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बचपन से ही थे नेताजी के भीतर नेतृत्व और देशभक्ति के गुण : भारतवासियों को ‘कुत्ता’ कहने पर जड़ दिया था अपने ही टीचर को तमाचा

कटक। कटक में अपने प्रवास काल में कटक के इतिहास लेखक श्री नंद किशोर जोशी से वार्तालाप का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कई ऐसी बातें बताईं जो आप सबके साथ सांझा करना उचित समझते हैं। श्री जोशी ने बताया कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। नेताजी का जन्म एक कायस्थ परिवार में हुआ था। जानकीनाथ बोस  अपने समय के एक प्रसिद्ध अधिवक्ता थे, जो कि कटक बार एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे थे। जानकीनाथ बोस कुछ समय सरकारी अधिवक्ता के रूप में भी कार्यरत रहे थे। वे कटक की महापालिका में भी लंबे समय तक कार्यरत रहे थे। इसके अतिरिक्त बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे।
श्री जोशी ने बताया कि अंग्रेजों के द्वारा उस समय एक ‘सन-सेट ला’ बनाया गया था। जिसमें उड़ीसा के गरीब लोगों की भूमि को नीलाम कर हड़पने का प्रबंध उन्होंने किया था।
  उड़ीसा के गरीब लोग जब अपनी भूमि का लगान नहीं दे पाते थे तो अंग्रेजों ने इस कानून के द्वारा अपने आप उनके विरुद्ध कुछ अधिकार ले लिए थे। इस कानून के आधार पर अंग्रेज ऐसे किसानों को 24 से 72 घंटे का समय देते थे कि यदि वे इतने समय में लगान जमा नहीं कर पाए तो उनकी जमीन की नीलामी कर दी जाएगी। ऐसे समय में अंग्रेज लोग अपने लोगों को ऐसी भूमि को लगान की बोली के आधार पर दे दिया करते थे। जनसाधारण को अंग्रेजी भाषा का उस समय कोई ज्ञान नहीं था, इसलिए अंग्रेजों की ऐसी सूचना को लोग समझ नहीं पाते थे। वैसे भी अंग्रेज ऐसी सूचना को केवल औपचारिकता के लिए ही दिया करते थे। जानकी बाबू क्योंकि एक अधिवक्ता थे और अंग्रेजी जानते थे ,इसलिए उन्हें अंग्रेजों के इस कानून की जानकारी हुई तो उन्होंने भी यहां पर बहुत सारी जमीन नीलामी के आधार पर खरीद ली थी।  अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था।
प्रभावती देवी के पिता का नाम गंगानारायण दत्त था। दत्त परिवार को कोलकाता का एक कुलीन परिवार माना जाता था। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 सन्तानें थीं। जिसमें 6 बेटियाँ और 8 बेटे थे। सुभाष उनकी नौवीं सन्तान और पाँचवें बेटे थे। अपने सभी भाइयों में से सुभाष को सबसे अधिक लगाव शरद चन्द्र से था।
श्री जोशी बताते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस जब कक्षा 2 में पढ़ते थे तो उस समय उनके अंग्रेज टीचर ने उनको पढ़ाते हुए कह दिया था कि ‘ऑल इंडियंस आर डॉग्स।’ बचपन से ही देशभक्त और स्वाभिमानी सुभाष को अपने अध्यापक की यह बात अच्छी नहीं लगी । वह तुरंत अपनी बेंच पर खड़े हुए और अपने सामने खड़े अंग्रेज टीचर को उन्होंने तड़ाक से तमाचा जड़ दिया । अपने गाल को सहलाता हुआ अंग्रेज टीचर प्रिंसिपल के पास गया। तब स्कूल के प्रिंसिपल ने सुभाष के पिताजी जानकीदास बोस को बुलवाया और उन्हें सारी घटना से अवगत करा कर कहा कि यदि हम कुछ भी एक्शन आपके बच्चे के खिलाफ लेंगे तो आप कानूनी कार्यवाही कर उसका बचाव करेंगे। हमारा आपसे अनुरोध है कि अपने बच्चे को इस स्कूल से निकाल लो , तब जानकीदास बोस अपने बच्चे को उस स्कूल से निकाल कर ले गए थे।
    कटक के प्रोटेस्टेण्ट स्कूल से प्राइमरी शिक्षा पूर्ण कर 1909 में उन्होंने रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में दाखिला लिया।1915 में उन्होंने इण्टरमीडियेट की परीक्षा बीमार होने के द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। 1916 में जब वे दर्शनशास्त्र (ऑनर्स) में बीए के छात्र थे किसी बात पर प्रेसीडेंसी कॉलेज के अध्यापकों और छात्रों के बीच झगड़ा हो गया सुभाष ने छात्रों का नेतृत्व सम्हाला जिसके कारण उन्हें प्रेसीडेंसी कॉलेज से एक साल के लिये निकाल दिया गया और परीक्षा देने पर प्रतिबन्ध भी लगा दिया।
इन घटनाओं से पता चलता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भीतर नेतृत्व और देशभक्ति के गुण बचपन से ही थे।

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