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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

हमारे पास तो 700 डिमांडस हैं …राकेश टिकैत

पहले भी कई बार इन आन्दोलनजीवियों साबित कर चुके हैं कि यह आंदोलन उनके हाथ से निकल चुका है, मोदी विरोधी पार्टियों के समर्थन से देश विरोधी ताकतों का इस आंदोलन पर कब्ज़ा हो चुका है, और राकेश टिकैत केवल एक मोहरा है। राकेश वही बोलते हैं जो उनसे बुलवाया जाता है। बिल वापस क्या हुए इनकी मांगें तो उड़द के आटे की फैलती ही जा रही हैं। समस्त आन्दोलनजीवी और इनको समर्थन दे रही मोदी विरोधी पार्टियां जवाब दें कि “क्या कभी हथेली पर सरसों उगी है?” जिसे देख आंदोलन समाप्त होने वाला नहीं। और सरकार द्वारा कोई सख्त कार्यवाही किये जाने पर इन आन्दोलनजीवियों और इनके समर्थकों का क्या हाल होगा? आखिर संयम की एक सीमा होती है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही 1 साल तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद गुरु परब के दिन तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा कर दी हो, लेकिन किसान नेता अब भी नहीं मान रहे हैं और दिल्ली की टिकरी सीमा पर प्रदर्शनकारियों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। 26 नवंबर, 2021 को किसान अपने आंदोलन के एक वर्ष पूरा होने पर जबरदस्त शक्ति-प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। खाली दिख रहे टेंट्स भी बढ़ गए हैं। पिछले मात्र 4 दिनों में किसानों की संख्या वहाँ दोगुनी हो गई है।

अब जब 29 नवंबर को संसद की तरफ ट्रैक्टर से कूच का कार्यक्रम स्थगित नहीं हुआ है, दिल्ली का पुलिस-प्रशासन भी हलकान है कि आंदोलनकारियों का अगला रास्ता क्या होगा। दिल्ली पुलिस उनसे सामंजस्य बनाने की कोशिश में लगी है। मन टटोल कर पता लगाया जा रहा है कि आगे क्या होगा। तीनों कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए आंदोलन में अब ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)’ के तहत कानून बनाने और 750 किसानों की मौत का दावा कर के उन सब के परिवारों को मुआवजा देने की माँग की जा रही है। लेकिन उन महिलाओं के सम्मान को कौन लौटाएगा, जिनका आंदोलन स्थल पर बलात्कार हुआ है? 

किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 11 दौर की बैठकें हुई थीं, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला था। पंजाब-हरियाणा के गाँवों से किसानों को वापस दिल्ली सीमा पर बुलाया जा रहा है। उत्साहित आंदोलनकारी अब फिर से भीड़ जुटाने लगे हैं। बता दें कि 26 नवंबर को शक्ति-प्रदर्शन के अलावा 29 नवंबर से 500 किसानों के ट्रैक्टर से संसद कूच की योजना है। संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है। किसानों का कहना है कि सड़क दुर्घटना में, हार्ट अटैक से और पुलिसिसय बल प्रयोग के कारण किसानों की मौत हुई है।

वहीं राकेश टिकैत ने ‘टाइम्स नाउ’ के एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारे पास तो 700 डिमांड्स हैं, सरकार से इन सब पर बातचीत चलती रहेगी। उन्होंने कहा, “ये जो संसद सत्र चलाते हैं, वो क्या करते हैं वहाँ पर? डिमांड्स को अप्रूव करते हैं, लागू करते हैं। दिल्ली जाएँगे। 500 किसान 30 ट्रैक्टरों के साथ संसद जाएँगे। अभी तो MSP है, 700 मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा है, मुकदमे वापस लेने हैं, सीड बिल है, पेस्टीसिड्स बिल है, ये सब हाउस में आना है।”

वहीं 23 नवंबर, 2021 को ‘भारतीय किसान यूनियन (BKU)’ के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ऐलान किया था कि 60 ट्रैक्टरों के साथ 1000 किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा खोले गए रास्तों से ही ये ट्रैक्टर संसद तक जाएँगे। उन्होंने कहा कि सड़कें जाम करने के आरोप हम पर लगा, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया था। उन्होंने कहा कि सड़कें जाम करना उनके अभियान का हिस्सा नहीं है। साथ ही कहा कि सरकार से बातचीत चलती रहेगी, लेकिन प्रदर्शन फ़िलहाल जारी रहेगा।

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