स्वतंत्रता दिवस: इन 15 चीजों से खुद को करें आजाद

Independence Dayप्रीति सोनी

आजादी की 69 वर्षगांठ को पूरा भारत उत्साह के साथ मना रहा है…. क्यों न आप भी अपनी व्यक्तिगत आजादी को पहचानकर उसका उत्सव मनाएं। व्यक्तिगत आजादी के लिए जरूरी है, आपका कुछ चीजों से आजाद होना और कुछ चीजों को खुद से आजाद करना। तभी तो मनाया जा सकेगा सच्ची आजादी का जश्न….।

 खुद से खुद को आजाद कर, खुद से खुद आजाद हो

गुम अगर न होना हो,

तो खुद को यूं आबाद कर …

खुद को आबाद करने के लिए पहले बुराईयों से आजाद होना जरूरी है। चाहे अपने अंदर या आसपास ही सही, लेकिन नकारात्मकता को पहचान कर उससे अलग हो जाना ही असली आजादी है, जो आपको इंसानी तौर पर आबाद कर सकती हैं। आइए बात करते हैं उन चीजों की जिनसे आजाद होना खुद को सही मायने में जिंदा रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है-

अहंकार – हर इंसान के अंदर एक छुपी हुई बुराई बसती है, जिसे हम अहंकार कहते हैं। यह इंसान को इंसान में फर्क करना सिखाती है, किसी को उपर तो किसी को नीचा दिखाती है। अहंकार एक तरह से गलतफहमी का भयानक स्वरूप है, जो सबसे ज्यादा हानि पहुंचाती है। सबसे पहले इस बुराई से आजाद होना होगा, ताकि हम सरल होकर केवल इंसानियत निभा सकें।

किस वजह से है अहम, जिंदगी है एक वहम

जिंदगी है चार दिन की, चलना है बस दो कदम

निराशा – जीवन में सफलता और उसके लिए किए जाने वाले प्रयासों की गति तब धीमी होती है, जब आप मन में निराशा के भाव रखते हैं। आशा से आसमां होता है …. इसलिए जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए हमें खुद को निराशा के भाव से आजाद करना होगा, तभी आप उम्मीद की किरण को देख पाएंगे।

आशा की किरण होती , निराशा का अंधेरा

रौशनी पर हर तरह से, हक है बनता तेरा हार – हार से आजाद होना सीखिए, और जिंदगी को जीत लिजिए। जी हां हर पल को जीतने का प्रयास करें, रिश्तों को जीतें, दिलों को जीतें। लेकिन हार से आजादी पाएं, तभी आपके अंदर जीतने की उम्मीद जिंदा रह सकेगी।

हार से आजाद हो, जीत को जज्बात दे

जिंदगी में हारकर, यूं न जीवन वार दे 

सीमाएं – बेशक जीवन में हर चीज के लिए कुछ सीमाएं रखें लेकिन उन्हें बंदिशें न बनाएं। कभी कभी कुछ रूढिय़ों की सीमाओं से आजाद होकर आप बेहतर जिंदगी जी सकते हैं। अपनी जिंदगी खुलकर जिएं और खुद की बनाई बंदिशों से पहले खुद आजाद हों,फिर अपनों को भी आजाद करो।

लांघ ना सीमाएं लेकिन तोड़ दे सब बेडिय़ां

जीत ले जीवन को तू और ख्रुशियों को जग में लुटा

अश्लीलता – खुद को, यानि दिल और दिमाग को स्वस्थ और स्वच्छ रखने के लिए अश्लीलता से आजाद होना बेहद आवश्यक है। तभी हम अपनी मानसिकता को और कृत्यों को बेहतर बना सकेंगे। इंसान की मानसिकता, उसके विचार उसकी पहचान होते हैं हमें यह बात कभी नहीं भूलती चाहिए।

हिंसा – किसी भी प्राणी के साथ शारीरिक या मानसिक हिंसा, इंसानियत का लक्षण नहीं है। यहां पर हर किसी को ईश्वर ने ही बनाकर भेजा है, और हर गलती की सजा भी उसने तय कर रखी है। हमें इस बात का अधिकार आखिर किसने दिया कि हम किसी के साथ हिंसा करें, उसे तकलीफ पहुंचाएं या सजा दें। यह फितरत सबसे पहले हमें बरबाद करती है, बाद में किसी और को।

सारे बंदे रब के हैं, उसका ही अधिकार उन पर

तेरी क्या औकात है जो तू घात दे औरों के तन पर

भ्रम – भ्रम में जीना किसी सपने में जिंदगी को तलाशने जैसा है। भ्रम को खुद से आजाद किजिए और असल जिंदगी को स्वीकार किजिए। उसे और बेहतर बनाने के प्रयास किजिए ताकि वास्तविक जीवन भ्रम से भी खूबसूरत हो।

भ्रम में जीवन भ्रम ही है, भ्रम से तू आजाद हो

जान ले जीवन के सच को, आबाद कर आबाद हो 

झूठ – आखिर कौन सा जीवन या मरण का सवाल हमें किसी से झूठ बोलने के लिए मजबूर करता है। झूठ बोलने की प्रवृत्ति? से हम आखिर कितना लाभ पा लेते हैं, और कौन सा नुकसान उससे जुड़ा होता है। इस बात पर विचार कर हमें झूठ से आजाद होना चाहिए।

छल-कपट- किसी को छल कर पाया गया लाभ अगर हमारी आत्मा को नहीं कचोटता, तो समझ लिजिए हमारी इंसानियत मृत हो चुकी है। बगैर इंसानियत के नकली इंसान होने से बेहतर है, असल आत्मा को पा लेना। ईमानदार होना खुद के करीब रहने का सबसे सरल तरीका है।

क्यों करें हम छल कपट और क्यों करें बेईमानियां

छल हमें देता मिटा, रह जाती है बस कहानियां

शक – शक को अपने जीवन में जगह देकर, आप दरअसल उस काल्पनिक जीवन में प्रवेश कर जाते हैं, जो आपके सुकून को पूरी तरह से खत्म कर आपको दुखी बनाता है। कई बार इसके जरिए आप बेवजह खुद को तकलीफ देते हैं। इसलिए ऐसी चीजों को खुद से आजाद किजिए।

नकरात्मकता – अपने नजरिए को नकारात्मक बनाने से हमेशा बचना चाहिए। हर चीज के प्रति अपने नजरिए को सकारात्मक बनाए रखें, और नकात्मकता से खुद को आजाद किजिए। आप खुद इसके सुखद परिणाम महसूस कर पाएंगे।

आलस्य – आलस्य को त्यागकर आप दुनिया को पा सकते हैं। बेहतर स्वास्थ्य से लेकर सफलता की बुलंदियां छूने के लिए आलस्य से खुद को आजाद करना बेहद जरूरी है। सक्रिय रहकर आप जीवन में सब कुछ पाने की ताकत रखते हैं। अंधविश्वास – अंधविश्वास में अंधा होकर इंसान कई बार खुद पर से भी विश्वास खो देता है, और पूरी तरह से अंधविश्वास में गुम होकर रह जाता है। इसलिए अंधविश्वास से आजाद होकर खुद पर विश्वास करना सीखें, क्यों सफलता अंधविश्वास से नहीं बल्कि आत्मविश्वास से मिलती है।

अज्ञान – अज्ञान सबसे बड़ा अभिशाप है। खुद को अज्ञान से आजाद करें, और जितना हो सके अपने ज्ञान को बढ़ाएं, जानकारियां जुटाएं जो आपके मन और मस्तिष्क को पोषित करेगा, और फिर आप कहलाएंगे, स्वतंत्र रूप से एक इंसान … धरती का सबसे उच्चकोटि का प्राणी इंसान … ।

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