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1857 से 1947: स्‍वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाएं

उगता भारत ब्यूरो

नई दिल्‍ली। ब्रिटिश हुकूमत से आजादी हासिल करने के लिए 1857 से लेकर 1947 तक कई जन आंदोलन चले, जिन्‍होंने देश को आजादी दिलाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। आइए हम जानते हैं ऐसे ही 11 प्रमुख घटनाओं का इतिहा

  1. 1857 का विद्रोह
    1857 का विद्रोह मेरठ में सैन्‍य कर्मियों के विरोध से शुरू हुआ था। यह तेजी से कई राज्‍यों में फैल गया। पहली बार ब्रिटिश शासन को सेना की ओर से गंभीर चुनौती मिली। हालांकि ब्रिटिश सरकार इसे एक वर्ष के अंदर दबाने में सफल रही।

यह निश्चित रूप से एक ऐसी लोकप्रिय क्रांति थी जिसमें भारतीय शासक, जनसमूह, किसान और नागरिक सेना शामिल थी। लोगों ने इसमें उत्‍साह से भाग लिया। इस विद्रोह को इतिहासकारों ने भारतीय स्‍वतंत्रता का पहला संग्राम कहा।

 2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1885 में सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की। इसका मुख्य लक्ष्य मध्यमवर्गीय शिक्षित नागरिकों के विचारों को आगे लाना था। प्रारंभिक दौर में इसे ब्रिटिश सरकार के सेफ्टी वॉल्‍व के रूप में देखा गया।

1906 में कलकत्ता में कांग्रेस के अधिवेशन में स्वराज प्राप्ति की घोषणा की गई। उसी के साथ स्वदेशी आंदोलन शुरु हो गया।
 
3. बंगाल विभाजन
1905 में पश्चिम बंगाल का विभाजन हुआ। देश की राजधानी कलकत्ता से बदलकर दिल्ली कर दी गई। बंगाल विभाजन के खिलाफ उपजे आंदोलन को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1909 में कई सुधारों को लागू किया।

इन्हें मार्ले-मिंटो सुधारों के तौर पर जाना जाता है। इसका लक्ष्य विकास करने की जगह हिंदू और मुस्लिमों में मतभेद पैदा करना था।
 
4. महात्‍मा गांधी की वापसी
मोहनदास करमचंद गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका अपने जमे जमाए बैरिस्टरी के करियर को त्याग अपने देश वापस आ गए। जब मोहनदास मुंबई की अपोलो बंदरगाह पर उतरे तो न वो महात्मा थे और न ही बापू। लेकिन खेड़ा सत्‍याग्रह, चंपारण सत्‍याग्रह, स्‍वदेशी आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन के बल पर भारत को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई।

यही कारण है कि पहले तो वो गांधी के नाम से प्रसिद्ध हुए और बाद में अपने मूल नाम से ज्‍यादा राष्‍ट्रपिता या महात्‍मा गांधी के नाम से जाने गए।
 
5. जालियांवाला बाग नरसंहार

स्‍वतंत्रता आंदोलन के दौर में जहां एक ओर सुधारवादी और क्रांतिकारी योजनाएं बनाई जा रही थीं, वहीं 13 अप्रैल, 1919 को पंजाब में जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ। उस दिन यहां पर लोग बैसाखी मनाने के लिए लोग इकट्ठे हुए थे। यह नरसंहार आज तक के सबसे बड़े नरसंहार में से एक है। हाल ही में जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 साल पूरे हुए हैं।

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