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गोवंश की हत्या के दोषियों का बहिष्कार करें

cow indianगोलोकवासी शिव कुमार गोयल
कुछ दशक पूर्व एक वामपंथी लेखक ने गोरक्षा की मांग करने वालों को भ्रमित व दकियानूसी बताते हुए लेख में विचार व्यक्त किये थे कि केवल भारत के इने-गिने लोग ही गाय को पूजनीय बताते हैं जबकि वेदों तथा अन्य प्राचीन ग्रंथों में गोमांस खाये जाने का विवरण मिलता है।
उस समय परम गोभक्त लाला हरदेवसहाय जी ने उसे मुंहतोड़ उत्तर देते हुए वेदों का उद्घरण प्रस्तुत करते हुए अपने लेख में लिखा था।
वेदों में गोमाता का असीम महत्व प्रदर्शित करते हुए गोवंश को अघ्न्या अर्थात जिसकी हत्या न की जाए लिखा : भीष्म पितामह ने धर्मराज युधिष्ठिर से कहा था-राजेन्द्र युधिष्ठिर गोरक्षा अबला स्त्री की रक्षा, गुरू और ब्राह्मण की रक्षा के लिए जो प्राण देते हैं, वे मनुष्य स्वर्ग में जाते हैं।
(महा. आ. 100/118)
जो उच्छृड़खृलतावश मांस बेचने के लिए गौ की हिंसा करते यागोमांस खाते हैं जो स्वार्थवश कसाई को गाय को मारने की सलाह देते हैं, वे सब महान पाप के भागी होते हैं। गौ को मारने वाले उसका मांस खाने वाले तथा उसकी हत्या का अनुमोदन करने वाले पुरूष गौ के शरीर में जितने रोएं होते हैं, उतने वर्षों तक नरक मेें पड़े रहते हैं।
(महा. आ. 100/74/3-4)
समस्त गोभक्तों को महाभारत के उपरोक्त वचनों को महत्व देते हुए ऐसे प्रत्याशियों को वोट कदापि नही देना चाहिए। जो हत्या जैसे घोर पातक-पाप का किसी भी प्रकार समर्थन करते रहे हैं।
वेद मंत्र में कहा गया है कि जो गाय बैल की हत्या करता है, उसे गोली से बेंधकर मार डालना चाहिए।
गवार्थे ब्राह्मणार्थे वा वर्णानां वापि संकरे।
गृहणीयातां विप्रविशौ शस्त्रं धर्म व्यपेक्षया।।
गौ और ब्राह्मण की रक्षा के लिए और वर्णसंकर होने से प्रजा को बचाने के लिए ब्राह्मण और वैश्य भी शस्त्र धारण करें।
केवल भारतीय ऋषि महर्षियों ने व धर्मशास्त्रों में ही गोवंश के महत्व का बखान नही किया है अपितु ईसा-मसीह भी लिखते हैं।
तू किसी को मत मार। तू मेरे समीप पवित्र मनुष्य होकर रहा। जंगलों के प्राणियों का वध करके उनका मांस मत खा।
एक बैल को मारना एक मनुष्य के कत्ल के समान है।
रोमन्स में लिखा हुआ है :-
मांस के लिए ईश्वर की बनायी हुई सृष्टि का संहार नही करना चाहिए।
आज तो खुल्लम खुल्ला गाय बैलों समेत तमाम निरीह वन्य जीवों का संहार करके, उनका मांस खाकर पेट को कब्रिस्तान बनाने की होड़ लगी हुई है।
हमें संकल्प लेना चाहिए कि निरीह पशुओं के हत्यारों, मांस का निर्यात करने वाले शासकों का पूर्ण रूपेण बहिष्कार करेंगे।

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