भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और मंदिर संस्कृति


विनोद बंसल (राष्ट्रीय प्रवक्ता : विश्व हिंदू परिषद)

अयोध्‍या का राम मंदिर:

PM became brand ambassador of Hindu faith-civilization in 20 years, Modi’s contribution in construction of these temples SSA
हिन्दू समाज के 500 वर्षों के संघर्ष और 125 वर्षों की कानूनी दाव पेचों के बाद 9 नवंबर 2019 को श्री रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि के पक्ष में एक अभूतपूर्व व अप्रत्याशित निर्णय दिया। इसके उपरांत केंद्र सरकार ने संसदीय कानून के माध्यम से न सिर्फ श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र नामक स्वायत्त शाषी न्यास का गठन किया बल्कि 5 अगस्त 2020 को स्वयं प्रधानमंत्री के करकमलों से श्रीरामजन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर हेतु भूमि पूजन कर सम्पूर्ण विश्व को एक बड़ा संदेश दिया कि भारत का न सिर्फ लोकतंत्र बड़ा है अपितु राम व रामत्व इसके कण कण में विराजमान है। जब राम मंदिर के सामने प्रधानमंत्री ने शाष्टांग दंडवत किया तो उस दृश्य को लाइव देखने वाले सम्पूर्ण विश्व भर के हिंदुओं के नेत्र सजल होकर प्रधानमंत्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहे थे। अब हिन्दू समाज सन 2023 के उस पल की प्रतीक्षा में है जब भव्य मंदिर के गर्भगृह में रामलला को विराजमान देख स्वयं को धन्य पाएंगे।

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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर:

काशी विश्वनाथ कौरीडोर के चहुमुखी विकास हेतु 8 मार्च 2019 को प्रारंभ की गई योजना 2022 के प्रारंभ में ही पूरी हो गई जब स्वयं प्रधानमंत्री ने वहाँ जाकर देवादीदेव महादेव के दर्शन, पूजन व जलाभिषेक किया जिसे सम्पूर्ण विश के शिव भक्त मग्नावस्था में मंत्रमुग्ध होकर लाइव देखते रहे। उसकी गौरवशाली डिजाइन, लेआउट, भव्यता व दिव्यता अतुलनीय है।

सोमनाथ मंदिर परिसर

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गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने सोमनाथ मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण हेतु कई परियोजनाएं शुरू कीं। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने सोमनाथ मंदिर परिसर में एक प्रदर्शनी केंद्र व समुद्र तट पर सैरगाह का भी उद्घाटन किया।

केदारनाथ धाम:

सन 2013 की बाढ़ की विभीषिका में ध्वस्त हुए श्रीकेदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण की दिशा में भी केंद्र सरकार ने त्वरित व सराहनीय कदम उठाए। दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित उत्तराखंड के इस परम धाम को भव्यता प्रदान कर वे स्वयं बाबा के दर्शन करने पहुंचे और सभी भक्तों को ये आश्वस्त किया कि अब ये धाम और आकर्षक, सुरक्षित व परमानन्द का परम धाम बन गया है। सब कुछ ध्वस्त होने के बावजूद वे प्रतिवर्ष बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए गए।

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चार धाम परियोजना:

यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के चार तीर्थ स्थलों को जोड़ने वाले एक आधुनिक और विस्तृत चार धाम सड़क नेटवर्क के निर्माण को मंजूरी देकर केंद्र सरकार ने चार धाम परियोजना की शुरुआत की। यह योजना देश भर से इन चार पवित्र स्थानों पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए अनुकूल और आसान पहुंच प्रदान करेगी। सड़क नेटवर्क के समानांतर, रेलवे लाइन पर भी तीव्र गति से काम चल रहा है जो पवित्र शहर ऋषिकेश को कर्णप्रयाग से जोड़ेगा, जिसकी 2025 तक चालू होने की संभावना है। बद्रीनाथ धाम के विकास का भी मास्‍टर प्‍लान बन चुका है।

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