1. भारत में ईसाई धर्म फैलाना था मकसद
    1994 में मशहूर लेखक क्रिस्टोफर हिचेंस ने मदर टेरेसा पर एक डॉक्यूमेंटरी ‘हेल्स एंजल’ (Hell’s Angel) बनाई थी। इसमें उन्होंने बताया था कि भारत के गरीब हिंदुओं की मदद करने से ज्यादा मदर टेरेसा की दिलचस्पी रोमन कैथलिक चर्च के कट्टरपंथी सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार की है। मशहूर पत्रकार जर्मेन ग्रीअर ने कहा था कि मदर टेरेसा एक धार्मिक साम्राज्यवादी से ज्यादा कुछ नहीं हैं। वो तलवार के दम पर नहीं, बल्कि सेवा के नाम पर ईसाई धर्म फैला रही हैं। मदर टेरेसा का एक इंटरव्यू काफी चर्चित है जिसमें उन्होंने खुद 29 हजार से ज्यादा भारतीयों को ईसाई बनाने का दावा किया था। 1992 में अमेरिका के कैलीफोर्निया में एक भाषण के दौरान मदर टेरेसा का कहना था, ‘हम बीमार लोगों से पूछते हैं, क्या तुम वह आशीर्वाद चाहते हो जिससे तुम्हारे पाप माफ हो जाएं और तुम्हें भगवान मिल जाएं? किसी ने कभी मना नहीं किया।’

  2. मदर टेरेसा ने इमर्जेंसी की तारीफ की

इंदिरा गांधी ने 1975 में जब देश में इमर्जेंसी लागू कर दी थी तो मदर टेरेसा ने उनका खुलकर समर्थन किया था। उन्होंने यहां तक कह डाला था कि लोग इससे खुश हैं। क्योंकि इससे नौकरियां बढ़ेंगी और हड़तालें कम होंगी। यही वजह रही कि इंदिरा गांधी ने मदर टेरेसा को खूब बढ़ावा भी दिया। जब मदर टेरेसा नोबेल पुरस्कार पाने के बाद भारत लौटी थीं तो इंदिरा गांधी उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट गई थीं।

  1. फर्जी साबित हो चुके हैं दोनों ‘चमत्कार’

जिन दो चमत्कारों की वजह से मदर टेरेसा को संत घोषित किया गया, वो फर्जी साबित हो चुके हैं। दावा किया गया था कि पेट के ट्यूमर से जूझ रही पश्चिम बंगाल की एक महिला मोनिका बेसरा ने एक दिन अपने लॉकेट में मदर टेरेसा की तस्वीर देखी और उसका ट्यूमर पूरी तरह से ठीक हो गया। लेकिन जिन डॉक्टरों ने मोनिका का इलाज किया उनका कहना है कि मदर टेरेसा की मृत्यु के कई साल बाद भी मोनिका दर्द सहती रही। इस दौरान वो लगातार दवाएं भी खाती रही। इसी तरह ब्राजील के एक शख्स के चमत्कार के दावे की भी हवा निकल चुकी है।

  1. सन्त व सेवा की छवि पैसे से बनाई गई थी –

क्या आपने कभी सिन्धु ताई का नाम सुना है जो पिछले 40 साल से महाराष्ट्र मे अनेक अनाथालय चला रही है? क्या आपने कभी रानी रासमणि का नाम सुना है जो तथाकथित दलित जाति से थी और मंदिर बनवाया? क्या आपने शान्ति काली जी महाराज और स्वामी लक्ष्मणानन्द का नाम सुना है जिन्होने आदिवासियों के कल्याण के लिए जीवन की आहुति दी?

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