Categories
विविधा

दुबई में चार दिन

इस बार संयुक्त अरब अमारात में आना तीन—चार साल बाद हुआ। मेडिकल इंस्टीट्यूट के प्रसिद्ध हृदरोग—विशेषज्ञ  डॉ. सुभाष मनचंदा का भाषण था और मुझे अध्यक्षता के लिए बुलाया गया था। इंडिया क्लब का पूरा हॉल भरा था। डॉ. मनचंदा बोले ‘योग और स्वस्थ हृदय’ विषय पर। उन्होंने हृदय–रोग के बारे में इतनी सरल और उपयोगी जानकारी दी कि श्रोता कृतार्थ हुए। उन्होंने योग के जरिए न सिर्फ हृदय  को स्वस्थ रहने की तरकीबें बताईं बल्कि १०० साल तक स्वस्थ और प्रसन्न रहने के गुर भी सिखाए। मैंने डॉ. मनचंदा के द्वारा चलाए जा रहे ‘दिया फाउंडेशन’ का परिचय करवाया। यह संस्था झुग्गी–झोपड़ी में रहनेवाले बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, वस्त्र, भोजन मुहय्या करवाती है और गरीब दिल के मरीजों का मुफ्त इलाज़ करती है। कुछ श्रोताओं ने आगे होकर इस संस्था के लिए दान और सहयोग की घोषणा की।

जैसे ही दुबई पहुँचे शेख नाह्यान मुबारक ने मुझे फ़ोन किया कि आपके लिए कार भेज रहा हूँ। आप अबुधाबी आइए। शेख नाह्यान यों तो सिर्फ सं. अ.अमारात के शिक्षा मंत्री हैं लेकिन यहाँ के राज—परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं। वे सिर्फ यहाँ ही अत्यंत लोकप्रिय नहीं हैं लेकिन उनके बारे में यह कहा जा सकता है कि सारे पश्चिम एशिया या अरब जगत में यदि भारतीयों के दिल पर कोई शेख राज़ करता है तो वह शेख नाह्यान मुबारक ही हैं। शेख साहब लगभग १५ साल से मेरे अभिन्न मित्र हैं। उन्हें ‘मित्र’ शब्द पर ऐतराज़ है । वे मुझे बड़ा भाई कहते हैं। जब उनके साथ रहता हूँ तो वे मेरे शाकाहारी भोजन का पूरा ख्याल रखते हैं। उनके महल में उनके साथ रोज सौ—दो सौ लोग भोजन करते हैं और फिर सारे लोग ‘मजलिस’ में बैठते हैं। इसमें कई देशों के मंत्री, राजदूत, उद्योगपति, मौलाना वगैरह होते हैं। शेख सबसे एक-दो मिनिट बात करते हैं लेकिन उन्होंने हमसे १५—२० मिनिट बात की । वे दूसरे दिन भी मुझसे बात करना चाहते थे लेकिन फ़ोन करके उन्होंने बताया कि वे विदेश जा रहे हैं।

शेख के अलावा अनेक भारतीय उद्योगपति, व्यापारियों और व्यावसायिकों से बात हुई। वे मोदी सरकार से निराश मालूम पड़े लेकिन कुछेक लोगों में मोदी के प्रति उत्साह भी दिखा। हमारे कुछ कूटनीतिज्ञों और पत्रकारों ने पूछा कि मोदी अभी तक किसी मुस्लिम देश में क्यों नहीं गए? उन्हें सबसे पहले दुबई आना चाहिए। यह देश चाहे तो भारत में चीन और अमेरिका से भी ज्यादा पूँजी लगा सकता है। दुबई और आबुधाबी भारत के किसी शहर–जैसे लगते हैं। सर्वत्र भारतीय ही भारतीय दिखाई देते पड़ते हैं।अनेक प्रवासी भारतीय नेताओं ने यहाँ के भारतीयों की समस्याओं का भी जिक्र किया। इतने लोग निरंतर मिलने आते रहे कि चार दिन कहाँ निकल गए, पता ही नहीं चला।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version