narrated by Ibn Abbas:

‘I (Muhammad) put on her my shirt that she may wear the clothes of heaven, and I SLEPT with her in her coffin (grave) that I may lessen the pressure of the grave. She was the best of Allah’s creatures to me after Abu Talib’… The prophet was referring to Fatima , the mother of Ali. (Sentence number 34424
(
4 -मुहम्मद ने लाश के साथ सम्भोग किया !

अरबी में नीचे दी गयी हदीस में सोने (Slept )शब्द के लिए अरबी में (Idtajat इदतजात )शब्द का प्रयोग किया गया है.दिमित्रिअस ने इसे स्पष्ट करके बताया कि अरबी में यह शब्द औरत के साथ लेटना ,और सम्भोग के लिए लेटने के लिए प्रयुक्त होता है .जिस समय मुहमद ने यह हदीस कही थी ,वह जानता था कि फातिमा से साथ सोने से फातिमा को उसकी पत्नी ,यानि मुसलमानों कि माँ का दर्जा मिल जाएगा .और मुहम्मद फातिमाको कब्र के दुखों को हल्का करना चाहता था.मुसलमानों कि मान्यता है कि .क़यामत के दिन तक उनको कब्र में कष्ट उठाने होंगे .इसीलिए मुहम्मद ने फातिमा की लाश से सम्भोग किया क्योंकि मुसलमानों की माँ को कब्र में कष्ट नहीं हो सकता .

Demetrius Explains : “The Arabic word used here for slept is “Id’tajat,” and literally means “lay down” with her. It is often used to mean, “Lay down to have sex.” Muhammad is understood as saying that because he slept with her she has become like a wife to him so she will be considered like a “mother of the believers.” This will supposedly prevent her from being tormented in the grave, since Muslims believe that as people wait for the Judgment Day they will be tormented in the grave. “Reduce the pressure” here means that the torment won’t be as much because she is now a “mother of the believers” after Muhammad slept with her and “consummated” the union. ”

(नोट-अरबी में पूरी हदीस देखिये )

بسم الله الرحمن الرحيم
الحمد لله الكبير المتعال والصلاة والسلام على سيدنا محمد المتبع في الأقوال والأفعال والأحوال وعلى سائر الأنبياء وآله وصحبه التابعين له في كل حال‏.‏
‏(‏أما بعد‏)‏ فيقول أحقر عباد الله علي بن حسام الدين الشهير عند الناس بالمتقي‏:‏ لما رأيت كتابي الجامع الصغير وزوائده تأليفي شيخ الإسلام جلال الدين السيوطي عامله الله بلطفه ملخصا من قسم الأقوال من جامعه الكبير وهو مرتب على الحروف جمعت بينهما مبوبا ذلك على الأبواب الفقهية مسميا الجمع المذكور ‏(‏منهج العمال في سنن الأقوال‏)‏ ثم عن لي أن أبوب مابقي من قسم الأقوال فنجز بحمد الله وسميته ‏(‏الإكمال لمنهج العمال‏)‏‏.‏ ثم مزجت بين هذين التأليفين كتابا بعد كتاب وبابا بعد باب وفصلا بعد فصل مميزا أحاديث الإكمال من منهج العمال‏.‏ ومقصودي من هذا التمييز أن المؤلف رحمه الله ذكر أن الأحاديث التي في الجامع الصغير وزوائده أصح وأخصر وأبعد من التكرار كما يعلم من ديباجة الجامع الصغير‏.‏ فصارا كتابا سميته ‏(‏غاية العمال‏)‏ في سنن الأقوال‏.‏ ثم عن لي أن أبوب قسم الأفعال أيضا فبوبته على المنهاج المذكور وجمعت بين أحاديث الأقوال والأفعال‏.‏ وأذكر أولا أحاديث منهج العمال ثم أذكر أحاديث الإكمال ثم أحاديث قسم الأفعال كتابا بعد كتاب فصار ذلك كتابا واحدا مميزا فيه ماسبق بحيث أن من أراد تحصيل قسم الأقوال أو الأفعال منفردا أو تحصيلهما مجتمعين أمكنه ذلك وسميته ‏(‏كنز العمال في سنن الأقوال والأفعال‏)‏‏.‏ فمن ظفر بهذا التأليف فقد ظفر بجمع الجوامع مبوبا مع أحاديث كثيرة ليست في جمع الجوامع لأن المؤلف رحمه الله زاد في الجامع الصغير وذيله أحاديث لم تكن في جمع الجوامع‏.‏
وها أنا أذكر ديباجة المؤلف رحمه الله من الجامع الصغير وذيله ‏(‏ن – زوائده‏)‏ ومن الجامع الكبير حتى لا أكون تاركا ولا مغيرا ألفاظه إن شاء الله تعالى‏.‏ ‏(‏ن – الا بعض رموز وألفاظ يسيرة تركها الشيخ رحمه الله تعالى فيهما اقتصارا فتركت ذلك للضرورة فليعلم‏.‏‏)‏
خطبة الجامع الصغير

5 -मुहम्मद के कुकर्मों के और सबूत
यह बात तो सिद्ध हो गयी ,कि मुहम्मद ने अपनी चाची फातिमा बिन्त असद की लाश के साथ सम्भोग किया था .लेकिन मुहम्मद जानवरों के साथ भी कुकर्म करता था जो लोग मुस्लिम ब्लोगरों ,मुल्लाओं की मक्कारी भरी बातों में आकर मुहम्मद को आदर्श व्यक्ति ,समझाने की भूल कर रहे हैं ,उन्हें सचेत हो जाना चाहिए .इसी( महान?) व्यक्ति के कारण सारी दुनिया त्रस्त है .जो व्यक्ति अपनी वासना की पूर्ति के लिए बच्चियों ,दासियों ,कैद की गयी औरतों के साथ सम्भोग (बलात्कार )करता हो वह अल्लाह की और मुसलमानों की नजर में भले कुछ भी हो ,लेकिन जो व्यक्ति अपनी चाची की लाश के साथ ही सम्भोग करता हो ,उसके लिए दुनियां किसी भी शब्दकोश में कोई शब्द नहीं मिल सकेगा .
यदि हमारे पाठक मुसलमानों ले लिए इस उतम व्यक्ति “मुहम्मद “के लिए कोई उपयुक्त शब्द बताएँगे ,तो मुहम्मद के लिए वही शब्द इस्तेमाल करूंगा .
मुझे पूरा विश्वास है कि आपको मुहम्मद के बारे में सही जानकारी मिल गयी है ,और आपका भ्रम दूर हो गया होगा .क्योंकि आज भी मुसलमान रसूल की सुन्नत का पालन करके लड़कियों की हत्या करके उसकी लाश से बलात्त्कर करते हैं

अब हम तो मुहम्मद साहब को सम्मानपूर्वक ” शवसंभोगी रसूल ” कहेंगे , बताइये आप क्या कहेंगे ?

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