Categories
देश विदेश भयानक राजनीतिक षडयंत्र

मदर टेरेसा का भ्रम जाल- (भाग 2)

मदर टेरेसा की सेवाव्रती छवि भी पैसे से बनाई गई थी। कल के लेख का अगला भाग—-

  1. मरने के लिए छोड़ दिए जाते थे बीमार
    मदर टेरेसा के सेंटर जीवन से ज्यादा मृत्यु देने की जगह बनकर रह गए थे। मदर टेरेसा ने 100 देशों में 500 से ज्यादा चैरिटी मिशन खोले थे। लेकिन इन सभी में जा चुके कई लोगों ने बताया है कि सारा फोकस इस बात पर रहता था कि वहां पर आने वाले को कैसे ईसाई धर्म स्वीकार करवाया जाए और फिर उसे जीसस के करीब जाने के नाम पर मरने के लिए छोड़ दिया जाए। कई लोगों को तो दवा के नाम पर सिर्फ एस्प्रिन दी जाती थी। जबकि वो सही दवा देने से ठीक हो सकते थे। मशहूर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट’ के संपादक डॉ रॉबिन फॉक्स ने 1991 में एक बार कोलकाता के सभी सेंटरों का दौरा किया था। वहां से लौटकर डॉक्टर फॉक्स ने लिखा था कि इन सेंटरों में साधारण पेनकिलर दवाएं तक नहीं हैं। कई मरीजों की बीमारी ठीक हो सकती है, लेकिन उन्हें एहसास दिलाया जाता है कि वो सिर्फ कुछ दिन के मेहमान हैं, इसके बाद उन्हें जीसस के पास जाना है।
  2. बेइमानों और भ्रष्टाचारियों की पसंदीदा
    मदर टेरेसा दुनिया भर के भ्रष्ट लोगों की पसंदीदा थीं। दुनिया के कई भ्रष्ट तानाशाह और बेइमान कारोबारी उनको फंड देते थे, क्योंकि ऐसा करने से उनकी इमेज अच्छी होती थी। मदर टेरेसा की फंडिंग करने वालों में कई हथियार कंपनियां और ड्रग्स के कारोबारी भी शामिल थे। इनसे उन्हें बेहिसाब पैसा मिलता था लेकिन वास्तव में उसका बहुत छोटा हिस्सा ही खर्च होता है। बाकी रकम किसके पास जाती है यह कहना मुश्किल है।

  3. मजबूर मां-बाप से हजारों बच्चे छीने

मदर टेरेसा ने भारत में हजारों गरीब मां-बाप की मजबूरी का फायदा उठाया। अपनी किताब में डॉ. चटर्जी ने लिखा है कि मदर टेरेसा बीमार बच्चों की मदद करती थीं, लेकिन तभी जब उनके मां-बाप एक फॉर्म भरने के लिए तैयार हो जाते थे। इसमें लिखा होता था कि वे बच्चों से अपना दावा छोड़कर उन्हें मदर की संस्था को सौंपते हैं। मजबूर मां-बाप बच्चों के इलाज के नाम पर उन्हें मिशन में छोड़कर चले जाते थे। इसके बाद उन्हें अपने बच्चों से मिलने तक की इजाज़त नहीं होती थी। इन बच्चों का ब्रेन वॉश करके उन्हें कट्टर ईसाई बना दिया जाता था।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version