स्वदेशी जागरण मंच की कार्यशाला— आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक है स्वदेशी रोजगार


फोटो – स्वदेशी स्वावलंबन अभियान की कार्यशाला को सम्बोधित करते प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला

फोटो – स्वदेशी स्वावलंबन अभियान कार्यशाला में मौजूद कार्यकर्ता
धर्म समाज बाल मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में स्वदेशी स्वावलंबन अभियान की ब्रज प्रांत की कार्यशाला में मंगलवार को भारत माता, दत्तोपंत ठेंगड़ी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण कर स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लालजी, प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला जी, क्षेत्रीय संयोजक डॉ. राजीव कुमार, प्रांत संयोजक अमितेश अमित, अभियान के प्रांत समन्वयक डॉ. राजीव अग्रवाल द्वारा उद्घाटन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता टीकाराम कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. शर्मिला शर्मा व सफल संचालन डॉ. राजीव अग्रवाल ने किया।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संगठक कश्मीरी लाल ने कहा कि हम श्रोता नहीं हैं, हमको अपने जिले में अभियान को संचालित करना है कि रोजगार कैसे बढ़े? एमवे जैसी बहुत कम्पनी देश में आर्थिक लूट कर रहीं हैं। अभी आर्थिक दण्ड लगा है। लूट तंत्र से रोजगार बचाना है? नौकरी करने देश से बाहर जाने की वृत्ति उचित नहीं, देश में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने होंगे। अब हम आत्मनिर्भर बनने जा रहे हैं, 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य है। गूगल, एमेजॉन जैसी अधिकांशतः कम्पनियों में उच्च स्तर पर भारतीय ही हैं। बेरोजगारी बहुत बड़ी व गम्भीर समस्या है। हमारे पास 35 करोड़ युवा हैं। अमरीका कम आबादी व चीन अधिक आबादी के देशों में भी बेरोजगारी है। नौजवान की सोच बदलनी है और लोगों को हृदय से जोड़ना है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला ने कहा कि 2019 कोरोना के बाद श्रमिकों के घर वापिस आने के समय रोजगार की समस्या पर रोजगार भारती न्यास की शुरुआत हुई। हिंदू महिलाओं को मेंहदी लगाने का प्रशिक्षण व अवसर प्रदान किया है। परम्परागत व्यवसाय के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। रिसर्च टीम तैयार करनी होगी, जो हर रोजगार की आवश्यकता व स्कोप पर अध्ययन करना होगा। स्विट्जरलैंड बहुत ठंड का देश है, जो महंगी घड़ियों का मुख्य उत्पादक है। एक व्यक्ति उद्योग व श्रम विभाग से सामंजस्य स्थापित करने वाला विकसित करना होगा। जिला उद्योग केंद्र ब्रजेश यादव ने विस्तार से सरकार की योजनाओं पर प्रकाश डाला। जैविक खेती के क्षेत्र में कार्यरत संतोष सिंह ने कहा कि रासायनिक कीटनाशक, उर्वरक पर निर्भरता कम करते हुए जैविक प्रयोग कर आत्मनिर्भर हो सकेंगे व स्वास्थ्य भी उत्तम बनेगा, धरा सुरक्षित रह सकेगी। गऊशाला गौ आधरित अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भर गौशाला स्थापित करनी होंगी।
महिला समन्वय प्रमुख डॉ. इंदु वार्ष्णेय ने कहा कि स्वदेशी अनादि काल से विषय रहा पूर्व में हम शत प्रतिशत आत्मनिर्भर थे एवं बहुत बड़े निर्यातक थे। मुगल व ब्रिटिश हमलावरों ने हमारा आत्मनिर्भर अर्थ तंत्र नष्ट किया। आज भी 40 प्रतिशत उत्पाद एमएसएमई से ही आता है, जीडीपी बढ़ने के साथ रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे। उद्यमिता विकास महत्वपूर्ण स्वदेशी को तन मन धन से अपनाएं। इसके लिए 5 बिंदु अपने जीवन में आत्मसात करने पड़ेंगे। स्थानीय वस्तु खरीदें, प्रयोग करें और प्रोत्साहित करें। अपना रोजगार शुरू करके अन्य लोगों को रोजगार दें। उन्होंने कहा कि आगरा लेदर, फीरोजाबाद कॉन्च, मैनपुरी तम्बाकू व कपास, मथुरा धोती वस्त्र, हाथरस हींग, कपड़े, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, अलीगढ़ ताला, हार्डवेयर, मूर्ति, जलेसर में घुंघरू, एटा में चिकोरी, बरेली में फर्नीचर, पीलीभीत में चावल उद्योग, बदायूं में हस्त कार्य, शाहजहांपुर में हॉकी, नमकीन बिस्किट का कार्य आदि परम्परागत कुटीर उद्योग आत्मनिर्भरता के उत्तम उदाहरण हैं। प्रांत संगठन मंत्री ग्राहक पंचायत राजेंद्र अग्रवाल व भारतीय मजदूर संघ के संगठन मंत्री शंकरलाल आदि ने संबोधित किया।
द्वितीय सत्र में बरेली के लघु उद्योग भारती के विशाल चित्रांश कहा कि सैलून से रोजगार, प्रांत सहसंयोजक डॉ. लवकुश मिश्रा ने पर्यटन से रोजगार पर कहा कि उत्पादन व कृषि के अतिरिक्त उत्सव व सर्विस क्षेत्र में बहुत रोजगार के अवसर हैं। राष्ट्रीय सह कोश प्रमुख सीए संजीव माहेश्वरी ने कहा कि भारत पूर्व में समृद्ध राष्ट्र रहा है। गत 20 शताब्दी में 1 से 18वीं सदी तक आर्थिक समृद्धि में व विश्व व्यापार में भारत का प्रथम स्थान रहा। मैकाले की नौकरी तैयार करने की योजना ने मानसिकता को बदल दिया। अभियान के सह समन्वयक शैलेश अग्रवाल व भारतीय किसान संघ के अनिल कुमार ने कहा कि गांव में परम्परागत व्यवसाय नाई, धोबी, कुम्हार, चर्मकार, तेली, राज निर्माण कारीगर, गांव गांव में पुनः स्थापित करने का प्रयास करने होंगे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि पहले देश के सपूत देश की स्वतंत्रता को लड़े आज देश के सपूत स्वावलंबन को लड़ रहे हैं। आज युवा स्वावलंबी बनने की जगह आश्रित नौकर बनते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संपर्क प्रमुख प्रमोद चौहान ने कहा कि एंगस रेडिसन अमरीकी अर्थशास्त्री 10वीं शताब्दी से मुगल व 17वीं में अंग्रेज लुटेरे आ गए व उद्योग धंधे चौपट कर गये। विश्व व्यापार में हमारी बड़ी भागीदारी थी। हम सदैव कृषि नहीं उद्योग प्रधान रहे। हम व्यापारी कहलाते थे। गांव गांव निर्माण व बुनकर होते थे। निर्माण घर घर होता था व विपणन व निर्यात व्यापारी करते थे। अंग्रेजी तंत्र ने व्यवसाय से श्रेष्ठ नौकरी को बताया जबकि हम निषिध चाकरी भीख निदान के विचार वाले थे। जर्मन, फ्रांस, इटली, जापान आदि देश अपनी मातृभाषा में शिक्षा लेते हैं व हमको अंग्रेजी श्रेष्ठता का गुलाम बनाया। रोजगार भारती परामर्श केम्प, प्रशिक्षण, सरकारी योजनाओं से पूँजी की व्यवस्था करनी, ट्रेनर डवलपमेंट, सिलाई कढ़ाई मेंहदी, ब्यूटी पार्लर के प्रशिक्षण, साईकिलों पर बिक्री के छोटे-छोटे मॉडल विकसित करना। अंत में क्षेत्रीय संयोजक डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि जिलों में शीघ्र अभियान की समिति बनाकर जिलों में जिला सृजन केंद्र की स्थापना करनी होगी ताकि युवाओं को एक ही स्थान से रोजगार संबंधित समस्त जानकारियां मिल सकें और युवाओं को रोजगार प्राप्त हो। प्रांत संयोजक डॉ. अमितेश अमित ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
स्वदेशी स्वावलंबन अभियान की कार्यशाला में ब्रज प्रांत के 12 जिलों ने सहभागिता की जिसमें अलीगढ़, हाथरस, एटा, कासगंज, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं के स्वदेशी जागरण मंच, लघु उद्योग भारती, आईआईए रोजगार भारती, सहकार भारती, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आदि के प्रांत स्तरीय कार्यकर्ता शामिल रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में मनोज अग्रवाल, अमित अग्रवाल, हृदेश गुप्ता, गुंजित वार्ष्णेय, विनय शर्मा, विवेक कंकर, नीरज कश्यप, रुद्र पंडित, मनीष कुमार, आदर्श भारद्वाज, शोभित चौधरी एवं विनय सिंह का सहयोग रहा।

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