Categories
अन्य कविता

आंसू बह आए गालों पर

आंसू और आहें बनेंगी, एक दिन तूफान।
कुर्सी, कार कोठी, बंगले, नही रहेंगे आलीशान।

चूर-चूर हो जाएगा, तेरा झूठा अभिमान।
हैवानियत का हो नशा दूर, तू बन जाए इंसान।

निशिदिन होता न्याय प्रभु का, समझते बुद्घिमान।
धराशायी कर दिये आहों ने, कितने ही धनवान।

किसका साथ दिया है धन ने, किसका साथ निभाएगा?
ये साधन हैं साध्य नही, यही पड़ा रह जाएगा।

असली धन तो परहित हैं, जो तेरा साथ निभाएगा।
जो वैभव और स्वर्ग नही, तुझे मुक्ति तक दिलवाएगा।

धन के लिए लेता क्यों है, आह उस गरीब की।
हाथ की ही रोटी नही, छीनता नसीब की।

छोड़ दे मिलावट करनी, हर वस्तु में छोड़ दे।
भक्ति और भलाई से, अपना नाता जोड़ दे।

भक्षक नही, रक्षक भेजा था, इस दुनिया के वाली ने
सुंदरतम तुझे फूल बनाया, इस गुलशन के माली ने।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version