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कविता

आर्य पुत्र हो तुम भारत के

कविता  — 48

आर्य पुत्र हो तुम भारत के

 

तर्ज : फिरकी वाली तू कल फिर आना….

सुनो हिन्दू ,
तू वीर है बंधु ,
मत भूलो उस इतिहास को
तूने धूल चटाई हर तूफान को ।।

पुकारती है हमारी भारती आरती करें माँ ले थाली ।
केसरिया ले बढो साथियों घड़ी है बलिदानों वाली ।।
सुभाष पुकारे, बंधु प्यारे
ध्यान से सुन लो सारे
मत ना भूलो, ना भटको
अपने लक्ष्य महान को…..(1)

आर्यपुत्र हो तुम भारत के और ऋषियों की हो संतान।
दुष्ट दृष्टि होती जिसकी उसका करते शरसन्धान।।
ऋषिपुत्रो, मेरे मित्रो
माँ के जख्म निहारो
देखो हालत, रोता भारत
कुछ पूछो हिन्दुस्तान को…..(2)

महासभा हिंदू की कहानी गौरव से गढ़ती आई है ।
कैसे थे हम कैसे हो गये ध्यान से पढती आई है ।।
हमारे योद्धा, थे महाबोद्धा
तुम भी हो वही शोद्धा
ध्यान लगाओ, मान बढ़ाओ
हिन्द का जहान में…..(3)

एक से एक बड़ा मोती है पास हमारे छुपा हुआ।
ऐसी माला हम गूंथेंगे भारत सब में पास हुआ।।
सुभाष हमारे, नेता प्यारे
मंत्र सावरकर वाले
राकेश कहता, विनय करता
हिंदुहित रहे ध्यान में…..(4)

( यह कविता मेरे द्वारा 9 फरवरी 2019 को हिंदू महासभा के कोलकाता अधिवेशन के समय बनाई गई थी )

यह कविता मेरी अपनी पुस्तक ‘मेरी इक्यावन कविताएं’-  से ली गई है जो कि अभी हाल ही में साहित्यागार जयपुर से प्रकाशित हुई है। इसका मूल्य ₹250 है)

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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